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इलाहाबाद हाईकोर्ट : प्रवेश कमेटी भंग करने के कुलपति का आदेश रद्द
इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा संस्कष्त विभाग में डी.फिल में प्रवेश के लिए गठित डी.पी.सी को निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कुलपति ने अपात्र व्यक्तियों का प्रयोग मात्र शिकायत पर किया। जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। दो वर्ष के लिए गठित डाक्टोरल प्रोग्राम कमेटी को बीच में ही भंग करना सही नहीं है।
कोर्ट ने डीपीसी की रिपोर्ट रिसर्च डिग्री कमेटी के समक्ष रखने तथा उसे अंतिम सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कुलसचिव को रिसर्च डिग्री कमेटी की रिपोर्ट पर प्रवेश पत्र जारी करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि पूरी प्रक्रिया तीन हफ्ते में पूरी की जाए।
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यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने क्षमा मिश्रा व अखिता त्रिपाठी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता एसपी शर्मा व विश्वविद्यालय की तरफ से अधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने बहस की। याचिका के अनुसार याचियों का कमेटी ने संस्कृत विभाग में क्रेट 2016 की परीक्षा में सफल होने के बाद साक्षात्कार लेकर चयनित किया। दो अभ्यर्थियों ने अनियमितता की शिकायत की। जिस पर कुलपति ने कमेटी भंग कर नयी कमेटी गठित की और नये सिरे से साक्षात्कार लेने का आदेश दिया। इसकी सूचना याचियों को नहीं दी गयी। जिस पर यह याचिका दाखिल की गयी है।
कोर्ट ने कहा कि बिना ठोस आधार पर कमेटी भंग कर दी गयी। जबकि अध्यादेश के जरिये दो साल के लिए कमेटी गठित की गयी। जो डी.फिल के लिए सूची तैयार संस्तुति भेजती है। जिस पर रिसर्च कमेटी अंतिम निर्णय लेती है। इस कमेटी में कुलपति, संकाय अध्यक्ष व विभागाध्यक्ष शामिल होते हैं। यही कमेटी अंतिम सूची तैयार करती है। कुलपति को डाक्टोरल प्रोग्राम कमेटी में बदलाव करने का अधिकार नहीं है। विशेष स्थिति में ही कुलपति धारा 14(3) के तहत आपात शक्तियों का प्रयोग कर सकता है, आमतौर पर नहीं। केवल शिकायत पर कमेटी भंग करना उचित नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि डी.फिल में प्रवेश नहीं लिया गया है, ऐसे में डी.पी.सी की रिपोर्ट पर निर्णय लेकर याचियों को प्रवेश पत्र जारी किया जाय।
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एसडीएम को दुकान लाइसेंस निरस्त करने का अधिकार नहीं: हाईकोर्ट
इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि एसडीएम को ग्राम सभा के सस्ते गल्ले की दुकान के लाइसेंस देने के प्रस्ताव पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। वह दुकान के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही कर सकता है। ग्राम सभा के प्रस्ताव पर एसडीएम की अध्यक्षता में तहसील स्तरीय कमेटी को ही निर्णय लेने का अधिकार है। इसी के साथ कोर्ट ने महाराजगंज के निचलौल के एसडीएम द्वारा दूकान देने के प्रस्ताव को छह माह पुराना होने के कारण निरस्त करने के आदेश को क्षेत्राधिकार से बाहर मानते हुए रद्द कर दिया और प्रकरण तहसील स्तरीय कमेटी के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने ग्राम सभा के तीन मई 2013 के प्रस्ताव पर कमेटी को चार हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा ने गंगेश्वर दूबे की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अरविन्द कुमार मिश्र ने बहस की। कोर्ट ने प्रमुख सचिव द्वारा इस मामले में जिस तरह कार्य किया गया, तीखी आलोचना की है और कहा है कि प्रमुख सचिव ने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव से जानकारी मांगी, उन्होंने आफिस द्वारा तैयार नोट पर बिना विचार किये हस्ताक्षर कर दिये। कोर्ट ने कहा कि उचित दर की दूकान के लाइसेंस देने के संबंध में 17 अगस्त 2002 को जारी शासनादेश प्रभावी है। जिसमें आरक्षण नियमों के तहत तहसील स्तरीय कमेटी को दुकानों को तय करने का अधिकार है। शासन ने प्रत्येक गांव सभा में एक दुकान तथा चार हजार से अधिक संख्या पर दूसरी दूकान के लाइसेंस देने की व्यवस्था की है। एसडीएम को अकेले गांव सभा के प्रस्ताव पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। तहसील स्तरीय कमेटी में एसडीएम अध्यक्ष, वीडीओ व क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी तथा जिलाधिकारी द्वारा नामित अधिकारी सदस्य होगा। जो आरक्षण नियमों के तहत दूकानों के लाइसेंस देने पर विचार करेगी।
