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KGMU में अंबेडकर जयंती: कुलपति बोले, 'जो व्यक्ति इतिहास नहीं जानता, इतिहास नहीं बना सकता''

Ambedkar Jayanti: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में 14 अप्रैल को भारतरत्न बाबासाहेब डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती मनाई गई।

Shashwat Mishra
Report Shashwat MishraPublished By Shreya
Published on: 14 April 2022 8:41 PM IST
KGMU में मनी अंबेडकर जयंती: कुलपति बोले- जो व्यक्ति इतिहास नहीं जानता, इतिहास नहीं बना सकता
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अंबेडकर जयंती (फोटो- न्यूजट्रैक)

Ambedkar Jayanti: राजधानी लखनऊ (Lucknow) के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) में गुरुवार को भारतरत्न बाबासाहेब डॉ. बीआर अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) की 131वीं जयंती के मौके पर सेल्बी हाल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आवास एवं शहरी मामले के मंत्री कौशल किशोर (Kaushal Kishore) ने कहा, "14 अप्रैल को देश भर में बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती (Ambedkar Birth Anniversary) मनाई जाती है। बाबा साहेब देश के एक ऐसे शख्स थे, जिनकी तुलना किसी और से नहीं की जा सकती।

उन्होंने भारत के संविधान (Indian Constitution) निर्माण में एक पिता की भूमिका निभाई। वे हमेशा शोषितों के लिए लड़े।" उन्होंने कहा कि हमें जातिशब्द का प्रयोग खत्म करके जातिप्रथा को खत्म कर देना चाहिए। इससे हमारा भारत और आधुनिकता की ओर बढ़ेगा।

(फोटो- न्यूजट्रैक)

'जो इतिहास नहीं जानता, इतिहास नहीं बना सकता'

कार्यक्रम में चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति, लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने कहा डॉ भीमराव अंबेडकर ने हमेशा शोषितों, वंचितों और महिलाओं के लिए कार्य किया है। बाबा साहेब मानते थे कि एक देश तब तक विकास नहीं कर सकता, जब तक वहां की औरतें विकसित ना हो जाएं। कुलपति ने बताया कि डा. अम्बेडकर के पिताजी मिलेट्री से थे, जहाँ जाति का कोई स्थान नहीं होता है; केवल देश होता है, इसलिए बाबा साहेब कहते थे कि मैं पहले भारतीय हूँ और अंत तक भारतीय ही हूँ। बाबा साहेब का विचार था कि जो व्यक्ति अपना इतिहास नहीं जानता, वह अपना इतिहास नहीं बना सकता।

(फोटो- न्यूजट्रैक)

'अंबेडकर के मार्ग पर चलें'

इस अवसर पर पदमश्री डॉ. एस.एन. कुरील ने कहा हम सभी डॉ. अम्बेडकर द्वारा दिखाई मार्ग पर चले, ताकि देश में अशिक्षा, निर्धनता, जातिवाद और छुआछूत जैसी समस्याओं को खत्म किया जा सके। यही हमारी बाबा साहेब की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

(फोटो- न्यूजट्रैक)

'लाइब्रेरी में थी 50 हजार पुस्तकें'

डा. के.के. सिंह ने बताया कि बाबा साहेब प्रतिभा के धनी थे, जिन्होंने अपनी आठ वर्षों की पढाई को सवा दो वर्षों में ही पूरा कर लिया था। अध्ययन ही उनका जीवन था, जिनकी व्यक्तिगत लाइब्रेरी में लगभग पचास हजार पुस्तकें थी। इस अवसर पर शिव पल्टन द्वारा लिखित मेरा जीवन मेरा संघर्ष नामक पुस्तक का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर कार्यक्रम में डॉ. सुरेश बाबू, डॉ. एस.पी. जायसवार, प्रो. डॉ. एस.एन. संखवार, और केजीएमयू के सभी विभागों के डॉक्टर एवं छात्र छात्राएं शामिल हुए।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन व बुद्ध वंदना से हुआ। जिसमें भाषण, गीत, कविता, प्रश्नोत्तरी, आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

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