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घटतौली का खेल: पेट्रोल पंप वालों ने ग्राहकों से लूटे एक लाख 22 हजार करोड़ रुपए

aman
By aman
Published on: 12 May 2017 1:27 PM IST
घटतौली का खेल: पेट्रोल पंप वालों ने ग्राहकों से लूटे एक लाख 22 हजार करोड़ रुपए
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घटतौली का खेल: पेट्रोल पंप वालों नेग्राहकों से लूटे एक लाख 22 हजार करोड़ रुपए

घटतौली का खेल: पेट्रोल पंप वालों नेग्राहकों से लूटे एक लाख 22 हजार करोड़ रुपए

शारिब जाफरी

लखनऊ: यूपी में पेट्रोल पंप की मशीनों में चिप के जरिए घटतौली का खेल पिछले 10 वर्षों से चल रहा है। इस दौरान उपभोक्ताओं को एक लाख 22 हजार करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है। सिर्फ लखनऊ में ही पेट्रोल पंप माफिया ने 33 अरब 86 करोड़ 60 लाख रुपए ग्राहकों से लूटे।

मिलावटी तेल पर सख्ती के बाद तेल कारोबारियों ने चिप से तेल चोरी का नायाब तरीका खोज निकाला था, जिसका राजफाश अब जाकर यूपी एसटीएफ ने किया। राजधानी में अब तक 26 पेट्रोल पंपों की जांच में 25 पंपों में चिप या फिर मशीन में हेरफेर पकड़ में आई है। इस गोरखधंधे का खुलासा होने के बावजूद आजतक बाट-माप विभाग के किसी अफसर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। तेल कंपनियों में सिर्फ इंडियन ऑयल ने कार्रवाई के नाम पर एक सेल्स ऑफिसर का लखनऊ से तबादला किया।

सूबे के आधे बजट के बराबर है लूटी गई राशि

प्रदेश में पेट्रोल पंप वालों ने उपभोक्ताओं से जो एक लाख 22 हजार करोड़ रुपए लूटे हैं, वह यूपी के आधे बजट के बराबर है। प्रदेश में कुल 6,600 पेट्रोल पंप हैं। एक पंप पर प्रतिदिन करीब 10 हजार लीटर डीजल और करीब छह हजार लीटर पेट्रोल बिकता है। एसटीएफ को जांच के दौरान जो तथ्य हाथ लगे हैं उसके अनुसार यूपी में प्रतिदिन 33 लाख लीटर डीजल और 19 लाख 60 हजार लीटर पेट्रोल चिप के जरिए घटतौली कर चोरी किया जाता है। यानी पूरे प्रदेश में प्रतिदिन 33 करोड़ 66 लाख रुपए का डाका उपभोक्ताओं की जेब पर डाला जा रहा था।

26 पंपों की जांच, 25 में मिली गड़बड़ी

एसटीएफ की टीम पिछले तीन महीने से चिप के जरिए तेल चोरी पकडऩे के लिए सक्रिय थी। लंबी जद्दोजहद के बाद एसटीएफ ने 26 अप्रैल को पहली कार्रवाई की। इसके बाद हुए खुलासों ने सबके होश उड़ा दिए। प्रति लीटर उपभोक्ताओं को 50 मिलीलीटर तेल कम दिया जा रहा था। कहीं-कहीं इससे ज्यादा की भी चोरी हो रही थी। चिप के जरिए तेल चोरी पकड़े जाने के बाद एसटीएफ ने अब तक 26 पेट्रोल पंप पर जांच की। इस दौरान 25 पेट्रोल पंपों पर गड़बड़ी पाई गई। जिसके बाद गड़बड़ी वाले पेट्रोल पंप की मशीनों को सील कर दिया गया। इसी का असर है कि कई स्थानों पर पेट्रोल पंपों पर तेल भराने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग जा रही हैं।

