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पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ एक और केस में हुआ संज्ञान

aman
By aman
Published on: 8 Nov 2017 7:40 PM GMT
पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ एक और केस में हुआ संज्ञान
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लखनऊ: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संध्या श्रीवास्तव ने सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति व दो अन्य अभियुक्तों आशीष शुक्ला तथा बबलू सिंह के खिलाफ अपहरण और छेड़छाड़ के मामले में दाखिल एक आरोप पत्र पर बुधवार को संज्ञान लिया।

इसके साथ ही कोर्ट ने अभियुक्तों को अभियोजन प्रपत्रों की नकलें देने का आदेश देते हुए इस मामले की पत्रावली सत्र अदालत को संदर्भित करने हेतु उसके सामने मामला 21 नवंबर को फिर से पेश करने का आदेश दिया है। बताते चलें, कि यह मामला उसी महिला की प्राथमिकी पर चल रहा है जिसने गायत्री व उसके साथियों के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा दर्ज कराया था।

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दरअसल, चित्रकूट की एक महिला ने थाना गोमतीनगर में 26 अक्टूबर, 2016 को आईपीसी की धारा 294, 504 व 506 के तहत मामला दर्ज कराया था। केस में बबलू सिंह व आशीष शुक्ला के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जबकि एक अज्ञात व्यक्ति का नाम भी लिखाया था। विवेचना के दौरान इस मामले में गायत्री का भी नाम प्रकाश में आया। साथ ही, इस मामले में अभियुक्तों के खिलाफ अपहरण व छेड़छाड़ का भी आरोप पाया गया।

27 जुलाई, 2017 को पुलिस ने अपहरण व छेड़छाड़ के आरोपों की बढ़ोतरी करते हुए बबलू व आशीष के साथ ही गायत्री प्रजापति के खिलाफ भी आईपीसी की धारा 354 (ए) (।।), 364, 511, 504 व 506 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया।

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उक्त आरोप पत्र पर संज्ञान के मसले पर अदालत के समक्ष यह सवाल पैदा हुआ कि क्या वादिनी ने स्वयं इस मामले की एफआईआर नहीं दर्ज कराई है। ऐसी स्थिति में विवेचक को वादिनी के हस्ताक्षर का नमूना लेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण कराना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और अनावश्यक रूप से जल्दबाजी में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया।

इसके बाद, कोर्ट ने 9 अगस्त, 2017 को विवेचक को आदेश दिया कि वह इस मामले की वादिनी का हस्ताक्षर नमूना लें। उस नमूने को इस मुकदमे की तहरीर में दर्ज वादिनी की हस्ताक्षर के नमूने से मिलान की त्वरित कार्यवाही करें। साथ ही यह भी आदेश दिया था कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट से अदालत को भी अवगत कराएं। विवेचक ने अदालत को बताया कि आदेश के अनुपालन में वादिनी का हस्ताक्षर नमूना लेने के लिए उसे नोटिस जारी किया गया। लेकिन वह उपस्थित नहीं हुई।

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दूसरी ओर, 13 अक्टूबर, 2017 को इस मामले की एफआईआर दर्ज कराने वाली महिला ने रजिस्टर्ड डाक के जरिए अदालत को एक पूरक शपथ पत्र भेजा। जिसमें कहा है कि उसने यह एफआईआर नहीं दर्ज कराई है। उसने कोई बयान भी नहीं दिया है। यदि कोई बयान दर्ज है, तो उसे नहीं पढ़ा जाए। तब अदालत ने डाक से भेजे गए उसके इस पूरक शपथ पत्र को पत्रावली पर रखने का आदेश देते हुए इस मामले के विवेचक को तलब किया था।

विवेचक ने 24 अक्टूबर, 2017 को बताया कि वादिनी गैंगेरप के एक मामले में गवाही के लिए पाॅक्सो की विशेष अदालत में आई थी। उसने बार-बार हस्ताक्षर का नमूना देने का अनुरोध किया। लेकिन उसने अपना हस्ताक्षर नमूना देने से इंकार कर दिया। विवेचक का कहना था कि वह अभियुक्तों के भय व प्रभाव में ऐसा कर रही है। लिहाजा आरोप पत्र पर संज्ञान लिया जाए।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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