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अमिताभ ठाकुर: योगी Govt. ने किया सपा सरकार में तैनात अफसरों का बचाव
लखनऊ: योगी सरकार ने पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के दौरान मुलायम सिंह यादव द्वारा फोन पर धमकी देने के बाद तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी, एडीशनल चीफ सेक्रेटरी और प्रमुख सचिव द्वारा कथित रूप से वरिष्ठ आईपीएस अमिताभ ठाकुर को निलंबित कर उन्हें मानसिक रूप से प्रतिाड़ित करने के आरोपों का जोरदार विरोध करते हुए उक्त सभी अफसरों का बचाव किया है।
कोर्ट में सरकार की पैरवी करते हुए मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडे ने खासा जोर देकर कहा, कि तीनों अफसरों ने कानून का पालन ही किया था और तीनों अफसरों ने अमिताभ ठाकुर के प्रति कोई दुर्भावना नहीं दिखाई थी। अतः उनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है।
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अभिताभ ठाकुर को दी छूट
हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस पर स्वयं कोई आदेश करने की आवश्यकता नहीं पायी, लेकिन अभिताभ ठाकुर को छूट दी, कि यदि वे चाहें तो तीनों अफसरों के खिलाफ नियमानुसार उचित कानूनी कार्यवाही प्रारंभ करने को स्वतंत्र हैं।
यह आदेश जस्टिस एसएन शुक्ला व जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने अमिताभ ठाकुर की रिट याचिका पर पारित किया।
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मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप
याची ने वर्तमान चीफ सेक्रेटरी को दो प्रत्यावेदन 6 अप्रैल व 15 मई 2017 को दिए थे, जिसका निस्तारण न होने पर अदालत की शरण ली थी। पहले प्रत्यावेदन में याची ने कहा था, कि जुलाई 2015 से लेकर अप्रैल 2017 तक उसका मानसिक उत्पीड़न किया गया था। क्योंकि उसने सपा मुखिया के खिलाफ आवाज उठाई थी। जिसके बाद तत्ताकालीन चीफ सेक्रेटरी, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी व संबधित प्रमुख सचिव ने उन्हें दुर्भावनावश मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के मकसद से उन्हें निलंबित करवा दिया।
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10 लाख रुपए मुआवजा की मांग
हालांकि, बाद में उन्हें निलंबन की तिथि से बहाल कर दिया गया। जिससे और साफ हो गया कि उन्हें जान-बूझकर प्रताड़ना दी गई थी। अतः मानसिक प्रताड़ना की क्षतिपूर्ति के लिए उन्हें 10 लाख रुपए मुआवजा दिलाया जाए। दूसरे प्रत्यावेदन में अमिताभ ठाकुर ने उन्हें कथित रूप से प्रताड़ित करने वाले तीनों अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की मांग की थी।
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अभी मुआवजा का कारण नहीं दिखता
कोर्ट ने याचिका को ख़ारिज करते हुए पहली मांग पर कहा, कि याची के खिलाफ विभागीय जांच अभी लंबित है और यदि वह जांच में पाक साफ साबित होता है तो उसे निलंबन अवधि का पूरा वेतन मिल ही जाएगा, अतः उसे अभी मुआवजा दिलाने का कोई कारण प्रतीत नहीं होता। दूसरी मांग के बावत बेंच ने कहा, कि उसकी नजर में वह मांग पूरी होने योग्य नहीं है। परंतु याची यदि चाहे तो वह उचित कानूनी कार्यवाही करने को स्वतंत्र है।
इस बीच सुनवायी के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडे ने दखल देेते हुए पूर्ववर्ती सरकार के कृत्यों को न केवल जायज ठहराया, बल्कि यह भी कहा, कि तीनों अफसरों ने कानून सम्मत काम किया था।