केवल लखनऊ में ही 34 सौ करोड़ की लूट

चिप के जरिए घटतौली सबसे पहले लखनऊ में पकड़ी गई। एसटीएफ के एसएसपी अमित पाठक की टीम ने सबसे पहले मेडिकल कालेज चौराहे स्थित पेट्रोल पंप पर छापा मारकर मशीन में चिप पकड़ी थी। इसके बाद एसटीएफ ने कई इलाकों में कार्रवाई की। एसटीएफ से जुड़े अफसरों की मानें, तो अकेले लखनऊ में ही प्रतिदिन उपभोक्ताओं की जेब पर एक करोड़ का डाका डाला जा रहा था। एसटीएफ को जांच के दौरान जो सबूत हाथ लगे हैं उसके मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में लखनऊ वासियों को 34 सौ करोड़ का चूना लग चुका है।

प्रति लीटर मिलता है एक रुपए कमीशन

एसटीएफ चिप के जरिए घटतौली पकड़े जाने के बाद इस गोरखधंधे की तह तक पहुंची, तो पता चला कि इसकी बड़ी वजह पेट्रोलियम कंपनियां हैं। दरअसल, पेट्रोल पंप मालिकों को प्रति लीटर एक रुपया कमीशन मिलता है। इस हिसाब से पेट्रोल पंप मालिक को प्रतिमाह करीब पांच लाख की बचत होती है। पेट्रोल पंप पर एक मैनेजर और छह हेल्पर की जरूरत होती है। मैनेजर की सैलरी 8 हजार, जबकि हेल्पर की तनख्वाह 4 हजार होती है। बिजली के बिल व अन्य खर्चों को जोड़ लिया जाए तो 20 हजार रुपए प्रतिदन खर्च होता है। इस हिसाब से महीने का खर्च छह लाख हो जाता है, जो बचत की रकम से एक लाख ज्यादा है।

सोता रहा बाट माप विभाग

यूपी में चिप के जरिए तेल घटतौली का गोरखधंधा इतने दिनों से चल रहा था, मगर घटतौली रोकने के लिए बना बाट माप विभाग चैन की बंसी बजा रहा था। एसटीएफ से जुड़े अफसरों का मानना है कि बिना बाट माप विभाग की मिलीभगत, ऐसा संभव ही नहीं था कि इतने बड़े पैमाने पर चिप के जरिए घटतौली चलती रहे। इतने बड़े घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद भी बाट माप विभाग अभी तक हाथ पर हाथ धरे बैठा है। किसी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं, इंडियन ऑयल ने सेल्स आफिसर लखनऊ रवि सिंह का तबादला कर अपनी जिम्मेदारियों की इतिश्री कर ली।

एसएसपी ने कहा- जांच में होगा मिलीभगत का खुलासा

यूपी एसटीएफ के एसएसपी अमित पाठक कहते हैं कि उनकी टीम पिछले तीन महीने से इस पर काम कर रही थी। पूरी तैयारी के बाद इतनी बड़ी चोरी का खुलासा हुआ। पाठक कहते हैं कि जहां-जहां जांच की गई है उन जगहों पर बाकायदा बाट माप विभाग ने जांच कर सील लगाईं हुई थी। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि सील मशीन में चिप कैसे लगी। वे कहते हैं, कि बाट माप विभाग के अफसरों की टीम के साथ कार्रवाई की गई है। जांच में इस बात का खुलासा होगा कि चिप किसकी मिलीभगत से लगाई गई है।

बाट माप विभाग का कार्रवाई का दावा

चिप के जरिए पेट्रोल पंप पर तेल चोरी पकड़े जाने का खुलासा होने के बाद बाट माप विभाग पर उंगलियां उठ रही हैं। विधिक माप विज्ञान विभाग में उपनियंत्रक मुख्यालय ओ.पी.सिंह कहते हैं कि उनका विभाग सभी जिलों में जांच करता रहा है और बीते वर्ष ही विभाग ने घटतौली पकड़े जाने पर 200 पेट्रोल पंपों का चालान किया था। वे कहते हैं कि चिप पकड़ पाना उनके विभाग के बस में नहीं है। वे सिर्फ आउटलेट की ही चेकिंग करते थे। नाप सही होने पर मशीन को सील कर देते हैं। उनके मुताबिक, यह गड़बडिय़ां मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों और मेंटनेंस करने वालों ने ही चिप लगाकर की है।

आगे की स्लाइड्स में पढ़ें पेट्रोल पंपों पर घटतौली मुद्दे पर शारिब जाफरी की पूरी विवेचना ...

