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यूपी बना पहलाः हो गई एंटीबॉडी टेस्टिंग की शुरुआत, हेल्थ वर्करों पर किया परीक्षण
एंटीबॉडी टेस्टिंग की हेड डॉक्टर तूलिका चंद्रा ने बताया कि एंटीबॉडी टेस्टिंग रैपिड टेस्टिंग जैसा है, जहां 3 से 4 घंटे में बिल्कुल सटीक नतीजे आते हैं। यह कोरोनावायरस एंटी पीसीआर टेस्ट से इस मायने में अलग है।
लखनऊ: कोरोना के बढ़ते प्रकोप पर लगाम लगाने के लिए टेस्टिंग की प्रकिया सरल करने के साथ उत्तर प्रदेश के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी यानि केजीएमयू में अब कोरोना के एंटीबॉडी टेस्टिंग की शुरुआत की गई है। बता दें केजीएमयू प्रदेश का इकलौता अस्पताल है, जहां एंटीबॉडी टेस्टिंग की शुरुआत हुई है। पहले चरण में 100 हेल्थ वर्कर्स और प्लाज्मा डोनर्स के एंटीबॉडी टेस्ट किए गए हैं।
एंटीबॉडी टेस्टिंग रैपिड टेस्टिंग जैसा है- डॉक्टर तूलिका चंद्रा
उत्तर प्रदेश के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी यानि केजीएमयू के एंटीबॉडी टेस्टिंग की हेड डॉक्टर तूलिका चंद्रा ने बताया कि एंटीबॉडी टेस्टिंग रैपिड टेस्टिंग जैसा है, जहां 3 से 4 घंटे में बिल्कुल सटीक नतीजे आते हैं। यह कोरोनावायरस एंटी पीसीआर टेस्ट से इस मायने में अलग है। यह तय करता है कि किसी व्यक्ति के शरीर में एंटीवायरस बना है या नहीं।
डॉक्टर तूलिका चंद्रा ने कहा कि एंटीबॉडी टेस्टिंग से आने वाले वक्त में जब हर्ड इम्युनिटी की बात होगी तो यह तय होगा कि कितने लोगों के बीच कोरोनावायरस के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी तैयार हो चुकी है। एंटीबॉडी टेस्टिंग सर्विलांस का इस्तेमाल खासकर हेल्थ वर्कर, डॉक्टर, नर्सेज और फ्रंटलाइन वॉरियर्स पर होगा।
प्रदेश में एंटीबॉडी टेस्ट की शुरुआत हो चुकी है
केजीएमयू की डॉक्टर तूलिका चंद्रा का कहना है कि एंटीबॉडी टेस्ट करके देखा जाएगा कि फ्रंटलाइन वॉरियर्स के अंदर यह एंटीबॉडी डिवेलप हुई है या नहीं। अगर यह एंटीबॉडी उनके भीतर डिवेलप हो चुकी होगी तो वह ज्यादा सक्षम होंगे कोरोना से लड़ने के लिए। फिलहाल प्रदेश में एंटीबॉडी टेस्ट की शुरुआत कर दी गई है।
उत्तर प्रदेश में अब तक 550 लोगों की मौत
फिहाल, उत्तर प्रदेश में मरीजों का कुल आंकड़ा 17 हजार 731 है, जिसमें 550 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से अब तक करीब 11 हजार लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि प्रदेश में कुल एक्टिव केस की संख्या 6186 है।