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Meerut : कभी PM मोदी के खिलाफ आवाज उठाने वाले अमित जानी पर चढ़ा 'योगी भक्ति' का रंग

Meerut: अमित जानी पिछले कुछ अर्से से खुद को योगी के 'कट्टर भक्त' बनने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।अमित जानी 'योगी फॉर पीएम' मुहिम के नाम पर PM मोदी के खिलाफ भी आवाज उठा चुके हैं।

Sushil Kumar
Written By Sushil Kumar
Published on: 22 Sept 2022 8:55 AM IST
amit jani reached yogi temple in ayodhya offered silver umbrella amit jani political career
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अमित जानी 

Amit Jani News : यूपी की राजधानी में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने के आरोप में करीब चार महीने लखनऊ जेल की सलाखों के पीछे गुजारने वाले उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना (यूपीएनएस) के मुखिया अमित जानी पिछले कुछ अर्से से खुद को योगी के 'कट्टर भक्त' बनने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। अमित जानी 'योगी फॉर पीएम' मुहिम के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी आवाज उठा चुके हैं। लखनऊ में नरेंद्र मोदी के खिलाफ और योगी के पक्ष में होर्डिंग लगवाए। ताजमहल को लेकर फेसबुक पर की गई टिप्पणी पर उनकी गिरफ़्तारी भी हो चुकी है।

विवादित बयान देकर सुर्खियों में रहने वाले उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष अमित जानी अपने राजनीतिक फायदे और मीडिया में सुर्खियों में रहने के आदी माने जाते हैं। अमित जानी लखनऊ में 26 जुलाई 2012 को पूर्व सीएम मायावती की प्रतिमा तोड़ने के आरोप में पहली बार विवादों में आए थे। इसके बाद अमित जानी ने 2016 में दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में देश विरोधी नारेबाजी मामले के बाद तब के जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया को गोली मारने की धमकी दी थी। कन्हैया को धमकी देने के मामले में अमित जानी को गिरफ्तार भी किया गया था।

जानी के कारनामों की लंबी फेहरिस्त

जानी ने जेएनयू में छात्र नेता उमर खालिद की हत्या के लिए तमंचा भेजा, यूपी से कश्मीरियों को भगाने के लिए पोस्टर लगवाए और कश्मीर में जाकर पत्थरबाज को पीटकर वीडियो वायरल किया और मॉब लिंचिंग में शामिल विवादित लोगों को अपने संगठन से चुनाव लड़ाने का ऐलान किया। फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के बयान से नाराज होकर उनके पाकिस्तान जाने के लिए हवाई टिकट भेजा। अमित जानी आजम खान से खुद की जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार भी लगा चुके हैं। कुल मिला उनके इस तरह के कारनामों की एक लंबी फेहरिस्त है।

सुर्खियों में रहने के लिए 'कुछ भी करेगा'

कहने का मतलब यह है कि सुर्खियों में रहने के लिए अमित जानी कब क्या रुख अख्तियार कर बैठे या फिर कब किसके मुरीद बन जाए और कब उसी के दुश्मन कोई नही जानता। अमित जानी कभी सपा के समर्थक और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी माने जाते थे। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने खुद को सपा कार्यकर्ताओं से जान का खतरा बताया था। सुर्खियों में रहने के शौक के चलते ही अमित जानी ने उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना का किया था।

राज ठाकरे की मनसे की तर्ज पर बनाई 'सेना'

दरअसल, जब 2009 में महाराष्ट्र में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने हिंदी भाषियों का उत्पीड़न शुरू किया था। अमित जानी ने उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना बनाई और उसका स्वयंभू अध्यक्ष बन गए। उसने 2010 में छीपीटैंक स्थित शिवसेना कार्यालय में आगजनी और तोड़फोड़ की। लंबी गाड़ियों के काफिले में हूटर बजाकर चलना मानो अमित का शगल था। सफारी गाड़ियों का काफिला, वॉकी टॉकी और हथियारबंद साथी मेरठ में अमित की पहचान से बन गए थे। पुलिस रिकॉर्ड में उसके खिलाफ 14 मामले दर्ज हैं।

समय पर बदलते रहे हैं रंग

मेरठ के जानी क्षेत्र के रहने वाले अमित जानी को दशकों से जानने वाले जानी को पूरी तरह स्वार्थी, अहंकारी और तमाशेबाज के अलावा कुछ नहीं मानते। यही वजह है कि सपा के सत्ता में रहने के दौरान अमित जानी कट्टर सपा समर्थक के रूप में दिखे। सपा में भी कभी मुलायम सिंह भक्त बने तो कभी अखिलेश यादव तो कभी शिवपाल यादव समर्थक। मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ने तो जब अमित जानी को भाव नहीं दिया तो अमित जानी अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव के पीछे हो लिए। शिवपाल सिंह यादव ने अमित की भक्ति से खुश होकर नवम्बर 2019 में अमित जानी को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी युवजन सभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।

दांव उल्टे भी पड़े

शिवपाल यादव को खुश करने की गरज से उन्होंने मीडिया में शिवपाल यादव के पक्ष और अखिलेश यादव के खिलाफ बयान रूपी आग उगलनी शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान भी किया था। हालांकि, उन्होंने ऐन वक्त पर नामांकन ही नहीं किया। शिवपाल यादव ने 2022 के चुनाव के लिए उन्हें मेरठ की सिवालखास सीट से अपनी पार्टी के उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। लेकिन,सपा से गठबंधन में चाचा को भतीजे से मात्र एक सीट वो भी उनकी ही मिली। सो,अमित जानी टिकट से वंचित रह गए।

दर-दर भटके जानी, मगर कहीं नहीं मिला आसरा

अपने व्यवहार के अनुरूप अमित जानी ने तुरन्त शिवपाल यादव का हाथ झटक कर कर कांग्रेस की शरण ली। लेकिन कांग्रेस से भी उनको जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाक जैसी पार्टी से टिकट लेकर सिवालखास से चुनाव लड़ा। नतीजा उम्मीदों के अनुरूप ही रहा। मसलन,अमित जानी की जमानत जब्त हो गई। फिलहाल,अमित जानी पर मुख्यमंत्री योगी का पूरा रंग चढ़ा हुआ है। श्री योगी मंदिर में सवा किलो का चांदी का छत्र चढ़ाने के दौरान उन्होंने योगी को कलयुग का अवतार ही बता डाला।



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aman

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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