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आनंदीबेन का आह्वान सिर्फ एकजुट होकर ही रोक सकते हैं ये खतरनाक चीज
छात्राओं से कहा कि यदि उनके माता-पिता 18 वर्ष की आयु से पहले शादी करने का विचार करें तो उन्हें न केवल इसका खुलकर विरोध करना चाहिए, बल्कि इसे रोकने में समाज के जागरूक लोगों को भी साथ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों के सहयोग से ही बाल-विवाह को रोका जा सकता है।
लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित ‘महिलाओं में रक्त की अल्पता’ (एनीमिया) विषयक कार्यक्रम में कहा कि महिलाओं में रक्त की कमी एक ऐसी सामाजिक बुराई है, जिसे दूर करने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की आवश्यकता है। किशोरियों में रक्त की कमी की स्थिति अत्यन्त चिन्ताजनक है।
राज्यपाल ने कार्यक्रम में उपस्थित छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनें तथा पौष्टिक आहार लेने पर विशेष ध्यान दें, न कि जंक फूड पर। उन्होंने कहा कि यदि वे पौष्टिक आहार लेंगी तभी उनके शरीर के अन्दर खून की कमी नहीं होगी। उन्होंने छात्राओं से कहा कि यदि उनके माता-पिता 18 वर्ष की आयु से पहले शादी करने का विचार करें तो उन्हें न केवल इसका खुलकर विरोध करना चाहिए, बल्कि इसे रोकने में समाज के जागरूक लोगों को भी साथ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों के सहयोग से ही बाल-विवाह को रोका जा सकता है।
‘जान है तो जहान है’ सबको दिखाई जाए
राज्यपाल ने कार्यक्रम में प्रदर्शित एनीमिया से सम्बन्धित डाक्यूमेंट्री ‘जान है तो जहान है’ का जिक्र करते हुए कहा कि यह डाक्यूमेंट्री प्रदेश में सभी लोगों को दिखाई जानी चाहिए जिससे लोग जान सकें कि बालिकाओं में रक्त की कमी, बाल-विवाह एवं अल्प आयु में मां बनने से किस तरह की बीमारियों एवं कठिनाइयों से किशोर उम्र की बालिकाओं को गुजरना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह कितने दुःख की बात है कि महिलाएं ही परिवार के सभी लागों के लिए खाना तो बनाती हैं लेकिन वे कभी-कभी खुद खाने से वंचित रह जाती हैं। पुरूष समाज को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए कि जो खाना वे खुद खायें, वही खाना परिवार के अन्य सदस्य भी खायें।
बालिकाओं में खून की कमी की भयावह स्थिति
राज्यपाल ने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में 85 प्रतिशत, आन्ध्र प्रदेश में 77 प्रतिशत, तमिलनाडु में 58 प्रतिशत तथा उत्तर प्रदेश में 56 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी पायी गयी है। यह भयावह स्थिति है। केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा करोड़ों रूपये खर्च करने के बावजूद भी इसमें कोई अन्तर नहीं आया है।
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एनीमिया के खिलाफ जंग में समाज के सभी लोगों को आगे आना होगा तभी इस समस्या का निदान हो सकेगा। इस कार्य में बहुत पैसे की आवश्यकता नहीं है बल्कि केवल जागरूकता से ही इसको दूर किया जा सकता है। बालिकाओं के जन्म से लेकर वयस्क होने तक खान-पान पर विशेष ध्यान देकर खून की कमी की समस्या को समाप्त किया जा सकता है।
जीटीयू व एकेटीयू के बीच एमओयू
उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने-अपने विश्वविद्यालयों में छात्राओं के रक्त की जांच करायें।
राज्यपाल की उपस्थिति में गुजरात टेक्निकल यूनिवर्सिटी, ईडीआईआई गांधीनगर गुजरात तथा एकेटीयू लखनऊ के मध्य एमओयू हस्ताक्षरित हुआ।
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राज्यपाल ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय में जन सुविधा केन्द, निदेशक आवास, बैंक व पोस्ट आफिस भवन तथा सेंटर फार एडवांस स्टडीज में इंडस्ट्रियल आटोमेशन लैब का लोकार्पण किया। इसके अलावा इन्होंने एनीमिया जांच का डाटा एकत्र करने वाले एप तथा एकेटीयू के चैट बाॅट Chat Bot का लोकार्पण किया। डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय चैट बाॅट आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस आधारित तकनीक लागू करने वाला राज्य का पहला विश्वविद्यालय है।
एनीमिया को दूर करने हेतु शपथ
इस अवसर पर राज्यपाल ने एनीमिया को दूर करने हेतु शपथ दिलाई। इससे पहले राज्यपाल ने विश्वविद्यालय प्रांगण में पीपल तथा प्राविधिक शिक्षा मंत्री ने वट का पौधा लगाया। कार्यक्रम में प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमल रानी, एकेटीयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट, ईडीआईआई गांधीनगर गुजरात के महानिदेशक प्रोफेसर सुनील शुक्ला के अलावा अन्य गणमान्य नागरिक एवं छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।