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रात में आई काॅल नहीं रहीं मां, लेकिन ड्यूटी पूरा करने के बाद ही घर पहुंचा एंबुलेंस चालक
कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए एंबुलेंस चलाते हुए शिफ्ट के दौरान रास्ते में एंबुलेंस चालक को खबर मिली कि उनकी माँ का निधन हो गया है। लेकिन उसने ड्यूटी को नहीं छोड़ा।
मैनपुरी: एक एंबुलेंस चालक (Ambulance driver) ने लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है। साथ ही उसने अपने काम को पूरी निष्ठा से करके ये बताया है कि कोरोना वॉरियर (Corona warrier) कोई भी बन सकता है। ये घटना 15 मई की है जब कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए एंबुलेंस चलाते हुए अपनी शिफ्ट के दौरान रास्ते में एंबुलेंस चालक प्रभात यादव को खबर मिली कि उनकी माँ का निधन हो गया है। लेकिन इस दुख की घड़ी में भी उसने हौसल बनाए रखा। उसने ड्यूटी को नहीं छोड़ा। वह रात भर काम करता रहा। 15 मरीजों को अस्पताल ले गया और घर जाने से पहले अपनी शिफ्ट खत्म की। उसके बाद वह अपने गांव आया। मैनपुरी में अपनी मां का अंतिम संस्कार करने के बाद तत्काल वह 24 घंटे में काम पर वापस आ गया।
प्रभात यादव ने कहा कि मैं जो कर रहा था उसे छोड़ नहीं सकता था। हम जो काम करते हैं वह महत्वपूर्ण है प्रभात नौ साल से 108 सेवा के लिए एंबुलेंस चला रहा हैं। पिछले साल मार्च में जब सभी जिला एंबुलेंस कोविड रोगियों के लिए निर्धारित किए गए थे, वह भर्ती होने वाले पहले लोगों में से था। उनकी कोविड ड्यूटी नवंबर तक जारी रही। जब पिछले साल के अंत में मामले कम होने लगे, तो कुछ एम्बुलेंसों को नियमित सेवाओं के लिए फिर से इस्तेमाल किया गया। अप्रैल में प्रभात वापस कोविड ड्यूटी पर थे। मथुरा की 102 और 108 एंबुलेंस सेवाओं के कार्यक्रम प्रबंधक अजय सिंह ने कहा, "मैंने उसे उसकी माँ के अंतिम संस्कार के बाद कुछ दिनों के लिए घर पर रहने के लिए कहा था, लेकिन वह मरीजों की मदद करना चाहता था। वह एक समर्पित कार्यकर्ता हैं, हमेशा सहायक होते हैं।"
पिता की मौत पर भी नहीं ली थी छुट्टी
अजय सिंह ने ही प्रभात के लिए मथुरा से मैनपुरी के लिए परिवहन की व्यवस्था की, जिस दिन उनकी मां की मृत्यु हुई थी। सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध नहीं था। वह अगले दिन लगभग 1.30 बजे वापस आया और सुबह की शिफ्ट के लिए रिपोर्ट किया। 2020 जुलाई में प्रभात के पिता की कोरोना से मृत्यु हो गई थी। तब भी, प्रभात एक दिन के लिए ही घर गया था। प्रभात का कहना है कि "मेरी माँ चली गई है। अगर मैं कुछ लोगों को बचा सकता हूं, तो मुझे अपने आप पर गर्व होगा और मेरे इस काम से मेरी माँ की आत्मा को शांति मिलेगी।