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मेरठ का लाल शहीद: पुलवामा आतंकी हमले में गई जान, रो उठा पूरा जिला

इससे पहले उनका पार्थिव शरीर मंगलवार रात करीब साढ़े नौ बजे मेरठ में उनके पैतृक गांव सिसौली पहुंचा। पार्थिव शरीर आते ही माहौल गमगीन हो गया।

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Published on: 30 Dec 2020 6:04 AM GMT
मेरठ का लाल शहीद: पुलवामा आतंकी हमले में गई जान, रो उठा पूरा जिला
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मेरठ का लाल शहीद: पुलवामा आतंकी हमले में गई जान, रो उठा पूरा जिला (PC: social media)

मेरठ: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए 44वीं राष्ट्रीय राइफल्स के हवलदार अनिल कुमार तोमर (38) के पार्थिव शरीर का यहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। आठ साल के बेटे लक्ष्य ने मुखाग्नि दी।

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पार्थिव शरीर आते ही माहौल गमगीन हो गया

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इससे पहले उनका पार्थिव शरीर मंगलवार रात करीब साढ़े नौ बजे मेरठ में उनके पैतृक गांव सिसौली पहुंचा। पार्थिव शरीर आते ही माहौल गमगीन हो गया। शहीद की मां कुसुम, पत्नी मीनू बेसुध हो गईं। बेटी तान्या और बेटे लक्ष्य का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। परिजनों को देखकर हर आंख नम हो गई। शहीद के अंतिम दर्शन के लिए गांव में लोंगो का हुजूम उमड़ पड़ा। अंतिम संस्कार में मौजूद लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। दुश्मन मुल्क को लेकर लोगों में जबरदस्त गुस्सा था। उनका कहना था कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। आए दिन भारतीय सैनिक शहीद हो रहे हैं। लोगों की मांग थी कि भारत सरकार, पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देकर आतंक का सर्वनाश करे।

शहीद का पार्थिव शरीर खरखौदा के रास्ते मेरठ पहुंचा

शहीद का पार्थिव शरीर खरखौदा के रास्ते मेरठ पहुंचा। गोकुलपुर गांव से काफिला बढ़ता चला गया। हजारों नौजवान तिरंगा लेकर गगनभेदी नारे लगाते हुए चल रहे थे। पूरा माहौल देशभक्तिमय हो गया। इससे सिसौली तक जाम लगा रहा। पुलिस ने रूट डायवर्जन कर वाहनों को निकाला। शहीद की चिता गांव सिसौली स्थित घर के पास खाली प्लॉट में फूलों से सजाई गई। मेरठ कैंट से कर्नल दीपक उप्रेती, कर्नल तरुण भाटिया के साथ आए सेना के जवानों ने शस्त्र उल्टे करते हुए उन्हें अंतिम सलामी दी। प्रदेश सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, सांसद राजेंद्र अग्रवाल, क्षेत्रीय विधायक सत्यवीर त्यागी, डीएम के.बालाजी, एसएसपी अजय साहनी ने पुष्पचक्र अर्पित किए।

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बता दें कि अनिल कुमार तोमर 44वीं राष्ट्रीय राइफल्स में क्यूआरटी की एक प्लाटून के कमांडर थे। वह उस घातक दस्ते का हिस्सा थे, जो सिर्फ आतंकी ऑपरेशन की कमान संभालता है। 26 दिसंबर को एक गांव में आतंकी छिपे होने की खबर मिली। यह दस्ता सर्च ऑपरेशन में जुट गया। दो आतंकी मार गिराए। तीसरे आतंकी ने फायरिंग कर दी। अनिल के पैर में पांच गोलियां लगी। उन्हें श्रीनगर के सैन्य हॉस्पिटल में भर्ती कराया। सोमवार को उपचार के दौरान वह वीरगति को प्राप्त हो गए।

रिपोर्ट- सुशील कुमार

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