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जनता की भागीदारी के बिना वेटलैंड्स का संरक्षण संभव नहीं: आलोक रंजन

पूर्व आईएएस अधिकारी आलोक रंजन ने भारतीय वेटलैंड्स को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि सरकार ने इसकी बेहतरी के लिए कुछ नियम बनाए हैं। मगर ये तभी सफल हो पाएगा जब जनता इससे जुड़ेगी।

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Published on: 18 Feb 2018 3:24 PM IST
जनता की भागीदारी के बिना वेटलैंड्स का संरक्षण संभव नहीं: आलोक रंजन
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लखनऊ: शहरी क्षेत्रो में तेजी से वेटलैंड गायब हो रहे हैं। हालिया दिनों में साउथ अफ्रीका के केपटाउन में पानी की किल्लत दुनिया भर में चर्चा का विषय रहा। नदियां जीवन का स्रोत हैं ज्यादातर शहर नदियों के किनारे बसे हैं। पर प्रदूषण की वजह से नदियां मर रही हैं। इनकी साफ सफाई के लिए सरकार तमाम योजनाए भी चला रही हैं। खूब पैसा भी खर्च किया जा रहा है। पर आम जनता के इस अभियान में शामिल हुए बिना नदियों और वेटलैंड्स का संरक्षण संभव नही है।

पूर्व चीफ सेक्रटरी और पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मुख्य सलाहकार आलोक रंजन ने रविवार को राजधानी के गोमतीनगर स्थित एक निजी होटल में आकृति-2018 के बैनर तले आयोजित 'एडॉप्ट ए वेटलैंड' कार्यक्रम में यह बात कही।

वेटलैंड्स के संरक्षण को लेकर सीएम से मिलेंगे आलोक रंजन

आलोक रंजन ने तेजी से गायब हो रहे वेटलैंड्स पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इनके संरक्षण के लिए भारत सरकार ने नियम बनाए है। स्टेट लेबल कमेटी बनाई गई है। पर इससे जनता का जुड़ना जरूरी है तभी इनके संरक्षण में सफलता मिल पाएगी। यह जीवन का स्रोत है। यह खत्म होगा तो पानी का स्रोत खत्म हो जाएगा। विकास के नाम पर वेटलैंड्स को लेकर कॉलोनियां बन जाती है। इसको लेकर सरकार से निवेदन किया जाएगा कि वेटलैंड्स को संरक्षित किया जाए। इस सिलसिले में वह जल्द ही सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलेंगे।

जागृति नहीं आई तो वह दिन दूर नहीं जब होगी पानी की किल्लत

उन्होंने कहा कि वेटलैंड को लेकर यदि जागृति नहीं आई तो वह दिन दूर नही पीने के पानी की किल्लत हो जाएगी। यह मानव जीवन के लिए खास महत्व रखता है। जिस तरह जंगल धरती के लिए फेफड़ो का काम करते हैं। ठीक उसी तरह वेटलैंड धरती के लिए किडनी की तरह काम करता है।

दो सौ लोग एडॉप्ट करेंगे वेटलैंड्स

कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर शिखर रंजन ने कहा कि वेटलैंड ह्यूमन को सपोर्ट करते हैं। बहुत सारे वेटलैंड वनों से बाहर हैं। कार्यक्रम में 200 ऐसे लोग आये हैं जो कह रहे हैं कि वे वेटलैंड को एडॉप्ट करेंगे। हर रविवार को हम उन जगहों पर जाकर हकीकत देखेंगे, जिन जगहों पर वेटलैंड्स है।

लखनऊ में 924 तालाबों में से बचे सिर्फ 494

कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखें। प्रोफेसर बृजगोपाल ने कहा कि लखनऊ में सन 1952 में तालाबों की संख्या 924 थी। सन 2006 में इनकी संख्या 494 तक सिमट कर रह गई। 128 तालाबों पर अतिक्रम हो चुका है। 133 तालाब लखनऊ विकास प्राधिकरण की वजह से लुप्त हो गए। 32 तालाब विभिन्न हाउसिंग योजनाओं की भेंट चढ़ गएं। 18 तालाब सड़क निर्माण और 405 तालाब रेलवे की वजह से खो गएं।

यूपी में 193679 जलीय क्षेत्र

क्षेत्रफल (हेक्टेयर में) संख्या

02 03

0-5 189693

6-10 1497

11-25 1307

26-50 629

51-100 334

100 से अधिक 219

क्या है वेटलैंड ?

वेटलैंड यानि आर्द्रभूमि गीली या जलमग्न रहती है। कुछ भाग में पानी फैला रहता है। यहां मिट्टी व पानी में पल रहे कीड़े, मछलियां और आसपास उगी घासफूस पक्षियों को अपनी ओर आने के लिए लुभाते हैं। इनमें बाढ़ वाले मैदान, दलदल, मछली के तालाब, ज्वार की दलदल और मानव निर्मित आर्द्रभूमि शामिल हैं। कृत्रिम जल स्थल जैसे मत्स्य पालन, जलाशय आदि भी वेटलैंड होते हैं। हर वेटलैंड का अपना पारिस्थितिक तंत्र होता है। जैव और वानस्पतिक विविधता होती है। ये वेटलैंड जलजीवों, पक्षियों, आदि प्राणियों के आवास होते हैं।

क्यों जरूरी हैं वेटलैंड ?

- यह माइक्रों क्लाइमेट मॉडरेटर (सूक्ष्म जलवायु मध्यस्थ) होते हैं।

- भूजल को रिचार्ज करते हैं।

- बाढ़ और तूफानी जल को नियंत्रित करते हैं।

- पानी की गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक।

- जैव विविधता बनाए रखने में सहायक।

- पक्षियों और जलीय प्राणियों का प्रवास स्थल है।

- पक्षियों को रहने और खाने के लिए प्राकृतिक खुराक उपलब्ध होती है।

- गीले स्थलों में पक्षियों के आने से कीट, कीड़ों का नाश होता है।

- कुछ प्रदेशों में वेटलैंड का पानी खेतों में डाला जाता है।

- पक्षियों की बीठ पानी में पड़ने से खेती के जरूरी तत्व भी बढ़ जाते हैं।

- वेटलैंड में नम भूमि आसपास के क्षेत्र को हराभरा करने में सहायक होती है।

- इससे पर्यावरण संरक्षण को बल मिलता है।

- तमाम जंगली जीव जैसे—घड़ियाल, कछुए, मेंढक और चिड़ियां लुप्त हो रही हैं।

देश के क्षेत्रफल में वेटलैंड्स का 18.4 फीसदी हिस्सा

एशियन वेटलैंड्स कोष (1989) के अनुसार वेटलैंड्स का देश के क्षेत्रफल (नदियों को छोड़कर) में 18.4 प्रतिशत हिस्सा है, जिसके 70 प्रतिशत भाग में धान की खेती होती है। भारत में वेटलैंड्स का अनुमानित क्षेत्रफल 4.1 मिलियन हेक्टेयर (सिंचित कृषि भूमि, नदियों और धाराओं को छोड़कर) है, जिसमें से 1.5 मिलियन हेक्टेयर प्राकृतिक और 2.6 मिलियन हेक्टेयर मानव निर्मित है। तटीय वेटलैंड्स का अनुमानित क्षेत्रफल 6750 वर्ग किलोमीटर है।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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