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अमेठी दौरों से राहुल गांधी को चुनौती दे रहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी
असगर नकी
अमेठी: दशकों से अमेठी नेहरू-गांधी परिवार के किले जैसी है। इस इलाके में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम भी हुए, वो गुजरे दौर की बात हो या फिर यूपीए राज का एक दशक का टाइम पीरियड। तमाम जतन के बाद राहुल गांधी का 2014 का चुनावी रिपोर्ट कार्ड दो बार के मुकाबले गेस मार्क के मानिंद रहा। इसके बाद से उनकी प्रतिद्वंद्वी भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का अमेठी में बराबर आना-जाना लगा हुआ है। कहने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि कहीं वे छोटी-छोटी सौगातों के साथ 2019 में राहुल गांधी के लिए चुनौती न बन जाएं।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी यूं तो अमेठी के सियासी दंगल की पराजित नेता हैं। 2014 के सियासी दंगल में उन्हें शिकस्त मिली थी। इसके बावजूद उन्होंने न तो अमेठी आना छोड़ा और न यहां के लिए सौगातों का लाना। वो जब भी अमेठी आईं तो हाथों में सौगातों की पोटली लेकर। 4 जनवरी को नए साल के आगाज पर भी वो अमेठी आईं तो उनके हाथों में गौरीगंज स्थित संयुक्त अस्पताल के लिए सिटी स्कैन मशीन की सौगात थी। ये सौगात अमेठीवासियों के लिए किसी हीरे से कम नहीं थी। वो इसलिए कि अमेठी जैसे वीवीआईपी जिले में इस मशीन के न होने से जिले के लोगों को लखनऊ, रायबरेली जाकर धक्के खाने पड़ते थे।
पिछले साल भी खोला था सौगातों का पिटारा
नए साल में इस सौगात से ठीक पहले पुराने साल के अंत में यानी ठीक बारह दिन पहले 23 दिसम्बर 2018 को भी स्मृति ईरानी अमेठी लोकसभा के सलोन तहसील के छतोह ब्लाक पर पहुंची थीं। यहां पर वे 100 कुम्हारों को इलेक्ट्रिक चाक और 50 मधुमक्खी पालकों को 500 मधुमक्खी बॉक्स का वितरण करके गई थीं। वो यहां वादा कर गई थीं कि धान की भूसी व गाय के गोबर के द्वारा कागज बनाने का काम भी छतोह ब्लाक में किया जाएगा। उन्होंने लिज्जत पापड़ बनाने के लिए भी महिलाओं को मौका दिलाने का वादा किया। इससे ठीक 36 दिन पहले 19 नवम्बर को उन्होंने अमेठी में अलग-अलग विकास योजनाओं के लिए 80 करोड़ रुपए की कार्ययोजना का शिलान्यास और उद्घाटन किया था जिसमें पिपरी का बांध भी शामिल था।
बीजेपी से कम दोषी नहीं कांग्रेस
उधर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व अमेठी में कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद कांग्रेस के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स को अमेठी से छीन लिया गया। गाहे- बगाहे इसमें स्मृति ईरानी का नाम भी खींचा जाता है। पेपर मिल, मेगा फूड पार्क, ट्रिपल आईटी सरीखे ड्रीम प्रोजेक्ट्स यूपीए सरकार के वो काम हैं जिसके लिए कांग्रेसियों का रोना सुबह-शाम का है। आपको बता दें कि वाराणसी-लखनऊ रेल ट्रैक का दोहरीकरण यूपीए सरकार का ही काम है जो दस सालों में शुरू न होकर अब पूरा कराया जा रहा है। हालांकि सेम प्रोजेक्ट यूपीए सरकार में अमेठी से सटे सुल्तानपुर जिले में पारित हुआ और आज ट्रेनें इस पर फर्राटा भर रही हैं। ऐसे में कांग्रेस जितना दोषी बीजेपी को बता रही है उससे कम दोषी वो स्वयं भी नहीं है।
राहुल के लोगों को दिक्कतों की जानकारी नहीं
यहां सवाल ये है कि बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स पर दिन-रात आंसू बहाने वाले कांग्रेसियों को बुनियादी चीजें क्यों नजर नहीं आई। हाल का ही उदाहरण ले लिया जाए। केंद्रीय मंत्री ने जिस सिटी स्कैन मशीन को अमेठी के लोगों को समर्पित किया वह यूपीए के दस साल के कार्यकाल में नहीं लग पाई। इसके लिए अलग से बजट के प्राविधान की भी आवशकता नहीं थी। यह तो सांसद राहुल गांधी की निधि से लग सकती थी। पिपरी का बांध भी यूपीए सरकार में ही बन सकता था, केंद्र में यूपीए के शासनकाल के दौरान कई बार लोगों ने मांग भी की मगर उनकी मांग अनसुनी कर दी गयी। यह भी हो सकता है कि कांग्रेस अध्यक्ष और अमेठी सांसद राहुल गांधी के मैनेजर शायद लोगों की मूलभूत दिक्कतों के बारे में या तो जानकारी नहीं रखते या आलाकमान को जानकारी देना नहीं चाहते। अगर ऐसा है तो निश्चित रूप से 2019 की डगर बड़ी कठिन है।