चोरी और सीनाजोरी भी

चिप लगाकर तेल की घटतौली पकड़ में आने के बाद शुरुआती कार्रवाई में एसटीएफ ने 24 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। एसटीएफ ने चिप पकड़े जाने के बाद धारा- 420 व 3/7 ईसी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार 7 साल से कम सजा वाली धाराओं में गिरफ्तारी नहीं हो सकती। इन गिरफ्तारियों के बाद पेट्रोल पंप एसोसिएशन ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। हड़ताल के ऐलान के बाद सरकार और एसोसिएशन के पदाधिकारियों के बीच हुई बैठक के बाद शासन स्तर पर गिरफ्तार नहीं करने का फैसला लिया गया। खास बात यह भी है कि चेकिंग के दौरान सभी कंपनियों के पेट्रोल पंप पर गड़बडिय़ां पाई गई हैं।

तेल कंपनियों व बाट माप विभाग की मिलीभगत

बाट माप विभाग से जुड़े अफसर कहते हैं कि मिलावट या फिर चिप पकड़े जाने पर बाट माप विभाग अदालत में परिवाद दायर करता है, जिसकी सजा के तौर पर छह माह की जेल या 50 हजार का जुर्माना या फिर दोनों हो सकती है। यूपी में पेट्रोल पंपों पर चिप के जरिए तेल की घटतौली पकड़े जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा हुआ है कि आखिर किसकी मिलीभगत से यह पूरा गोरखधंधा चल रहा था। एक पेट्रोल पंप मालिक ने नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर बताया कि इस पूरे खेल में तेल कंपनियों और बाट माप विभाग के इंस्पेक्टरों की मिलीभगत है। तेल कंपनियों के लोग महीने में, तो बाट माप विभाग के अफसर हफ्ते में अपना हिस्सा ले जाया करते थे।

2007 में मुंबई में पकड़ी गई थी घटतौली

भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन की टीम ने मार्च 2007 में मुंबई में अपने एक पंप पर छापा मारा। इस पंप की एक मशीन में प्रति लीटर 20 एमएल की घटतौली पकड़ी गई। मशीन की इलेक्ट्रॉनिक रजिस्टर असेंबली यूनिट निकाली गई और डिस्पेंसिंग मशीन निर्माता कंपनी ‘मिडको’ के यहां जांच के लिए भेजी गई। जांच रिपोर्ट में मिडको ने बताया कि माइक्रोकंट्रोलर चिप हार्डवेयर ओरीजनल नहीं है। भारत पेट्रोलियम ने पंप मालिक को कारण बताओ नोटिस भेजा कि क्यों न उसकी डीलरशिप रद्द कर दी जाए। जवाब में पंप मालिक ने सब आरोप गलत बताए और उल्टे भारत पेट्रोलियम पर ही मुकदमा ठोंक दिया कि वह सप्लाई नहीं रोक सकता और उसे नोटिस देने का अधिकार नहीं है। यह मामला हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा जहां मार्च 2011 में पंप मालिक की अपील खारिज कर दी गई।

