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2020 के विमलादेवी स्मृति सम्मान की हुई घोषणा, प्रो. शम्भुनाथ को अगले साल मिलेगा ये पुरस्कार

2019 में यह सम्मान सुप्रसिद्ध कथाकार रणेंद्र को उनके कथा साहित्य के लिए दिया गया था। सम्मान के अन्तर्गत सम्मान पत्र और 11 हजार रुपये दिया जाता है।

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Published on: 12 Nov 2020 4:52 AM GMT
2020 के विमलादेवी स्मृति सम्मान की हुई घोषणा, प्रो. शम्भुनाथ को अगले साल मिलेगा ये पुरस्कार
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2020 के विमलादेवी स्मृति सम्मान की हुई घोषणा, प्रो. शम्भुनाथ को अगले साल मिलेगा ये पुरस्कार (Photo by social media)

गोरखपुर: कुशीनारा उच्च अध्ययन संस्थान द्वारा हिन्दी साहित्य में मौलिक और सृजनात्मक योगदान के लिए दिया जाने वाला विमलादेवी स्मृति सम्मान इस वर्ष प्रख्यात आलोचक और सम्पादक तथा कोलकाता विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर शम्भुनाथ को मिलेगा। निर्णायक समिति में अध्यक्ष प्रो. अनिल राय तथा सदस्य प्रो.सदानन्द शाही, डॉ.अनिल कुमार सिंह, डॉ. सर्वेश मौर्य तथा डॉ.उन्मेष कुमार सिन्हा ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया।

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प्रो.शम्भुनाथ का हिंदी साहित्य में मुख्य योगदान आलोचना और सम्पादन के क्षेत्र में है

2019 में यह सम्मान सुप्रसिद्ध कथाकार रणेंद्र को उनके कथा साहित्य के लिए दिया गया था। सम्मान के अन्तर्गत सम्मान पत्र और 11 हजार रुपये दिया जाता है। प्रो.शम्भुनाथ का हिंदी साहित्य में मुख्य योगदान आलोचना और सम्पादन के क्षेत्र में है। उन्होंने नवजागरण और हिंदी साहित्य, प्रेमचंद, रामचंद्र शुक्ल, रामविलास शर्मा तथा अस्मिता संघर्षो का हिंदी साहित्य पर पड़ने वाले प्रभाव और सम्बन्धों को लेकर 20 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। इसमें सामाजिक क्रांति के ‘दस्तावेज’ नामक सुप्रसिद्ध किताब भी शामिल है। वे लम्बे समय तक लोकप्रिय पत्रिका ‘वागर्थ’ के सम्पादक भी रहे।

निर्णायक समिति के अध्यक्ष प्रो.अनिल कुमार राय ने बताया

निर्णायक समिति के अध्यक्ष प्रो.अनिल कुमार राय ने बताया कि आधी शताब्दी से भी अधिक का प्रो. शंभुनाथ का चिंतन और लेखन हमारे अपने समय और अपनी भाषा की अत्यंत मूल्यवान बौद्धिक सम्पदा है। प्रो. सदानंद शाही ने कहा कि प्रो.शंभूनाथ हिंदी नवजागरण की चिंताओं का विस्तार करने वाले आलोचक हैं। उन्होंने अपने सुदीर्घ आलोचनात्मक लेखन से स्वाधीनता संघर्ष और नवजागरण से उपजे मानवीय मूल्यों का हमारे समय के लिए संवहन किया है। उनका आलोचनात्मक लेखन हिन्दी साहित्य की लोकवादी धारा को मजबूत करने वाला है।

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हिन्दी को औपनिवेशिक दबाव से मुक्त करते हुए नये भारत की आशा आकांक्षा के अनुरूप विकसित करने के लिए शंभूनाथ बहुविधि यत्नशील रहे हैं। समकालीन सृजन के माध्यम से हिंदी के लघु पत्रिका आंदोलन को गति और दिशा देने वाले शंभू नाथ संप्रति ‘वागर्थ’ के उत्कृष्ट प्रकाशन से हिंदी की लोक धर्मी चेतना का विस्तार कर रहे हैं। संस्थान के सचिव आनन्द पाण्डेय ने कहा कि सम्मान समारोह का आयोजन अगले वर्ष मार्च-अप्रैल में किया जायेगा।

रिपोर्ट- पूर्णिमा श्रीवास्तव

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