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मंत्री अनुपमा जी ! ये सच नहीं है...आपका जिला ही निकला फिसड्डी

Rishi
Published on: 29 Jan 2018 4:43 PM GMT
मंत्री अनुपमा जी ! ये सच नहीं है...आपका जिला ही निकला फिसड्डी
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लखनऊ : सूबे की बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने जब बेसिक स्‍कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्‍चों की खातिर खुद स्‍वेटर न पहनने का ऐलान किया था तो लगा कि अब नौनिहालों को जल्‍द ही कड़ाके की ठंडक से राहत देने के लिए अधिकारी स्‍वेटर का वितरण करवा देंगे। लेकिन इस ऐलान के एक माह बीतने के बाद जब बेसिक शिक्षा मंत्री ने गत 26 जनवरी को एक महंत द्वारा स्‍वेटर पहन लिया तो इस उम्‍मीद पर पानी फिर गया।

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मंत्री महोदया को शायद किसी ने यह बता दिया कि 26 जनवरी तक सूबे के अधिकांश बच्‍चों को स्‍वेटर बांट दिया गया है। लेकिन न्‍यूजट्रैक डॉट कॉम की पड़ताल में इस दावे के आंकड़े झूठे निकल गए। खुद मंत्री महोदया का जिला स्‍वेटर वितरण के मामले में सबसे पीछे की पंक्ति में खड़ा नजर आया।

मंत्री के जिले में सिर्फ 18 फीसदी को मिला स्‍वेटर

बहराइच के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ अमरकांत सिंह ने बताया कि जिले में कुल चार लाख 28 हजार बच्‍चे बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्‍कूलों में पढने आते हैं। इनमें से 80 हजार बच्‍चों यानि मात्र 18.69 प्रतिशत बच्‍चों को ही विगत 26 जनवरी तक स्‍वेटर बांटा जा सका है। आंकड़ों से साफ है कि मंत्री अनुपमा जायसवाल को गलत जानकारी देकर स्‍वेटर पहनाया गया। अगर ऐसा है, तो आश्‍चर्य इस बात पर है कि इतना संवेदनशील ऐलान करने के बाद बिना आंकडों की जांच किए मंत्री ने स्‍वेटर कैसे पहन लिया।

पार्टी विद डिफरेंस के दावे पर सवाल

न्‍यूजट्रैक डॉट कॉम की पड़ताल में सामने आए इस सच के बाद भारतीय जनता पार्टी के पार्टी विद डिफरेंस के दावे खारिज होते नजर आ रहे हैं। प्राइमरी शिक्षक संघ के जिलाध्‍यक्ष सुधांशु मोहन की मानें तो बच्‍चों को लेकर संवेदनशील बयान देना और बाद में सारा जिम्‍मा शिक्षकों पर डालना न्‍यायसंगत नहीं है। इसके बाद अपने खुद के जिले के आंकडों पर ध्‍यान दिए बिना अपने ही ऐलान का उल्‍लंघन करके स्‍वेटर पहन लेना उचित प्रतीत नहीं होता। सरकार ने पहले तो अपनी जिम्‍मेदारी जबरदस्‍ती शिक्षकों पर डालकर पहले ही अन्‍याय किया है, अब मंत्री दवारा खुद के ऐलान से मुंह मोड़ लेना बच्‍चों के साथ अन्‍याय है। कई विदयालयों में तो टीचर्स ने 200 रूपये की निर्धारित धनराशि से अधिक का स्‍वेटर अपनी जेब से खरीद के बांटा है। सरकार आखिर इतनी गैर संवेदनशील कैसे हो सकती है।

मंत्री ने स्‍वेटर की जगह पहनी जैकेट और शॉल

बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने अपने स्‍वेटर न पहनने के ऐलान के बाद स्‍वेटर तो नहीं पहना, लेकिन कड़को की ठंड में जैकेट और शाल से काम चलाया।

सूत्रों की मानें तो उनकी बख्‍तरबंद गाडी में ब्‍लोअर भी चलता रहता था। अब मंत्री महोदया इन बच्‍चों के लिए भी ब्‍लोअर चलवा देती तो मामला बराबर का होता, लेकिन नौनिहालों के खाते में तो स्‍वेटर भी नहीं आए।

30 नवंबर तक बंटने थे स्‍वेटर

योगी सरकार ने जुलाई 2017 में बेसिक शिक्षा विभाग के कुल 59 हजार स्कूलों में पढ़ रहे 1.53 करोड़ से अधिक बच्चों को फ्री स्वेटर बांटने की घोषणा की थी। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस प्रस्ताव पर सरकार की प्राशासनिक और वित्तीय मंजूरी लेने में 4 महीने का वक्त लगा दिया था। इसके बाद अक्टूबर के तीसरे वीक में शासन की ओर से मंजूरी मिलने के बाद टेंडर जारी हुआ था। निकाय चुनाव की आचार संहिता के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग की मंजूरी के बिना स्वेटर खरीदने के टेंडर के चलते इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद विभाग ने चुनाव आयोग से मंजूरी मांगी थी ,जिसपर आयोग ने 18 नवम्बर को स्वीकृति दे दी थी। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने 30 नवम्बर तक बेसिक स्कूलों में स्वेटर बांटने का निर्देश जारी किया था। अभी तक स्वेटर बांटने का काम पूरा नहीं हो पाया है। इसके इतर मंत्री अनुपमा जायसवाल ने 26 जनवरी को एक कार्यक्रम में महंत रवि गिरी महाराज के हाथों स्‍वेटर धारण किया। कार्यक्रम के आयोजनकर्ताओं ने बताया कि मंत्री ने जनानुरोध के चलते स्‍वेटर पहना। लेकिन सवाल ये है कि क्‍या मंत्री महोदया को ये नहीं पता कि उनका खुद का जिला ही इस मामले में फिसडडी है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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