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अपना भारत/न्यूज़ट्रैक Exclusive: यूपी में कहां है 24 घंटे बिजली?
अनुराग शुक्ला
लखनऊ। आम लोगों के ये बयान उत्तर प्रदेश सरकार की उस मुनादी की हवा निकाल रहे हैं जिसमें ‘पावर फार आल’ जैसा वादा था। दरअसल कुछ दिन पहले तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा ने केंद्रीय बिजली मंत्री पियूष गोयल की मौजूदगी में जोर शोर से ऐलान किया था। मुनादी पीटी थी कि अक्टूबर 2018 तक सबको बिजली मिलेगी, 24 घंटे बिजली।
फिलहाल प्रदेश के शहरों में 24 घंटे, तहसील पर 20 घंटे और गांवों में 18 घंटे बिजली मिलेगी। इस मुनादी की गूंज कितनी भी तेज हो पर प्रदेश में चरमराई बिजली व्यवस्था में सवालों के शोर इस गूंज को बेसुरा करते दिख रहे हैं। इस मुनादी की पड़ताल प्रदेश के बड़े और महत्वपूर्ण 12 जिलों में ‘अपना भारत’ ने की। पड़ताल में सामने आया कि सिर्फ मुरादाबाद छोडक़र सब जगह त्राहि त्राहि है। हालात यह है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आवास से महज 200 मीटर दूर इलाके में ही रोज कम से कम 2-3 घंटे बिजली कट रही है चाहे लोकल फाल्ट के नाम पर या किसी तकनीकी खराबी के नाम पर।
आजमगढ़ के लोगों का मानना है बल्कि यूं कहें कि आरोप है कि योगी ने आजमगढ़ के गांवों की बिजली गुल कर दी है। हाल यह है कि इस जिले के गांवों में 3 से 10 घंटे तक बिजली दी जा रही है। जिला मुख्यालय की स्थिति कुछ ठीक है। यहां 18 से 20 घंटे बिजली मिल रही है। स्थानीय स्तर पर विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा फाल्ट का बहाना बनाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि तार-खम्भे काफी पुराने व जर्जर हो गये हैं। वहीं लोग सवाल कर रहे हैं कि कि पिछली अखिलेश सरकार में भी यही तार-खंभे थे, तब किस तरह से आजमगढ़ में शहर से लेकर गांव तक 20 से 24 घंटे सुव्यवस्थित विद्युत आपूर्ति की जा रही थी।
वहीं सरकारी आंकड़ों में आपूर्ति उतनी ही है जितनी योगी सरकार ने घोषणा की है। आजमगढ़ में तैनात अधिशासी अभियन्ता आरपी गुप्ता का कहना है कि मंडल मुख्यालय पर 24 घंटे, तहसील मुख्यालय पर 20 से 22 घंटे व गांवों को 18 घंटे बिजली दी जा रही है। यह जरूर मानते हैं कि उत्पादन में कमी के कारण कभी-कभार ऊपर के आदेश पर कटौती की जाती है, जिसका कोई शेड्यूल नहीं हैं।
वहीं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के हालात भी कुछ अलग नहीं हैं। घोषणा 24 घंटे बिजली की है। लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। शहरी क्षेत्रों में रोजाना तीन से चार घंटे बिजली कटौती जारी है तो ग्रामीण इलाकों में तो दस घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। बारिश के इस मौसम में शहरी इलाकों में लोकल फाल्ट बड़ी समस्या बनी हुई है। मसलन जंपर कटने के कारण आए दिन शहर के कई मुहल्ले अंधेरे में डूबे रहते हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रतिमाह करीब 330-350 ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं। नए ट्रांसफार्मर लगाने में 3 से 5 दिन का समय लग रहा है। लेकिन अधिकारी बड़े बडे दावे करने से नहीं चूक रहे। वाराणसी में तैनात अधीक्षण अभियंता (ग्रामीण) तैनात विकास कपूर कहते हैं कि ट्रांसफार्मर की कोई कमी नहीं है। जहां भी ट्रांसफार्मर जलने की सूचना आ रही है, उसे तत्काल बदलने का काम किया जा रहा है। हालांकि कुछ जगहों पर इसमें देरी हुई है, लेकिन हमारी कोशिश है कि बिजली संकट न उत्पन्न होने पाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर में 24 घंटे की जगह बमुश्किल 17 से 18 घंटे बिजली मयस्सर हो रही है। शहर का शायद ही कोई इलाका हो जो फाल्ट के चलते बिजली का झटका न खा रहा हो। अखिलेश सरकार में जर्जर तार बदलने और अंडरग्राउंड केबिल बिछाने के लिए 100 करोड़ रुपये की ‘स्काडा’ योजना शुरू की थी। रुपये खर्च होने के बाद भी जगह-जगह तारों का मकडज़ाज खुद हकीकत बयां कर रहा है।
