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अर्थला पक्षी विहार: HC ने दोषियों के खिलाफ मुख्य सचिव से मांगी रिपोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद के अर्थला पक्षी विहार की जमीन प्राइवेट बिल्डर को बेचने के दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुख्य सचिव को अपनी जांच रिपोर्ट पर दस दिन में कार्रवाई कर 14 सितंबर को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद के अर्थला पक्षी विहार की जमीन प्राइवेट बिल्डर को बेचने के दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुख्य सचिव को अपनी जांच रिपोर्ट पर दस दिन में कार्रवाई कर 14 सितंबर को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। साथ ही नगर आयुक्त व आवास विकास परिषद के हाउसिंग कमिश्नर को भी कार्यवाही रिपोर्ट के साथ तलब किया है।
यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने सुलेमान डबास की जनहित याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि 12.047 एकड़ झील में अर्थला पक्षी विहार घोषित किया गया। यह झील हिंडन नदी किनारे है।
पक्षी विहार की जमीन प्राइवेट बिल्डर जे.पी.गर्ग को बिल्डिंग बनाने के लिए बेच दी गई। जिसे याचिका में चुनौती दी गई है। आवास विकास परिषद के वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रदेश के अपर महाधिवक्ता एम.सी.चतुर्वेदी का कहना है कि राज्य सरकार ने गांव सभा की बंजर जमीन आवास विकास के लिए अधिगृहीत की, लेकिन परिषद का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं हुआ।
बाद में झील एरिया को अर्थला पक्षी विहार घोषित किया गया। क्योंकि जमीन पहले ही आवास विकास परिषद के लिए अधिगृहीत थी तो परिषद ने शराब व्यवसायी कंपनी मोहन मेकिन को आवंटित की।
मोहन मेकिन ने यही जमीन जे.पी. गर्ग प्राइवेट बिल्डर को बेच दी। 948 एकड़ जमीन में झील और 1454 एकड़ बंजर जमीन है। राज्य सरकार का पक्ष स्थायी अधिवक्ता वी.के.चंदेल ने रखा।
कोर्ट ने मुख्य सचिव को जांच करने का आदेश देते हुए कहा कि दोषी अधिकारियों का पता लगाएं जिस पर कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की गई। बिल्डर के वरिष्ठ अधिवक्ता सी.बी.यादव का कहना था कि उन्हें दूसरी जगह जमीन आंवटित की गई है।
मुख्य सचिव ने आवासीय भूमि बताकर बिल्डर को बेचने की रिपोर्ट दी है। इसी जमीन पर शासन द्वारा पहले ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना था। कोर्ट ने कहा कि सिविल व क्रिमिनल दोनों तरह का अपराध हुआ है।
मुख्य सचिव विधिक राय लेकर दस दिन में कार्रवाई करे और 14 सितंबर को हलफनामा दाखिल करे। हालांकि, मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट पर दोषियों पर कार्यवाही के लिए एक कमेटी गठित कर दी है, लेकिन कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं है।