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Ambedkar Jayanti : पूरे उत्साह, उल्लास, उमंग से मनाई गई आंबेडकर जयंती, एक क्लिक में पढ़ें पूरे प्रदेश की खबरें

Ambedkar Jayanti : Ambedkar Jayanti : रविवार को संविधान निर्माता एवं दलित-शोषितों के मसीहा बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर की जयंती बड़े हर्षोल्लास, उमंग एवं उत्साह के साथ मनाई गई।

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Newstrack Network
Published on: 14 April 2024 4:22 PM IST (Updated on: 14 April 2024 6:08 PM IST)
Ambedkar Jayanti celebrated with enthusiasm, joy and enthusiasm
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उत्साह, उल्लास, उमंग से मनाई गई आंबेडकर जयंती: Photo- Social Media

Ambedkar Jayanti : रविवार को संविधान निर्माता एवं दलित-शोषितों के मसीहा बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर की जयंती बड़े हर्षोल्लास, उमंग एवं उत्साह के साथ मनाई गई। प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लिया गया।

Lakhimpur Kheri News: रविवार को जिलेभर में उत्साह, उल्लास और उमंग के साथ संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर की जयंती मनाई गई। कलेक्ट्रेट में आयोजित कार्यक्रम में डीएम महेंद्र बहादुर सिंह, एडीएम संजय कुमार सिंह समेत बड़ी संख्या में अधिकारी, कर्मचारियों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर उनके आदर्श को अनुकरणीय बताते हुए उनके सपनों को साकार करने का संकल्प दोहराया।


डॉ. आंबेडकर के बताए मार्ग पर चलने का किया आह्वान

डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने डॉ. आंबेडकर के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और कहा कि संविधान निर्माता ने समाज को मुख्य धारा में जोड़ा। संविधान निर्माण में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। डॉ. आंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम उनके बताये रास्ते पर चल कर समाज का निर्माण करें और समाज को आगे बढ़ाएं। आज के इस पावन और पुनीत मौके पर उन्हें स्मरण करने से मन प्रफुल्लित हो उठता है।

यही होगी उनके प्रति सच्ची श्रद्धा

एडीएम संजय कुमार सिंह ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर के सिद्धांतों और आदर्शो को अपने जीवन में आत्मसात करने की जरूरत बताई। कहा कि उनके प्रयास से समाज के सभी वर्गों को संविधान में उचित स्थान प्राप्त हुआ। उनके प्रति सच्ची श्रद्धा तभी होगी, जब लोग अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरे संकल्प के साथ करेंगे।

आयोजित कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारी सुरेश वर्मा, सुधीर सोनी, न्याय सहायक द्वितीय सुरेश वर्मा सहित कलेक्ट्रेट कर्मियों ने भी चित्र पर माल्यार्पण कर उनके विचारों को रेखांकित किया। कार्यक्रम का संचालन कलेक्ट्रेट कर्मी श्री राम ने किया।

लखीमपुर खीरी, हिमांशु श्रीवास्तव

Shravasti News: भाजपा कार्यालय समेत जगह -जगह मनाई गई बाबा साहब की जयंती,

"वक्ताओं ने कहा कि "समरसता से मन का भाव लेकर समाज सेवा करना ही बाबा की सच्ची जयंती मनाना है"

Shravasti News: भारतीय जनता पार्टी जिला इकाई द्वारा डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती को पूरे लोकसभा क्षेत्र में बड़े उत्साह के साथ समरसता दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान दोनों जिले में विविध कार्यक्रमों के साथ जिला स्तरीय एक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जनपद श्रावस्ती में भिनगा भाजपा कार्यालय पर जिलाध्यक्ष अनुसूचित मोर्चा प्रवेश आर्य की अध्यक्षता में संगोष्ठी सम्पन्न हुई । जिला संगोष्ठी में मुख्यातिथि के रूप में श्रावस्ती लोकसभा भाजपा प्रत्याशी साकेत मिश्रा तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रावस्ती जिलाध्यक्ष उदय प्रकाश त्रिपाठी, शंकर दयाल पाण्डेय तथा संजय कैराती पटेल उपस्थित रहे।


अम्बेडकर जयंती पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा जिले के सभी बूथों पर बाबा साहब भीमराव के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित की तथा उनके विचारों को याद किया। जिला के भिनगा क्षेत्र में स्थित शिवालिक महाविद्यालय में आयोजित जिला संगोष्ठी में संबोधित करते हुए श्रावस्ती लोकसभा प्रत्याशी साकेत मिश्रा ने कहा कि डॉ. अंबेडकर की जयंती पर उनके जनकल्याण के लिए किए गए अभूतपूर्व योगदान को याद किया जाता है। बाबा साहेब एक गरीब परिवार से तालुक रखते थे। बचपन से ही उनको बहुत संघर्ष करना पड़ा। यही वजह थी कि समाज सुधारक बाबा भीमराव अंबेडकर ने जीवन भर कमजोर लोगों के अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया और महिलाओं को सशक्त बनाया।

उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी डॉ० अम्बेडकर के आदर्शों पर चलते हुए जन कल्याण के लिए बिना किसी भेदभाव अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं। इस मौके पर श्रावस्ती भाजपा जिलाध्यक्ष उदय प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर आजादी की लडाई में शामिल हुए और स्वतन्त्र भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने के लिए संविधान निर्माण में अतुल्य भूमिका निभाई। लोकसभा संयोजक शंकर दयाल पाण्डेय ने कहा कि भारत रत्न बाबा साहब अम्बेडकर दलितों के महान नेता थे । उन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों के उत्थान में लगा दिया। उन्होंने सदैव समानता की बात की चाहे वो मानवों के बीच हो चाहे कानून की समानता की बात हो।

पूर्व जिलाध्यक्ष संजय कैराती पटेल ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के जीवन से सदैव समाज के कमजोर वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की प्रेरणा मिलती है। जिला संगोष्ठी का समापन करते हुए जिलाध्यक्ष अनुसूचित मोर्चा प्रवेश आर्य ने कहाकि भारतीय जनता पार्टी डॉ अम्बेडकर के विचारों को आत्मसात करते हुए समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति के विकास की बात करती है। कई सरकारें आयी और गयी जिन्होंने अम्बेडकर के नाम पर वोट मांगने का काम किया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डॉ साहब के जीवन से जुड़े पांच स्थानों को पंचतीर्थ की संज्ञा देकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है। जिला संगोष्ठी में पूर्व जिलाध्यक्ष महेश मिश्रा ओम, जिला महामंत्री दिवाकर शुक्ला, रमन सिंह, रंगीले चौधरी, अभिषेक पाण्डेय, देवतादीन कोरी, मंशाराम आर्य, दिवांशु साहू, बंशीलाल सरोज, राघवराम पासवान सहित भारी संख्या में जन मानस उपस्थित रहा।

उल्लेखनीय है कि भारत संविधान के जनक, चिंतक, समाज सुधारक और दलित वर्गों के लिए आवाज उठाने वाले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था।इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था।


भीमराव अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे। उनकी 133वीं जयंती मनाई जा रही है। भीमराव अंबेडकर की जयंती पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें-भीमराव अंबेडकर का जन्म निचले कुल में हुआ था।इनका परिवार महार जाति का था।इस जाति को समाज में अछूत माना जाता है। ऐसे में भीमराव को बचपन से सामाजिक भेदभाव के साथ कमजोर आर्थिक स्थिति का भी सामना करना पड़ा।भीमराव अंबेडकर ने 1908 में एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया।

इस महाविद्यालय में दाखिला लेने वाले वे पहले दलित छात्र थे।भीमराव अंबेडकर ने दलितों, निचले वर्ग, मजदूर और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद की और ‘बहिष्कृत भारत’, ‘मूक नायक’ और ‘जनता’ नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकालने की शुरुआत की।

बाबा साहेब अंबेडकर आजाद भारत के पहले कानून मंत्री बनें। इतना ही नहीं उन्होंने विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान 26 नवंबर 1949 में तैयार किया।इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा।बाल विवाह प्रचलित होने के कारण अंबेडकर का विवाह 1906 में 9 साल की रमाबाई से हुआ। इस समय भीमराव की उम्र 15 साल थी। पहली पत्नी रमाबाई की मृत्यु के बाद उन्होंने सविता से दूसरा विवाह किया।बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर 9 भाषाओं को जानते थे। इन्होंने देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानक उपाधी प्राप्त की।


बाबा साहेब के पास लगभग 32 डिग्रियां थीं। बाबा साहब 1951 में संसद में अपने हिंदू कोड बिल मसौदे पर रोके जाने के बाद उन्होंने मंत्रीमंडल पद से इस्तीफा दे दिया। इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था को लेकर कानून में लैंगिक समानता की बात कही गई थी।1956 में बाबा साहेब ने हिंदू धर्म को छोड़ बौद्ध धर्म अपना लिया।इनके साथ इनकी पत्नी सविता और लाखों दलितों ने भी बौद्ध धर्म को अपनाया था। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मृत्यु 06 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनके आवास में हुई थी। वह मधुमेह से पीड़ित थे।मृत्यु के बाद भीमराव अंबेडकर को 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

रिपोर्ट- राधेश्याम मिश्रा- बलरामपुर, श्रावस्ती





Shashi kant gautam

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