कोर्ट ने नियमों के विपरीत एसडीएम द्वारा गांव सभा प्रस्ताव को निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है।
कर्मचारी को ग्रेच्युटी देने का आदेश
इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बेसिक शिक्षा विभाग आगरा में कार्यरत कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके सेवाकाल की ग्रेच्युटी का भुगतान उसकी पत्नी को करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने ग्रेच्युटी देय की तिथि से आठ फीसदी ब्याज भी देने का निर्देश दिया है। दिवंगत कर्मचारी की पत्नी नूरजहां की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने दिया है।
याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची के पति की 57 वर्ष की आयु में मौत हो गई थी। उसने ग्रेच्युटी भुगतान हेतु बीएसए आगरा के समक्ष प्रत्यावेदन दिया था। आठ जुलाई 2017 को बीएसए ने उसका प्रत्यावेदन 16 सितम्बर 2016 के शासनादेश का हवाला देकर निरस्त कर दिया। बीएसए के मुताबिक ग्रेच्युटी का भुगतान उन्हीं कर्मचारियों को किया जायेगा जिन्होंने शासनादेश के अनुसार साठ वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प भरा था। अधिवक्ता की दलील थी कि बीएसए का आदेश मनमाना है।
याची को ग्रेच्युटी भुगतान का दावा नियमानुसार सही है। शासनादेश के प्रावधान ग्रेच्युटी भुगतान में बाधा नहीं है। कोर्ट ने कहा कि शासनादेश के तहत विकल्प नहीं भरने वाले कर्मचारियों का ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने बीएसए का आदेश रद्द करते हुए याची को ब्याज सहित भुगतान करने का निर्देश दिया है।
आईएफटीएम वि.वि. के प्रो वीसी की गिरफ्तारी पर रोक
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईएफटीएम विश्वविद्यालय मुरादाबाद के प्रो वीसी मोहित दुबे की जानलेवा हमले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रमनाथ एवं न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की खण्डपीठ ने मोहित दूबे के अधिवक्ता विजय गौतम व एजीए को सुनकर दिया।
मोहित दुबे के खिलाफ रजिस्ट्रार संजीव अग्रवाल ने पाकबड़ा थाने में एफआईआर दर्ज करायी है। आरोप है कि 11 जनवरी 2017 को मोहित दुबे 40-45 लोग 6-7 वाहनों से असलहों के साथ विश्वविद्यालय गेट पर पहुंचे और सुरक्षाकर्मियों को धक्का देकर जबरन अंदर घुस गए। गाड़ियों के हूटर बजने से अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया। पूछने पर बताया गया कि मोहित दुबे के कहने पर आये हैं। कुछ लोगों ने फीस काउंटरों पर भी तोड़फोड़ की। जान से मारने की नियत से फायर भी किया गया। याची के वकील विजय गौतम का कहना था कि चांसलर राजीव कोठीवाल ने विद्वेष की भावना से ग्रसित होकर रजिस्ट्रार पर दबाव डालकर एफआईआर कराया है। कहा गया कि किसी को कोई चोट नहीं है।
नोएडा में आईटी पार्क में भेल को प्लाट आवंटन के खिलाफ याचिका खारिज
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा आईटी पार्क में भेल कारपोरेट सेक्टर को प्लाट आवंटन के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि शर्ताें व करार का उल्लंघन हुआ है तो याची सिविल वाद दायर कर सकता है।
यह आदेश चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले व जस्टिस सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने आर.आर. टेक मैक कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। नोएडा के वकील शिवम यादव का कहना था कि इसी मामले को लेकर एक याचिका पहले खारिज हो चुकी है जबकि याची का कहना है कि नोएडा ने भेल को अनुमति देकर शर्ताें का उल्लंघन किया है।
जेई भर्ती में महिला आरक्षण को चुनौती
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2016 की कृषि विभाग में कनि.अभियंता की भर्ती में प्रदेश की ही महिलाओं को आरक्षण का लाभ देने को चुनौती दी गयी है। बिहार व उत्तराखण्ड की वर्षा सैनी व कई अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम.के.गुप्ता ने सरकार को दो सप्ताह में पक्ष रखने का आदेश दिया है।
याचिका में कहा गया है कि अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड ने कृषि विभाग में 172 जेई के पदों की भर्ती का विज्ञापन निकाला। लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के बाद चयन परिणाम घोषित किया गया। याचियों को प्रदेश के बाहर की होने के कारण महिला कोटे में आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया।