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Amethi News: सन्यासी के भेष में मिला बीस वर्ष पूर्व गायब हुआ बेटा, पर घर वापसी के लिए रखी अजीब शर्त
Amethi News: जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। जहां बीस वर्ष पहले गायब युवक अचानक योगी बाबा के रूप में गांव आ गया।
Amethi News: जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। जहां बीस वर्ष पहले गायब युवक अचानक योगी बाबा के रूप में गांव आ गया। उसकी पहचान होने पर गांव वालों ने उनके पिता को बेटे के मिलने की सूचना दी। बेटे ने वापस आने के लिए ऐसी शर्त रखी जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। योगी बेटे ने अपने पिता से पहले ग्यारह लाख रुपए की मांग किया। काफी मान मनौव्वल के बाद मामला तीन लाख साठ हजार रुपए पर डील फाइनल हुई। शंका होने पर पीड़ित पिता ने पुलिस को शिकायती पत्र देकर बेटे की वापसी के लिए गुहार लगायी है।
जिले के जायस थाना क्षेत्र के खतौली गांव के रहने वाले रतीपाल सिंह ने पुलिस को दिए शिकायती पत्र में बताया है कि उसका लड़का आज से 20 साल पहले दिल्ली से खो गया था जो अब योगी के रूप में मिला है। हमने उसे पहचाना है। हम उसे अपने साथ रखना चाहते है। लेकिन मेरा बेटा मांग कर रहा है कि हमारे गुरूजी द्वारा तीन लाख 60 हजार रुपए भण्डारे के खर्च के लिए मांग की जा रही है। तीन लाख साठ हजार रुपए देने के बाद ही हम साथ रह सकते है। पीड़ित पिता ने पुलिस से शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाई है। लगभग एक पखवारे पूर्व एक युवक सन्यासी के रूप में गेरुआ वस्त्र धारण किए हाथ में सारंगी बजाते हुए बीस वर्ष बाद अपने जन्म भूमि आया। वह सन्यासी गोपीचंद और राजा भरथरी की लोकगाथा सुना रहा था। गुरु गोरखनाथ की महिमा बता रहा था। जब गांव वाले उसे पहचान लिए उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। सन्यासी के घर वाले उसे देखते ही असमंजस के भंवर में फंस गए।
दस साल की उम्र में हुआ था गायब
लगभग बीस वर्ष पूर्व 2002 में अमेठी के खतौली गांव में रहने वाले रती पाल का परिवार दिल्ली में रहता था। उसके साथ वहां उसका बेटा और उसकी दूसरी पत्नी रहती थी। घर में किसी बात को लेकर कहा सुनी हुई जिसके बाद उसका दस वर्षीय बेटा कहीं गायब हो गया। काफी खोजबीन के बाद भी वह नहीं मिला। थक हारकर बच्चे के परिजन यह मान कर शांत हो गए कि हमारी किस्मत में हमारा बच्चा नहीं है। उन लोगों को यह भी नहीं पता था कि वह बच्चा अब तक जिंदा भी होगा। एक पखवारे पूर्व जब बच्चा बाबा के रूप में अपने गांव पहुंचा तो परिवार के लोगों ने उसे पहचान लिया। उसके पेट में ऑपरेशन के निशान से बच्चे की पहचान हो गई।
युवक अपने घर वालों से मिलने नहीं आया है। बल्कि संन्यासी जीवन के एक अहम विधान पूरा करने आया है। दरअसल, जोगियों की एक परंपरा है। जिसके अनुसार संन्यास धारण करने के बाद, मां से भिक्षा पाना अनिवार्य है। कोई जोगी तभी बनता है, जब उसे अपने माँ के हाथ से भिक्षा मिलती है। अब युवा जोगी अपने घर लौटा है। अभी उसका संन्यास पूरा नहीं हुआ है। जब उसके पिता ने उसे घर में रुकने के लिए कहा तो उसने बताया कि गुरु दक्षिणा के रूप में रुपए देने होंगे पहले उसने ग्यारह लाख रुपए की बात कहा। जब उसके पिता ने इतना रुपए देने से असमर्थता जताई तो मामला तीन लाख साठ हजार रुपए पर अटक गया। जब उसके पिता को शक हुआ तो उसने पांच दिन पूर्व पुलिस का सहारा लिया इसी बीच अटकलों का बाजार गर्म है।