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Ambedkar Nagar News : तो क्या भाजपा के लिए जीत की संजीवनी साबित हुआ बसपा प्रमुख का बयान

संख्या बल में विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मजबूत होने के बावजूद भाजपा के पक्ष में गया चुनाव परिणाम

Manish Mishra
Report Manish MishraPublished By Sushil Shukla
Published on: 4 July 2021 8:50 AM GMT
Ambedkar Nagar News : तो क्या भाजपा के लिए जीत की संजीवनी साबित हुआ बसपा प्रमुख का बयान
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अम्बेडकर नगर। अध्यक्ष, जिला पंचायत का चुनाव परिणाम घोषित किया जा चुका है। संख्या बल में विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मजबूत होने के बावजूद चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में चला गया। इस बदले परिदृश्य को लेकर अब राजनीतिक हल्के में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। घोषित संख्या बल में महज चार होने के बावजूद भाजपा का 30 मतों तक पहुंच जाना वैसे सत्ता पक्ष के लिए तो चौंकाऊ नहीं रहा लेकिन इसने विपक्ष की आंखे जरूर खोल दीं। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया कि इस चुनाव में आज भी धनबल का ही बोलबाला है। वैसे तो इस चुनाव में सत्ता का भी खुला दुरुपयोग किए जाने की बातें सामने आती रही हैं लेकिन कम से कम इस जिले में ऐसा कहीं भी कुछ देखने को नहीं मिला जिसमे सत्ता का दुरुपयोग किए जाने की बू आ रही हो। ऐसी स्थिति में भाजपा की जीत को सत्ता पक्ष के रणनीतिकारों की सफल कामयाबी ही मानी जायेगी

मतदान के कुछ दिन पूर्व ही बसपा प्रमुख मायावती ने प्रेस वार्ता का ऐलान कर दिया था कि उनकी पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेगी। साथ ही उन्होंने ऐसे प्रत्याशी को जिताने की अपील की थी जो समाजवादी पार्टी को शिकस्त दे रहा हो। बसपा प्रमुख यही अपील भाजपा के लिए संजीवनी साबित हो गई। जिले में बसपा नेता न चाहते हुए भी भाजपा प्रत्याशी का समर्थन करने के लिए मजबूर हो गए। कारण कि उनके समक्ष दूसरा प्रत्याशी केवल समाजवादी पार्टी का था। यहां से मजबूत होने के बाद भाजपा ने निर्दल प्रत्याशियों को अपने पाले में लाने की जो कोशिश की वह पूरी तरह से सफल रही।

सपा समर्थित 30 प्रत्याशियों में 11 ने जीता था चुनाव

समाजवादी पार्टी ने जिला पंचायत चुनाव में 30 प्रत्याशियों को समर्थन दिया था। इनमें से 11 ने चुनाव जीता था। इसके अलावा समाजवादी मानसिकता के वह 09 लोग भी चुनाव जीतकर जिला पंचायत सदस्य बने थे जिन्हें सपा ने समर्थन तो नहीं दिया लेकिन वह निर्दल प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतने में सफल रहे। यह सभी लोग समाजवादी पार्टी की बैठकों में शामिल होते रहे। साथ ही पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात करने में भी यह सभी वहां मौजूद रहे। इन सबने उन्हें भी एकजुट होकर सपा प्रत्याशी को जिताने का भरोसा दिलाया लेकिन यह क्या, वहां से वापस लौटने के बाद इन लोगों ने सपा प्रमुख को दिया गया वादा भी ताक पर रख दिया तथा भाजपा प्रत्याशी को ऐतिहासिक मतों से जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। किस सदस्य ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन दिया और किसने धोखा दिया, इस पर पड़ा पर्दा उठने में अभी काफी समय लगेगा लेकिन यह सत्य है कि समाजवादी पार्टी अपने ही लोगों को एकजुट रखने में सफल नहीं हो सकी।

सजातीय को जिताने में सपाइयों की भूमिका!

पार्टी सूत्रों की मानें तो इसके पीछे पार्टी के ही कुछ नेताओं की अहम भूमिका रही जिन्होंने अपने सजातीय प्रत्याशी को जिताने के लिए कुछ जिला पंचायत सदस्यों को फ्री होकर मतदान करने का इशारा कर दिया था। शायद इसी का परिणाम था कि संख्या बल में काफी मजबूत होने के बावजूद समाजवादी पार्टी महज 10 मतों पर ही सिमट कर रह गई। एक मत निरस्त होने को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है कि आखिर वह किस जिला पंचायत सदस्य का मत था जो निरस्त हो गया। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि मतदान संपन्न होने के बाद भी पार्टी कार्यालय पर 15 जिला पंचायत सदस्य मौजूद थे। ऐसे में यह बेहद हास्यास्पद लगता है कि पार्टी प्रत्याशी को धोखा देने के बावजूद यह सदस्य कार्यालय पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर खुद को सही साबित करने का प्रयास करते रहे।

Sushil Shukla

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