शहर में 1560 ट्रांसफार्मर हैं तो देहात क्षेत्रों में करीब 1560 ट्रांसफार्मर। इनमें से करीब 15 फीसदी फुंके ही रहते है। शहर के पौने दो लाख उपभोक्ताओं को सर्विस देने के लिए सिर्फ 9 कर्मचारियों की नाइट गैंग है। यहां भी बिजली विभाग के अफसरों के दावे दूसरी ही कहानी बयां करते हैं। मुख्य अभियंता ए.के. सिंह का कहना है कि शहर और तहसील मुख्यालयों को श्ेाड्यूल के मुताबिक ही आपूर्ति की जा रही है। फाल्ट के चलते कुछ दिक्कत हो रही है। जर्जर तारों को बदले जाने के साथ अंडर ग्रांउड केबिल बिछाने का कार्य तेजी से हो रहा है।
गोरखपुर के गांवों में तो स्थिति बेहद खराब है। बीते 29 जुलाई को महीने भर से खराब ट्रांसफार्मर को बदलवाने के लिए सहजनवां के किसान पिंटू सिंह को पानी की टंकी पर चढऩा पड़ा था। वहीं गोला और चौरीचौरा तहसील में बिजली गुल होने पर नाराज उपभोक्ताओं ने जमकर तोडफ़ोड़ की थी। देहात में रात में बिजली गुल हुई तो फाल्ट ठीक करने का कोई इंतजाम नहीं है। ब्लाक से तहसील स्तर पर बिजली विभाग के पास नाइट गैंग ही नहीं है।
हर जगह यही हाल
कुछ यही हाल शामली, कुशीनगर, आगरा, फिरोजाबाद, जैसे शहरों का है। शामली में जिला मुख्यालय पर 10 से 12 घण्टे, तहसील में 6 से 8 व ग्रामीण क्षेत्रों में 4 से 6 घण्टे ही बिजली मिल पा रही है। बुद्ध सॢकट के कुशीनगर में फॉल्ट दिखाकर कटौती और बिजली आने पर लो वोल्टेज दोनों खेल लगातार चल रहे हैं।
ताजनगरी आगरा भी बिजली की कमी का रोना रो रही है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आगरा में 24 घंटे बिजली दी जाये लेकिन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती जारी है। देहात क्षेत्रों में आठ से दस घंटे की कटौती होती ही है। ग्रामीणों का कहना है कि ट्रांसफार्मर फुंकने पर जूनियर इंजीनियर से लेकर कर्मचारी तक रुपये मांगते हैं। डौकी क्षेत्र में फुंका पड़ा ट्रांसफार्मर एक महीने में भी सही नहीं हुआ है। शहर में मेंटेनेंस के नाम पर हर रोज 2 से तीन घंटे कटौती होती है।
फिरोजाबाद जिला ताज ट्रेपेजियम के तहत आता है और शीशे के कारोबार के चलते यहां 23 से 24 घंटे बिजली देने का कोर्ट का आदेश है। इसके बावजूद बिजली की खूब कटौती होती है। इन सभी जगहों पर अधिकारी एक जैसी लोकल फॉल्ट का हवाला देते हैं।
सैकड़ों गांव महीनों से बिजली से मरहूम
कानपुर के शहरी क्षेत्र की जाये तो बिजली लगभग 20 से 21 घंटे आ रही है लेकिन कोई फॉल्ट होता है तो उसको बनने में पूरा दिन लग जाता है। लेकिन घाटमपुर कस्बे में 14 से 15 घंटे बिजली आती है जबकि वहीं वे गांव जो बुन्देलखण्ड को छूते हैं और यमुना नदी के किनारे बसे हैं वहां तो कई माह से लोगों ने बिजली के दर्शन भी नहीं किये हैं। सरसौल, बिधनू, ककवन, कल्याणपुर, शिवराजपुर, भीतरगांव, चौबेपुर ब्लाक आदि से जुड़े सैकड़ों गांवों के ट्रांसफार्मर एक-एक साल से फुंके पड़े हैं। ग्रामीण शिकायतें कर के थक चुके हैं।
वहीं मेरठ की बात की जाये तो शहर से देहात तक बिजली का दम निकला हुआ है। बिजली कटौती के बाद लो वोल्टेज से भी लोग बेहाल हैं। वोल्टेज कम होने के चलते किसानों के नलकूप पानी नहीं उठा पाते। पुराने तारों को बदला नही गया है। ये आए दिन फॉल्ट का कारण बन रहे हैं। फाल्ट होने की वजह से घंटों तक बिजली गायब हो जाती है। वहीं शाहजहांपुर में बिजली को लेकर सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
शाहजहांपुर मुख्यालय पर 18 से 19 घंटे ही बिजली मिल पा रही है तो तहसील जलालाबाद के नगर क्षेत्र में सिर्फ 7 से 8 घंटे बिजली आ रही है। गांवों की बात करे तो महज 4 से 5 घंटे ही बिजली का दीदार होता है।
उत्तर प्रदेश में शामली हो या कुशीनगर, बुंदेलखंड हो या शाहजहांपुर हर जगह पर अधिकारी अब एक ही सुर में बात कर रहे हैं। रटी रटाई बात बोल रहे हैं हैं कि सबको बिजली दी जा रही है। शहर में 24 घंटे, तहसील पर 20 और गांव में 18 घंटे बस लोकल फाल्ट की वजह से कटौती हो रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ग्रिड से इतनी ही बिजली सप्लाई की जा रही है। बानगी के तौर पर जून और जुलाई का आंकड़ा भी है लेकिन असलियत में यह बिजली लोगों तक नहीं पहुंच रही है।
सबकी जुबां पर लोकल फाल्ट
हर जिले में कटौती की बात कोई अधिकारी नहीं कर रहे बल्कि सबकी जुबां पर लोकल फाल्ट की बात है। हो भी क्यों न, पारेषण और वितरण लाइनें ही मजबूत नहीं हैं। आल इंडिया पावर इंजीनियर्स कनफेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे के मुताबिक, ‘बिजली तकनीकी विषय है। जब तक पूरी प्रणाली सक्षम नहीं बनायी जाएगी तब तक हर घोषणा हवा हवाई साबित होगी। इस समय मांग 17-18 हजार मेगावाट तक है जबकि पारेषण लाइनें इसके अनुरूप हैं ही नहीं। जब तक पूरी पारेषण और वितरण की प्रणाली को अपग्रेड नहीं किया जाएगा तब तक कोई भी बात जुमले से ज्यादा कुछ नहीं होगी।’
तारों में नहीं है दम
अगर दूसरे राज्यों से बिजली लेने की व्यवस्था पर काम किया जाये तो भी रोड़े कम नहीं हैं। देश में सबसे ज्यादा सरप्लस बिजली पश्चिमी ग्रिड में होती है। पश्चिमी ग्रिड यानी महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश। वहीं बिजली यूपी को चाहिए जो उत्तरी ग्रिड में है। ऐसे में बिजली लाने के लिए इंटरग्रिड तारों की क्षमता को बढ़ाना होगा यह काम केंद्र सरकार को करना है। डेढ़ साल में यह काम करने असंभव तो नहीं है पर इसके लिए युद्धस्तर पर जुटना होगा।
वहीं इसी तरह की परेशानी प्रदेश के अंदर भी है।
प्रदेश में बिजली पूर्वी दक्षिणी छोर यानी सोनभद्र, इलाहाबाद आदि इलाके में सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन होता है वहीं बिजली की सबसे ज्यादा जरूरत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यानी मेरठ, गाजियाबाद, नोयडा आदि इलाकों में है जहां सबसे ज्यादा उद्योग हैं। एक इलाके से लगातार 24 घंटे दूसरे इलाके तक बिजली ले जाने का दम भी तारों में नहीं है। ऐसे यह क्षमता बढ़ाना योगी सरकार के लिए एक बड़ा सवाल है।
=‘हमारे गांव में सिर्फ 12-14 घंटे ही बमुश्किल बिजली रहती है। पिछले दिनों ट्रांसफार्मर बिगड़ गया था। एक हफ्ते बाद किसी तरह ठीक हुआ है।’
विनय कुमार, वाराणसी
=‘वर्तमान सरकार विद्युत व्यवस्था पर फेल है। इससे बढिय़ा बिजली तो पिछली सरकार में मिल रही थी। 24 घण्टे पूरी बिजली मिल रही थी।’
आशीष चौधरी, रायबरेली
=‘बिजली की आंख मिचौली लगता नहीं कि हम सीएम के शहर में हैं या कहीं और। बिजली कब आएगी कब जाएगी कोई ठिकाना नहीं। सिर्फ बिजली बिल समय से पहुंच जाता है।
शिप्रा दयाल, गोरखपुर
=‘बिजली के मामले में योगी सरकार के दावे बुरी तरह से फेल हो रहे हैं। जल्द सुधार की जरुरत है। वरना क्या फर्क रह जाएगा बाकी सरकारों और भाजपा सरकार में।’
सचिन शुभ शर्मा, आगरा
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