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Varanasi News: घाट पाठशाला से तैयार हो रहे हैं देश के भविष्य, गरीब बच्चों के लिए वरदान बना अंकुर पाठशाला
Varanasi News: काशी में एक ऐसी भी संस्था है जो मां गंगा के पावन तट पर खुले आसमानों के नीचे बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही है। संस्था को चलाने वाली रोली सिंह ने बताया कि पहले हम 11 बच्चों को लेकर शिक्षा देने का कार्य प्रारंभ किया था।
Varanasi News: काशी में एक ऐसी भी संस्था है जो मां गंगा के पावन तट पर खुले आसमानों के नीचे बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही है। संस्था को चलाने वाली रोली सिंह ने बताया कि पहले हम 11 बच्चों को लेकर शिक्षा देने का कार्य प्रारंभ किया था। इन बच्चों को सिर्फ निशुल्क शिक्षा ही नहीं दिया जाता बल्कि इनके शारीरिक विकास का भी ध्यान रखा जाता है तथा बच्चों को खेल के प्रति भी घाट पर ही प्रोत्साहित किया जाता है। बच्चों को विभिन्न खेलों की बारीकियां भी सिखाई जाती है ताकि बच्चों का ना सिर्फ मानसिक विकास हो बल्कि शारीरिक विकास भी हो। 11 बच्चों के साथ प्रारंभ हुआ यह कारवां आज लगभग सैकड़ों बच्चों के करीब पहुंचने वाला है। खुला आसमान संस्था के संस्थापक रोली सिंह का कहना है कि शिक्षा एवं जागरूकता से ही एक सशक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है। हम लोगों की संस्था भी शिक्षा को अपना अस्त्र बनाकर समाज को सशक्त भारत निर्माण के लक्ष्य को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है।
3 बजे से 7 बजे तक चलती हैं क्लास
संस्था की संस्थापक रोली सिंह का कहना है कि हमारी संस्था गरीब असहाय अनाथ या किसी कारणवश शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए खुला आसमान संस्था अपनी अंकुर पाठशाला के माध्यम से बच्चों को शिक्षित बनाने में जुटा हुआ है। उन्होंने बताया कि रविदास घाट पर बच्चों की पाठशाला जिसे हम अंकुर पाठशाला के नाम से जानते हैं शाम 3 बजे से 7 तक चलती है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्था खुला आसमान बच्चों की शिक्षा के साथ महिलाओं के बीच शिक्षा स्वास्थ्य व स्वरोजगार के प्रति जागरूकता अभियान भी चलाता है। इस संस्था में 8 शिक्षक हैं जो बच्चों को पढ़ाने का कार्य करते हैं। हमारे संस्था में ऐसे बच्चे भी हैं जो अपने से छोटे बच्चे को पढ़ाती हैं तथा स्वयं भी अध्यापिका से पढ़ती हैं। इनमें दो बच्चियां है जो पढ़ने के साथ पढ़ाने का भी कार्य करती है जिनका नाम दीपिका और साक्षी है। यह संस्था बच्चों की स्कूल फीस भी जमा करती है जो बच्चे पढ़ाई में अच्छे या उन्हें पढ़ने की चाह है परंतु आर्थिक असमानता की वजह से इस स्कूल में दाखिला नहीं ले पाते हैं यह संस्था बच्चों के साथ खड़ी होती है और उनकी पढ़ाई का खर्च खुद वहन करती है।
खुद का पैसा लगाकर बच्चों को कर रहीं शिक्षित
कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह होती है इसकी एक बानगी घाट पर देखने को मिल रही है। रोली अपना पैसा लगाकर बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाईं हैं। 11 बच्चों के साथ शुरु किया था आज 100 से अधिक बच्चे मुफ्त शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। शाम को 3 बजे से पाठशाला शुरु होती है जो शाम 7 बजे तक चलती है। 3 बजे से ही बच्चों का आना शुरू हो जाता है घाट के आसपास के गरीब घरों के बच्चे यहां से शिक्षा प्राप्त करते हैं। बच्चों के पढ़ने लिखने के सामान से लेकर कॉपी किताब और फीस तक भरती हैं। कई बड़े-बड़े स्टार रैंकिंग के स्कूल वाराणसी में है लेकिन किसी भी स्कूल में गरीब बच्चों के लिए कोई स्थान नहीं है। लेकिन सुविधा और साधन विहीन रहने के बाद भी रोली ने शिक्षा को गरीब बच्चों तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।