×

Amroha Loksabha Seat: दो अल्पसंख्यक उम्मीदवार कर रहे भाजपा की राह आसान

Amroha Loksabha Seat: बसपा ने डॉ. मुजाहिद हुसैन उर्फ बाबू भाई को उतारा है। दो मुस्लिम उम्मीदवार के आने से भाजपा के लिए उम्मीद के बढ़ जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 22 April 2024 8:40 PM IST (Updated on: 10 Aug 2024 7:04 PM IST)
Amroha Loksabha Seat: दो अल्पसंख्यक उम्मीदवार कर रहे भाजपा की राह आसान
X

Amroha Loksabha Seat: कमाल अमरोही और गेंदबाज़ मोहम्मद शमी से रिश्ता रखने वाले अमरोहा में बीते 40 वर्षों से कांग्रेस लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाई है। 28 साल से सपा को भी जीत नसीब नहीं हुई है। जबकि इस सीट ने निर्दल उम्मीदवार को भी जीत का स्वाद चखने का अवसर दिया। बसपा को दो बार यहाँ से विजय मिली है। इस बार मैदान में बसपा छोड़कर आए कुंवर दानिश अली को कांग्रेस ने अमरोहा से उतारा है। तो भाजपा ने यहां से तीसरी बार कंवर सिंह तंवर पर भरोसा जताया है। बसपा ने डॉ. मुजाहिद हुसैन उर्फ बाबू भाई को उतारा है। दो मुस्लिम उम्मीदवार के आने से भाजपा के लिए उम्मीद के बढ़ जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

अमरोहा लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें हैं। इनमें से घनौरा, हसनपुर और गढ़मुक्तेश्वर की सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि दो सीटों नौगावां सादात व अमरोहा सीटों पर सपा का कब्जा है।

जातीय समीकरण

अमरोहा जिले की कुल आबादी 2011 की जनगणना के मुताबिक 1,840,221 है, जिसमें 58.44 फीसदी हिन्दू और करीब 41 फीसदी मुस्लिम हैं। यहां दलित, गुर्जर, सैनी और जाट बिरादरी के वोटर्स अहम भूमिका में हैं।

क्या है खास

अमरोहा जिला महान फिल्मकार कमाल अमरोही, उर्दू शायर जॉन एलिया, भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के नाम पर जाना जाता है।

चुनावी इतिहास

  • अमरोहा संसदीय सीट पर कभी किसी भी दल का दबदबा नहीं रहा है। यह सीट कांग्रेस, सीपीआई, जनता दल, निर्दलीय, सपा, रालोद, भाजपा, बसपा सभी जीत चुके हैं।
  • 1952, 57 और 62 में कांग्रेस के हिफ्जुर्रहमान लगातार संसद पहुंचे। 62 में ही उनका निधन हो गया। 1963 में हुए उपचुनाव में आचार्य जेबी कृपलानी ने कांग्रेस से बगावत करते हुए यहां से खड़े हुए और जीत गए। 1967 और 1971 में सीपीआई के इशाक अली विजयी रहे।
  • अमरोहा में बीते 40 वर्षों से कांग्रेस लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाई है। 28 साल से सपा को भी जीत नसीब नहीं हुई है। बसपा को दो बार जीत मिली है।
  • 1984 में कांग्रेस के रामपाल सिंह इस सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे। उसके बाद से भाजपा ने तीन, बसपा ने दो, सपा, जनता दल और रालोद एक-एक बार चुनाव जीत चुकी है।
  • 2004 में इस सीट से स्वतंत्र रूप से हरीश नागपाल ने जीत हासिल की थी।
  • 2014 में भाजपा ने यहां से दिल्ली निवासी कंवर सिंह तंवर को उतारा और सपा से तत्कालीन मंत्री कमाल अख्तर की पत्नी उम्मीदवार बनीं। बसपा ने फरहत हसन को टिकट दिया। 16 वर्ष के अंतर के बाद 1.58 लाख वोटों के अंतर से कमल खिला।
  • बसपा के टिकट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में दानिश अली ने भाजपा के कंवर सिंह तंवर को 63,248 मतों से हराया था।
  • 2014 में किसान नेता राकेश टिकैत भी रालोद के टिकट पर चुनाव में उतरे थे लेकिन वो चौथे स्थान पर रहे।


Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

Next Story