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मेडिकल कचरे को लेकर हाईकोर्ट सख्त, मुख्य सचिव से मांगा हलफनामा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के मेडिकल कचरे के निस्तारण में 1998 में बने नियम का कड़ाई से पालन करने का आदेश दिया है।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के मेडिकल कचरे के निस्तारण में 1998 में बने नियम का कड़ाई से पालन करने का आदेश दिया है। कोर्ट में गलत हलफनामा दाखिल करने पर कड़ा रूख अपनाते हुए मुख्य सचिव से 28 अगस्त को कार्यवाही रिपोर्ट के साथ हलफनामा मांगा है और कहा है कि गलत सूचना देने वाले सीएमओ को निलंबित करें।
कोर्ट ने कहा कि नियमावली बनने के 19 साल बाद भी उसका पालन नहीं किया जाना दुखद है। कोर्ट ने कहा है कि नियम 7 और 8 का कड़ाई से पालन किया जाए, अन्यथा कोर्ट आपराधिक अवमानना की कार्यवाही करने को मजबूर होगी। याचिका की सुनवाई 28 अगस्त को होगी।
यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने प्राइवेट डाक्टर्स एसोसिएशन अलीगढ़ की जनहित याचिका पर दिया है। राज्य सरकार का कहना था कि मेडिकल कचरा निस्तारण पर सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी है। इसलिए कुछ और समय दिया जाए। प्रतापगढ़ के सीएमओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि कचरे का निस्तारण हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निगरानी कर रहा है।
कोर्ट ने कहा कि कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। कोर्ट को गुमराह किया जा रह है। कोर्ट ने कहा कि सीएमओ ने नियम सात और आठ के पालन होने की रिपोर्ट दी है। उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए। क्योंकि वास्तव में नियम के पालन के कोई कदम उठाए ही नहीं गए हैं। याचिका की सुनवाई 28 अगस्त को होगी। प्रदेश में 17 मेडिकल कचरा निस्तारण संयंत्र लगे हैं।