2010 में रिमोट के जरिए छेड़छाड़ का खुलासा

तिरुवनंतपुरम (केरल) में 27 जुलाई 2010 को बाट माप पर आयोजित एक सेमिनार में आंध्रप्रदेश के लीगल मीट्रोलॉजी (वैधानिक माप) के डिप्टी कंट्रोलर जी.वी.रंगनाथ स्वामी ने बताया था कि 'पेट्रोल पंपों पर लगी डिजिटल डिस्पेंसिंग मशीनों में रिमोट कंट्रोल के जरिए छेड़छाड़ की जा रही है और ग्राहकों को लूटा जा रहा है।' उन्होंने बताया कि एडजस्टिंग मशीनरी और पल्स जनरेटर में बदलाव करके यह काम किया जाता है। उनका कहना था कि लीगल मीट्रोलॉजी विभाग की सील को तोड़े बगैर तेल सप्लाई को मनमुताबिक बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल पंप, खासकर मल्टी प्रोडक्ट पंपों को चेक करने के लिए इंस्पेक्टर प्रशिक्षित नहीं हैं। रंगनाथ स्वामी के अनुसार ट्यूब लाइट स्विच के जरिए चिप को एक्टिवेट किया जाता है, तेल सप्लाई और मीटर डिस्प्ले के समायोजन को बदलने के लिए रिमोट कंट्रोल का इस्तेमाल होता है, टैंक का स्टॉक मनमुताबिक डिस्प्ले करने के लिए डिजिटल टोटलाइजर में छेड़छाड़ की जाती है और डुप्लीकेट मदरबोर्ड मशीन में फिट किए जाते हैं। यहां तक कि सॉफ्टवेयर को बदल दिया जाता है जिससे सबूत ही न मिल सके। रंगनाथ स्वामी ने कहा था कि चीन की तरह भारत में भी लेजर मार्किंग वाली चिप लगाई जानी चाहिए।

2014 में हैदराबाद में पकड़ा गया था चिप लगाने वाला गैंग

हैदराबाद में साल 2014 में स्पेशल ऑपरेशन टीम ने एक ऐसा गिरोह पकड़ा था, जो पेट्रोल पंप की मशीनों में चिप लगाता था। पूछताछ में पता चला था कि गिरोह ने राज्य में 70 व शहर के 10 पंपों में यह चिप लगाई थी और ये लोग ऐसी 600 चिप लगाने वाले थे। गिरोह ने बताया था कि पंप मालिकों के कहने पर चिप लगाई जाती थी। गिरोह का सरगना शिबु के. थॉमस था, जो मुंबई में हिन्दुस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड का मैकेनिक था। थॉमस और उसके साथी डिस्पेंसिंग मशीन में लगने वाली मेन चिप खरीदते थे और फिर सॉफ्टवेयर की मदद से उसमें बदलाव कर देते थे।

2015 में नेपाल के पंपों में पकड़ी गई थी गड़बड़ी

नाकेबंदी के कारण जब नेपाल में पेट्रोलियम पदार्थों का संकट पैदा हो गया था तब वहां पेट्रोल पंपों की मशीनों की गड़बडिय़ां बड़े पैमाने पर पकड़ी गयीं थीं। नवम्बर महीने में पुलिस ने काठमांडू घाटी में कई पंपों पर छापे मारे थे और 17 पंप मालिकों को गिरफ्तार किया था। अपराध शाखा के एसएसपी ने बताया था कि डिजिटल और मैनुअल, दोनों तरह की डिस्पेंसिंग मशीनों में इस तरह छेड़छाड़ की गई थी कि मीटर तो सही दिखाता था, लेकिन तेल कम निकलता था। पुलिस ने बताया था कि डिजिटल मशीनों में कार्ड या चिप लगाई गई थी जिसे रिमोट कंट्रोल से ऑपरेट किया जाता था। पुलिस ने मोतिहारी (बिहार) के पांच मैकेनिक पकड़े थे जो यह काम करते थे। इन लोगों ने बताया था कि वे डिजिटल मशीनों में पल्सर फिटिंग और मैनुअल मशीनों में गीयर फिटिंग करते थे। इन मैकनिकों के नाम हैं- अयूब आलम, नाशिम सिद्दीकी, हमदी हुसैन, शेख इस्तिहाज और मोहम्मद आवारव।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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