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अधिकारियों ने गौशालाओं को बेसहारा छोड़ा, नहीं देखी होगी गायों की ऐसी दुर्दशा
कोरोना का भय और लॉकडाउन की कठिन स्थिति में अधिकारियों की नजर पशु आश्रय स्थलों से हट चुकी है। गोवंश आश्रय स्थलों पर गोवंशों की मृत्यु...
केदारनगर, अम्बेडकरनगर: कोरोना का भय और लॉकडाउन की कठिन स्थिति में अधिकारियों की नजर पशु आश्रय स्थलों से हट चुकी है। गोवंश आश्रय स्थलों पर गोवंशों की मृत्यु आये दिन हो रही है लेकिन किसी भी जिम्मेदार की नजर पशु आश्रय स्थलों की बदहाली पर नहीं पड़ रही है। टाण्डा विकास खंड के भड़सारी पशु आश्रय स्थल पर प्रभारी बीडीओ डीसी मनरेगा और ग्राम सचिव व प्रधान की लापरवाही के कारण आये दिन गोवंशों की मौत हो रही है।
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कुछ इस तरह है गौशाला की दशा
गोवंशों की मौत का कारण जानने का प्रयास भी जिम्मेदारों के द्वारा नहीं किया जा रहा है। रविवार को तीन गोवंशों की मौत हो गई, जिसकी सूचना पर मीडिया के पहुंचने के चंद मिनट पूर्व ही नोडल अधिकारी को सूचित किये बिना ही सचिव व प्रधान के द्वारा गोवंशों को दफन करवा दिया गया। जल्दबाजी में दफन किये हुए स्थान पर नाम मात्र ही मिट्टी का प्रयोग किया गया। पूर्व में मृत गोवंशों की कब्र से दुर्गंध आ रही थी क्योंकि पहले से तैयार की हुई कब्र में मृत गोवंशो को फेंककर ऊपर से नाम मात्र मिट्टी की मिट्टी से ढक दिया जाता है। दो गोवंश गंभीर रूप से बीमार देखे गए जिनको देखने पशु चिकित्सक नही पहुंच सके थे। इसी कारण से पूर्व में भी गोवंशों की मृत्यु होने की बात बतायी जा रही है।
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बिना पंचनामा के ही दफन किए जा रहे मृत गोवंश
नियमानुसार मृत गोवंश की नोडल अधिकारी व पशु चिकित्सक की मौजूदगी में पंचनामा भर कर ही दफन किया जाना चाहिए। लेकिन यहां ग्राम सचिव अरुण चतुर्वेदी की लापरवाही के कारण किसी भी जिम्मेदार अधिकारी को सूचित नहीं किया जाता है और बिना पंचनामा भरे ही मृत गोवंश को कब्र में फेंक दिया जाता है।
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पशुओं के टैगिंग में किया जा रहा है खेल
जानकारी के अनुसार, पशु आश्रय स्थल पर रह रहे गोवंशों की संख्या व उनके भोजन की अच्छी व सुचारू व्यवस्था के लिए उनके कान में टैग लगाया जाता है, जिसका रंग अधिकतर पीला होता है और इसी टैग से ही गौवंशों की संख्या के आधार पर प्रशासन व्यवस्था करता है। लेकिन भड़सारी पशु आश्रय स्थल पर लगभग 60 गोवंश ऐसे हैं जिनको टैग नहीं लगाया गया है। इसका टैगिंग न होना ही जिम्मेदारों को कार्यवाही से बचाता है। मृत गोवंशों के कान पर लगे टैग भड़सारी पशु आश्रय स्थल पर आज तक नहीं दिख सके। पता चला कि पशु चिकित्सक की मिलीभगत के कारण यह खेल हो रहा है। बिना टैग वाले गोवंश संख्या को स्थिर रखने में मदद करते हैं।
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नहीं हुआ ब्लीचिंग पाउडर व कीटनाशक दवा का छिड़काव
कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से शासन व प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्रों में समय समय पर ब्लीचिंग पाउडर व कीटनाशक दवा के छिड़काव के लिए निर्देशित किया था लेकिन गांव तो दूर संवेदनशील माना जाने वाला पशु आश्रय स्थल ही ब्लीचिंग पाउडर व कीटनाशक दवा से अछूता है। यहां अभी तक ब्लीचिंग पाउडर व कीटनाशक दवा का छिड़काव नहीं हो सका है। प्रधान ने पूर्व में ही कहा था कि ग्राम सचिव कोई बात उन्हें नहीं बताते हैं। प्रधान ने यह भी कहा कि ऐसे किसी भी निर्देश के विषय में उन्हें जानकारी नहीं है। इस सम्बन्ध में प्रभारी बीडीओ राकेश प्रसाद का कहना है कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है, वह इसे दिखवायेंगे।
रिपोर्ट: अखंड प्रताप सिंह
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