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चार माह बाद आई बेटे की लाश ,तो आखरी बार चेहरा देखकर मां बोली- हे भईया उठ जाओ

चार महीनों से एक मां अपने बेटे का आख़री बार चेहरा देखने के लिए तड़प रही थी। शुक्रवार को जब सऊदी अरब से उस बेटे की बाक्स में रखी हुई लाश घर पहुंची तो बिलखते हुए वो बस यही कह सकी, हे भईया उठो। वहां मौजूद महिलाएं उसे दिलासा हुए बोलीं जब तक तुम्हारा भईया था तुम्हारे पास रहा, जिनके थे अब उनके पास गए।

Anoop Ojha
Published on: 18 Jan 2019 3:53 PM IST
चार माह बाद आई बेटे की लाश ,तो आखरी बार चेहरा देखकर मां बोली- हे भईया उठ जाओ
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अमेठी: चार महीनों से एक मां अपने बेटे का आख़री बार चेहरा देखने के लिए तड़प रही थी। शुक्रवार को जब सऊदी अरब से उस बेटे की बाक्स में रखी हुई लाश घर पहुंची तो बिलखते हुए वो बस यही कह सकी, हे भईया उठो। वहां मौजूद महिलाएं उसे दिलासा हुए बोलीं जब तक तुम्हारा भईया था तुम्हारे पास रहा, जिनके थे अब उनके पास गए। वहीं एक मुस्लिम समाज सेवी अब्दुल हक़ ने पीड़ित परिवार की मदद की जिसके लिए परिवार ने उनका धन्यवाद प्रकट किया।

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23 सितम्बर को सऊदी अरब में हार्ट अटैक से हुई थी मौत

दरअस्ल जिले के बाजार शुकुल थाना अंतर्गत सत्थिन गांव निवासी दिनेश कुमार पुत्र श्रीचन्द्र का लगभग चार साल पहले एक घरेलू (साइक ख़ास)ड्राइवर के रूप में कमाने सऊदी अरब के दम्माम शहर में किसी कफील (अरबी शेख) के यहाँ गया था। वहां 23 सितम्बर 2018 को हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई थी। तब से भाई मुकेश कुमार लाश को लानें के लिए दिल्ली जाकर केन्द्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सुलतानपुर के सांसद वरूण गांधी के यहां दौड़ लगाता रहा, किन्तु सफलता हासिल नहीं हुई। दिन बीत रहा था और घर वालों का बुरा हाल हो रहा था।

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मदद करने वाले मुस्लिम समाज सेवी ने नमाज़ छोड़ी दिया लाश को कांधा

अब्दुल हक़ बताते हैं कि हमारा काम सोशल वर्क है। विदेश मंत्रालय के माध्यम से हम डेड बाडी को मंगाते हैं। सुषमा स्वराज के पीए से मिला। सऊदी अरब के रियाद में जो भारतीय दूतावास है वहां के एम्बेसडर और वहां पर जो भी डेड बाडी के काम करने वाले लोग हैं उन सभी को ये जानकारी है के अब्दुल हक़ एक समाज सेवी हैं। फोन जाता है तो उनको बताया जाता है कि घटना फला जगह की है। वो बताते हैं कि अब तक करीब 8-10 डेड बाडी वो मंगा चुके हैं। आज जब डेड बाडी यहां आई तो वो यहां मौजूद रहे और अंतिम संस्कार के लिए जब लाश उठी तो जुमे की नमाज़ का समय था उन्होंने नमाज़ को छोड़ा और मानवता को आगे रखते हुए लाश को कांधा भी दिया।

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Anoop Ojha

Anoop Ojha

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