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अबकी बार-हवा में सरकार, फुस्स हुआ एंटी- भूमाफिया सेल
सहारनपुर: योगी सरकार के आते ही एंटी- भूमाफिया सेल का गठन कर दिया गया। जनता को उम्मीद बंधी कि अब भूमाफियाओं द्वारा जमीनों पर कब्जे, अतिक्रमण जैसी घटनाओं पर विराम लगेगा। लेकिन इसके ठीक उलट भूमाफियाओं पर कार्यवाही के दावे हवा-हवाई और एंटी भूमाफिया सेल फुस्स नजर आ रहा है। इसी का परिणाम है कि देवबंद नगर से लेकर देहात क्षेत्र तक तालाबों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है। भूमाफियाओं द्वारा तालाबों की भूमि पर कब्जे कर कालोनियां काट दी गई हैं। जबकि कुछ स्थानों पर मिट्टी का भराव कर तालाबों की पहचान तक समाप्त कर दी गई। सबकुछ जानने के बावजूद प्रशासन तालाब की भूमि को कब्जामुक्त करा पाने में असफल नजर आ रहा है।
ग्राउंड वॉटर का लेवल निम्नतम स्तर पर
तहसील क्षेत्र में भू माफियाओं ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों को धता बताते हुए तालाबों की जमीन पर कब्जे कर रखे हैं। लगातार कम होते जा रहे तालाबों के कारण क्षेत्र में जलवायु और प्राकृतिक संकट खतरे में पड़ गया है। जहां नगर में वर्ष 1965 में जलस्तर 15 फीट पर हुआ करता था वहीं, अब जल स्तर 100-110 फीट पर पहुंच गया है। एक समय था जब ऐतिहासिक व धार्मिक नगरी देवबंद के चारों ओर लगभग एक दर्जन प्रमुख तालाब थे। लेकिन आज इन तालाबों को पाट कर भू-माफियाओं ने प्लाटिंग कर डाली है। मजनूवाला तालाब समेत मोहल्ला पठानपुरा में शेर खां वाला तालाब, रणखण्डी रोड के दो तालाब, सूरजकुण्ड, दुबहा, मरहूम मौलवी उस्मान के बाग का सांपों वाला तालाब, ईदगाह का तालाब, दारुल उलूम तालाब, मंगलौर चौकी के निकट वाला तालाब, कोला तालाब, एसडीएम कोर्ट के सामने वाला तालाब आदि आबादी में बदल गए हैं। वहीं, खेड़ामुगल क्षेत्र में मुगलकालीन संस्कृति से जुड़ा 226 बीघा भूमि के तालाब पर कब्जा होने से उक्त तालाब का आधार भी समाप्त होता जा रहा है। चिंता की बात यह है कि क्षेत्र में बचे-कुचे तालाबों पर भी भू माफिया अपनी गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं। और प्रशासन पूरी तरह से आंखे मूंदे हुए है।
एक हजार से ज्यादा थे तालाब
देवबंद तहसील में वर्ष 1953 में तालाबों का रकबा 376.04 हेक्टेयर था। इस तहसील में 1150 तालाब थे। इनमें से अधिकांश तालाबों पर कब्जा हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पुलिस प्रशासन ने कुछ समय के लिए तालाब की भूमि पर कब्जा करने वालों के खिलाफ अभियान चलाते हुए कुछ तालाबों को कब्जा मुक्त कराया था। लेकिन यह अभियान ऊंट के मुंह में जीरा सिद्ध हुआ और फिर से उन तालाबों पर भू माफियाओं द्वारा कब्जा कर लिया गया।
पानी निकासी के नहीं बचे स्रोत
पूर्व में नगर के चारों ओर तालाबों के अलावा छोटे-छोटे पोखर व गड्ढे थे, जिनमें बरसात का पानी जमा रहता था। वर्तमान में पानी निकासी के स्रोत बने यह पोखर और गड्ढे लगभग समाप्त हो चुके हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि तालाब व पोखरों या वह स्थान जिनमें पानी रुकता हो, उन्हें मूल स्थिति में रखा जाए। इसके बावजूद भूमाफियाओं द्वारा तालाबों के अलावा पोखर व गड्ढों तक पर कब्जे कर लिए गए हैं।
एसडीएम देवबंद राम विलास यादव ने कहा कि तालाबों की भूमि को कब्जा मुक्त कराने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाएगा। हल्का लेखपालों से तालाबों पर कब्जे के संबध में रिपार्ट मांगी गई है। कब्जा करने वाले माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।