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Amethi Election History: क्या रहा है अमेठी का चुनावी इतिहास, जानिए सब कुछ
Amethi Election History: प्रियंका के नहीं लड़ने से कांग्रेसी उदास है। पर भाजपा के लोगों की बाछें खिली है।स्मृति ईरानी के लिए वाक ओवर सा है।
Amethi Election History: काफी सस्पेंस के बाद कांग्रेस ने आखिरकार अमेठी और रायबरेली की पारंपरिक नेहरू-गांधी सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अमेठी में कांग्रेस ने गाँधी परिवार के करीबी 63 वर्षीय किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा है। इस सीट से प्रियंका गांधी के उतरने की बात थी। कांग्रेसी भी उनके लिए पलक पाँवड़े बिछा कर बैठे थे। पर अंतिम समय प्रियंका की जगह गांधी नेहरु परिवार के हनुमान कहे जाने वाले किशोरी लाल शर्मा को टिकट थमा दिया गया। प्रियंका के नहीं लड़ने से कांग्रेसी उदास है। पर भाजपा के लोगों की बाछें खिली है।स्मृति ईरानी के लिए वाक ओवर सा है। जानते हैं अमेठी सीट की कुछ ख़ास बातें।
- अमेठी सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी।
- 1967 से सिर्फ पांच प्रत्याशी गैर-गांधी परिवार के रहे हैं।
- स्मृति इरानी (भाजपा) अमेठी की तीसरी गैर कांग्रेसी सांसद हैं।
- 2019 के चुनावों से पहले भाजपा 1998 ने यह सीट जीती थी, जब इसके उम्मीदवार संजय सिंह ने चुनाव जीता था।
- अमेठी से निर्वाचित होने वाले पहले गैर-कांग्रेसी सांसद जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह थे, जिन्होंने इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनावों में जीत हासिल की थी।
- अब तक इस सीट पर हुए 14 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 11 बार जीत हासिल की है।
- 1967 में और फिर 1971 में अमेठी से जीतने वाले पहले कांग्रेस उम्मीदवार वी डी बाजपेयी थे।
- 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।
- 1980 में संजय गाँधी ने इस सीट से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता। उनकी मृत्यु के बाद, उनके बड़े भाई राजीव गांधी ने उपचुनाव में यह सीट जीती। राजीव ने लगातार तीन बार अमेठी निर्वाचन क्षेत्र पर कब्जा बरकरार रखा। 1991 में उनकी हत्या के बाद गांधी परिवार के वफादार सतीश शर्मा ने यह सीट संभाली। उन्होंने 1991 के उपचुनाव और 1996 के लोकसभा चुनावों में इसे जीता, लेकिन 1998 के चुनावों में इसे बरकरार रखने में असमर्थ रहे।
- 1999 के चुनाव में अमेठी से चुनावी शुरुआत करते हुए सोनिया गाँधी ने यह सीट जीती।
- 2004 में सोनिया अपने बेटे राहुल के चुनावी डेब्यू के लिए अमेठी सीट छोड़कर पड़ोसी क्षेत्र रायबरेली चली गईं।
- राहुल गाँधी ने 2019 में ईरानी के हाथों अपनी चौंकाने वाली हार से पहले 2004, 2009 और 2014 में तीन बार यहाँ से जीत हासिल की थी।
वोट शेयर
- वोट शेयर के मामले में, कांग्रेस आठ चुनावों में 50 फीसदी से अधिक वोट हासिल करके अमेठी में सबसे आगे रही है।
- 1981 के उपचुनाव में राजीव गाँधी ने अमेठी में रिकॉर्ड 84.18 फीसदी वोट शेयर हासिल किया।
- पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन 1998 में था, जब उसे मतदान में केवल 31.1 फीसदी वोट हासिल हुए थे।
- 1967 में अमेठी का पहला लोकसभा चुनाव भी वोटों के मामले में सबसे कड़ा मुकाबला था, जिसमें केवल 2.07 प्रतिशत वोटों के अन्तर से कांग्रेस ने भारतीय जनसंघ को हराया था।
- 1977 में जब कांग्रेस पहली बार अमेठी सीट हारी तब उसे सिर्फ 34.47 फीसदी वोट मिले, जो जनता पार्टी के 60.47 फीसदी से काफी पीछे थे।
- 1990 के दशक से, भाजपा अमेठी में कांग्रेस की प्राथमिक प्रतिद्वंद्वी रही है, हालांकि 2004 और 2009 में बसपा इस सीट पर उपविजेता रही।
विधानसभा क्षेत्र
- लोकसभा में अपने प्रदर्शन के बावजूद कांग्रेस इस सीट पर पिछले दो यूपी विधानसभा चुनावों में भाजपा से पिछड़ गई।
- 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अमेठी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में सबसे अधिक संयुक्त वोट शेयर हासिल किया।
- 2017 में भाजपा को कांग्रेस के 24.4 फीसदी के मुकाबले 35.7 फीसदी वोट मिले।
- 2022 में, भाजपा ने अपनी बढ़त 41.8 फीसदी तक बढ़ा दी। उसके बाद समाजवादी पार्टी 35.2 फीसदी और कांग्रेस 14.3 फीसदी वोटों के नीचे।
- 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अमेठी में किसी भी सीट पर जीत हासिल करने में विफल रही, जबकि भाजपा ने तीन सीटें और सपा ने दो सीटें जीतीं।
- 2017 में भाजपा ने चार और समाजवादी पार्टी ने एक सीट जीती थी।