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Varanasi News: बीएचयू वैज्ञानिक की खोज, अमेरिकी कंपनी ने प्रयोग के लिए लिया लाइसेंस

Varanasi News: डॉ. अखिलेश कुमार क्रिसपर-कैस9 आधारित डीएनए रूपांतरण/जीनोम एडिटिंग में आरएनए की पहचान के लिए प्रभावी तरीका विकसित किया है।

Durgesh Sharma
Written By Durgesh Sharma
Published on: 5 Jan 2023 8:45 PM IST
Varanasi News
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Varanasi News (BHU)

BHU News: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वनस्पति वैज्ञानिक डॉ.अखिलेश कुमार की खोज के लिए अंतरराष्ट्रीय दवा कंपनी न्यूबेस थिरेप्युटिक्स ने लाइसेंस लिया है। अमेरिका की जेनेटिक मेडिसिन कंपनी न्यूबेस थिरेप्युटिक्स ने इसके प्रयोग का लाइसेंस लिया है। डॉ. अखिलेश कुमार क्रिसपर-कैस9 आधारित डीएनए रूपांतरण/जीनोम एडिटिंग में आरएनए की पहचान के लिए प्रभावी तरीका विकसित किया है। जीनोम एडिटिंग की आवश्यकता दवा निर्माण, कृषि अनुसंधान तथा वैज्ञानिक शोध के कई क्षेत्रों में पड़ती है।

ऐसे काम करती है तकनीक

जीनोम एडिटिंग के लिए कई तकनीकें उपलब्ध है, जिनमें से क्रिस्पर-कैस9 सबसे नई तकनीक है, जो न केवल सबसे ज्यादा प्रभावी और आसान है बल्कि किफायती भी है। क्रिस्पर-कैस9 के दो भाग होते है, कैस9 एंजाइम- जो डीएनए को काटता है तथा गाइड-आरएनए- जो टारगेट डीएनए को ढूंढकर उससे जुड़ता है, उसके बाद वांछित डीएनए को काटने में कैस9 एंजाइम को गाइड करता है। डीएनए के कट जाने के बाद वैज्ञानिक, कोशिका के डीएनए मरम्मत तंत्र का प्रयोग कर डीएनए को आवश्यकतानुसार बदलाब या उसमें सुधार कर सकते हैं।

सबसे प्रभावी है तकनीक

किसी जीन को एडिट करने के लिए कई गाइड-आरएनए का प्रयोग किया जा सकता है, हलाकि कौन सा गाइड-आरएनए सबसे बेहतर काम करेगा इसका अनुमान लगाना कठिन होता है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित विज्ञान संस्थान के वनस्पति विज्ञान विभाग में सहायक आचार्य डॉ. अखिलेश कुमार ने सबसे बेहतर काम करने वाले गाइड-आरएनए की पहचान का एक आसान तथा प्रभावी तरीका खोजा है।

अमेरिका के मयामी विश्विद्यालय में डॉ. फैंगलिआंग झांग की लैब में पोस्टडॉक्टोरल रिसर्च के दौरान डॉ. कुमार ने यह खोज की थी। इस तरीके को विकसित करने के लिए उन्होंने एक निष्क्रिय फ्लोरेसेंट प्रोटीन लिया जिसे कैस9 एंजाइम और गाइड-आरएनए की मदद से एडिट करके पुनः सक्रिय किया जा सकता हैं। उन्होंने अपने शोध में पाया की सबसे बेहतर काम करने वाले गाइड-आरएनए प्रोटीन की सक्रियता को सबसे ज्यादा पुनर्स्थापित कर रहे थे।

क्रिस्पर-कैस9 ने खोज के लिए इन्हें मिला था नोबेल पुरस्कार

इस तरीके के महत्व और क्षमता को देखते हुए अमेरिका की जेनेटिक मेडिसिन कंपनी न्यूबेस थिरेप्युटिक्स ने इसके प्रयोग का लाइसेंस लिया है। कंपनी ने लाइसेंस करार में डॉ. अखिलेश कुमार का नाम योगदानकर्ताओं के रूप में शामिल किया है।

डॉ. कुमार ने बताया की क्रिस्पर-कैस9 जीनोम एडिटिंग की सबसे प्रख्यात तकनीक है, और वैज्ञानिको की पहली पसंद है, जिसका प्रयोग फसल उत्पादन तथा अनुवांशिक रोगो के निदान में किया जा रहा है। इस तकनीक के अविष्कार के लिए इमैनुएल कारपेंटर और जेनिफर डूडना को वर्ष 2020 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था।

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