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Prayagraj Maha kumbh: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने की श्रद्धालुओं की मदद, कैंपस में स्नानार्थियों को कराया चाय-नाश्ता

Prayagraj Maha kumbh: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर का गेट खुलवाया। उनके रुकने की व्यवस्था करवाई। छात्रों ने खुद के पैसे से चाय-नाश्ते का इंतजाम करवाया।

Sakshi Singh
Published on: 30 Jan 2025 12:25 PM IST (Updated on: 30 Jan 2025 12:44 PM IST)
Allahabad University Students help devotees in Prayagraj
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Allahabad University Students help devotees in Prayagraj

Prayagraj Maha kumbh: महाकुंभी मौनी अमावस्या के पर्व पर प्रयागराज की स्थिति काबू से बाहर थी। संगम क्षेत्र में भगदड़ के बाद से शहर की हालत और बदतर हो गई। संगम की ओर चले आ रहे रेला को प्रशासन ने रोक लगाना शुरू कर दिया। अपने घरों से निकलकर प्रयागराज पहुंच कर श्रद्धालु-स्नानार्थी बीच मझधार में फंस चुके थे।

पूरे शहर में जाम ही जाम। ऐसे में इन श्रद्धालुओं और स्नानार्थियों की मदद के लिए इलाहाबाद विश्ववद्यालय के छात्र आगे आए। छात्रों ने इनके लिए विश्वविद्यालय कैंपस का गेट खुलवाया। उनके रुकने की व्यवस्था करवाई।शहर के भीतर भारी भीड़ को देखते हुए। विश्वविद्यालय के छात्र खुद सेवा में लग गए। स्नानार्थियों को पानी पिलाया और खुद के पैसे से छात्रों ने चाय-नाश्ता करवाया।

मौनी अमवास्या पर हुआ बड़ा हादसा

बता दें कि बीते दिन यानी मंगलवार और बुधवार के दरमियान देर रात महाकुंभ के दूसरे और सबसे बड़े अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मच गई। भगदड़ देर रात 1.30 बजे के आसपास हुई। उस समय 100 मीटर में श्रद्धालु संगम नोज पर सो रहे थे। सो रहे लोगों के दोनों किनारों से भीड़ संगम नोज पर स्नान के लिए जा रही थी। भीड़ का दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा था। वहां सो रहे लोग पुलिस के बार-बार एनाउंस करने के बाद भी उठ नहीं रहे थे।

अचानक भीड़ का दबाव बढ़ा

इस बीच अचानक भीड़ का दबाव बढ़ गया और श्रद्धालु सोते हुए लोगों के ऊपर गिरना शुरू हो गए। जान बचाने को सो रही भीड़ उठकर भागने की कोशिश करने लगी। तभी एक के ऊपर एक लोग गिरते चले गए। अपने बैग पर सिर नीचे रखकर सो रहे लोगों के ऊपर से भीड़ निकलती चली गई। लोग जैसे सो रहे थे, सोते ही रहे। उनके ऊपर भी गिरे लोगों को भीड़ कुचलती चली गई।

10 मिनट में कुछ दिखा मंजर

अपनी जान बचाने के लिए जिसको जहां जगह मिली वहीं भाग पड़ा। नीचे कौन दब रहा है, किसकी जान जा रही है, इसकी को परवाह नहीं कर रह था। भीड़ बेकाबू हो गई। 10 मिनट में गंगा की रेती में भयावह मंजर दिखा। वहां लोगों के कपड़े, बैग, कंबल, जूते, मोबाइल और सारा सामान सब बिखरे पड़े मिले।



Sakshi Singh

Sakshi Singh

Senior Content Writer

मेरा नाम साक्षी सिंह है। मूलत: प्रयागराज की रहने वाली हूं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने बैचलर और मास्टर दोनों ही जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन विषय से किया है। पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक जागरण (प्रिंट) से किया। दैनिक भास्कर (डिजिटल) में प्रयागराज में फील्ड रिपोर्टर रही। इसके बाद मैंने अमृत विचार, राजस्थान पत्रिका और नवभारत डिजिटल में लगभग 18 महीने बतौर कंटेट राइटर काम किया। इस संस्थान में नेशनल और इंटरनेशनल की रियल टाइम की खबरें लिखती रही। इसके साथ ही इस संस्थान में मैंने यहां शिफ्ट इचार्ज के तौर पर टीम भी लीड किया है। इस क्षेत्र में काम करते हुए लगभग साढ़े तीन साल से ज्यादा समय हो गए हैं। मेरी रुचि और पकड़ लगभग सभी विषयों पर है। लेकिन इंडियन पॉलिटिक्स और इंटरनेशनल रिलेशन्स में विशेष दिलचस्पी है।

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