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पिता के सपने को पूरा करने के लिए किया ये काम, अब तक 900 लोगों की बचा चुके हैं जान

Aditya Mishra
Published on: 25 July 2018 2:09 PM IST
पिता के सपने को पूरा करने के लिए किया ये काम, अब तक 900 लोगों की बचा चुके हैं जान
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लखनऊ: मन में अगर कुछ करने का 'जज्बा' हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। इस कहावत को यूपी के फतेहपुर के रहने वाले अशोक सिंह ने सच साबित कर दिखाया है। वे दिन हो या रात जरूरतमंद लोगों को एक कॉल पर फ्री में एम्बुलेंस उपलब्ध कराने का काम करते है। इस काम को शुरू करने में उन्हें तमाम मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कोशिश जारी रखी। अब तक वे 900 लोगों को एम्बुलेंस मुहैया कराकर उनकी जान बचा चुके है।

newstrack.com आपको अशोक सिंह की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में बता रहा है।

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पिता से मिली थी ये सीख

अशोक सिंह (55) फतेहपुर के मूल निवासी हैं। उनके पिता रामेश्वर सिंह का महाराष्ट्र के पुणे में बड़ा कारोबार था। जनसेवा और धार्मिक कामों में गहरी दिलचस्पी के कारण उन्हें तपस्वी उपनाम मिला। पिता को देखकर अशोक का मन भी बचपन से ही धर्म -कर्म के कार्यों में कुछ ज्यादा ही लगता था। उनके पिता उन्हें हमेशा लोगों की मदद करने की सीख दिया करते थे।

ऐसे शुरू हुआ था मदद का सिलसिला

अशोक सिंह के पिता ने उन्हें पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद गांव वापस लौटने की बात कही थी। उनका सपना था कि बेटा कोई ऐसा काम करे जिससे लोगों की मदद हो सके। अपनी पिता की इच्छा का आदर करते हुए अशोक सिंह ने कॉलेज की पढ़ाई के बाद मातृभूमि लौटने का फैसला किया। जनवरी-2007 में वह कार से कहीं जा रहे थे कि रास्ते में ऐक्सिडेंट में घायल एक महिला दिखी। अशोक को तुरंत पिता की बात याद आई। उन्होंने घायल महिला को गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया।

लोगों की मदद के लिए खरीदी एम्बुलेंस

इसके बाद कुछ दिनों में उन्होंने खुद के खर्च से एक ऐम्बुलेंस खरीदी और उस पर अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर दिया। तब से अब तक पूरे फतेहपुर में उनका मोबाइल नंबर इतना आम हो चुका है कि लोग घायलों की मदद के लिए डायल-100 या 108 पर कॉल करने के पहले उन्हें कॉल करते हैं। दिन-रात किसी भी वक्त अशोक घटनास्थल पर पहुंच कर घायलों को अस्पताल पहुंचाते हैं।

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रेल हादसे में की थी मदद

जुलाई-2011 में मलवां में कालका मेल भीषण एक्सिडेंट का शिकार हुई थी। रेलवे और जिला प्रशासन की ऐम्बुलेंस कम पड़ जाने के कारण अशोक सिंह ने 20 घंटे तक लगातार घायलों को अस्पताल पहुंचाया था। अगर निजी यात्रा के दौरान भी उन्हें कोई घायल दिख जाता है तो उसे अस्पताल पहुंचाने में वे अपना फर्ज मानते है। इसके लिए वे अपनी गाड़ी में हमेशा प्लास्टिक शीट और दस्ताने रखते है।

अब तक बचा चुके है 900 लोगों की जान

फोन पर मिलने वाली सूचनाओं के आधार पर अशोक सिंह मौके पर पहुंच जाते है और उसे अपनी एम्बुलेंस में बिठाकर फौरन हॉस्पिटल ले जाते है। वे मरीज के साथ तक तक रहते है जब तक कि उसका इलाज न शुरू हो जाये। अगर किसी कारणवश मरीज की डेथ हो जाती है तो वे अपने खर्च से ही डेडबॉडी को उसके पते तक भी पहुंचाते है। वे अब 900 लोगों की जान बचा चुके है साथ ही 340 शवों को ससम्मान पोस्टमॉर्टम हाउस तक पहुंचा चुके हैं।

Aditya Mishra

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