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UP: वक़्त के साथ रंग बदलते अफसर, अब एक ही बोल-...गाय हमारी माता है
शारिब जाफरी
लखनऊ: बॉलीवुड में पिछले दिनों एक गाना बहुत मशहूर हुआ था ‘रंग दे तू मोहे गेरुआ।’ पर फिलवक्त यह गाना थोड़ी तब्दीली के साथ यूपी के नौकरशाहों और सत्ता के गलियारों से मतलब रखने वाले मास्टरों पर भी पूरी तरह मौजूं है।
यूपी के अफसर और सत्ता के गलियारों में मौजूद लोग इन दिनों ‘रंग दे तू मोहे भगवा’ की दौड़ में इस कदर शामिल हैं कि लामार्ट के प्रिंसिपल मैकफार्लैंड की फोटो इसकी चीखकर गवाही दे रही है। सूट-बूट और पश्चिमी विचारों से ओत-प्रोत ये प्रिंसिपल साहब अब माथे पर त्रिपुंडी तिलक लगाकर भगवा धारण कर चुके हैं। यूपी के अफसरों में भी गौसेवा का जज्बा अचानक बढ़ गया है। गाय को 'माता' कहने और इसे बताए जताने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सबका इस्तेमाल कर रहे हैं।
वक़्त के साथ रंग बदलते अफसर
कहावत है 'राजा की पसंद सबकी पसंद' होती है। यूपी में सत्ता परिवर्तन के साथ इस का नज़ारा भी देखने को मिल रहा है। सीएम आदित्यनाथ योगी का पसंदीदा रंग केसरिया है। ऐसे में अफसरों ने सीएम की कुर्सी और कार सीट की तौलिये का रंग केसरिया कर दिया है। सीएम की गौ सेवा सभी जानते हैं। अब यूपी में अफसरों ने सीएम की इसी पसंद के सहारे यूपी में राज करने का मन बना लिया है। कई अफसरों ने दफ्तर की रंगत बदल केसरिया कर दी है। तो कई गौसेवा के ज़रिए अपनी कुर्सी सलामत रखने की जुगत में हैं। गौसेवा के इस नए शौक से थानेदारों को नई समस्या से जूझना पड़ रहा है। कई ज़िलों में गाय के चारे के लिए थानेदारों की बाक़ायदा ड्यूटी तय कर दी गई है। वो अब चारे का इंतज़ाम कर रहे हैं।
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कई अफसर गौ सेवा कर नहीं बचा सके कुर्सी
सीएम आदित्यनाथ के शपथ के बाद अफसरों में गौ सेवा की जो रेस शुरू हुई, वो थमने का नाम नहीं ले रही। लंबे वक़्त तक आगरा और मुरादाबाद में कलेक्टर रहे ज़ुहैर बिन सग़ीर ने भी सरकार बदलते ही तीन देसी गाय खरीद ली। आदित्यनाथ योगी के शपथ लेने के बाद ज़ुहैर बिन सग़ीर का अपने बेटे के साथ एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें वो बता रहे थे कि उनका बेटा पहले गाय को रोटी खिलाता है उस के बाद ही वो दूध पीता है।
इन्होंने गाय तो पाली, लेकिन हसरतें...
कुर्सी बचाने की कोशिश में डीएम बलरामपुर रहे राम विशाल मिश्रा, डीएम बस्ती रहे प्रभु नारायण सिंह, डीएम मथुरा रहे डॉ नितिन बंसल, डीएम भदोही रहे सुरेश कुमार सिंह, डीएम रायबरेली रहे अनुज कुमार झा, डीएम मऊ रहे निखिल चंद्र शुक्ला ने गाय पाली, लेकिन उनके दिल में बसी हसरत पली की पली ही रह गई। इस रेस में आईपीएस अफसर भी पीछे नहीं रहे। योगी के शपथ लेते ही एसपी सोनभद्र रहे लल्लन सिंह ने दो गाय मंगाई थी, तो उन्हें उम्मीद थी, कि गाय के भरोसे उनकी कुर्सी बची रहेगी। लेकिन जब तबादलों का दौर शुरू हुआ तो पहली लिस्ट में ही वो पैदल हो गए।
इनकी तमन्ना दम तोड़ गई
कुछ ऐसा ही एसएसपी आगरा रहे प्रितेन्द्र सिंह के साथ हुआ। सरकार बदलते ही अचानक गौ सेवा में लीन हो गए थे, कि सरकार ने पैदल कर दिया। राजनीति की हवा का रुख भांप रंग बदलने में माहिर आईपीएस अफसर मंजिल सैनी, राकेश शंकर, धर्मेंद्र सिंह, मनोज कुमार, हीरा लाल, रामलाल वर्मा, अतुल सक्सेना, सौमित्र यादव, दिनेश कुमार पी, मनोज कुमार झा, जैसे अफसरों के दिल में गौ प्रेम अचानक हिचकोले मारने लगा, लेकिन इन अफसरों की तमन्ना वक़्त के साथ दम तोड़ती गई।
ज़िलों में तैनात अफसरों में मची होड़
ज़िलों में तैनाती पाने वाले अफसरों में गाय पालन को लेकर होड़ मची हुई है। राजीव रौतेला जिलाधिकारी गोरखपुर, हेमंत कुमार डीएम चंदौली, कर्ण सिंह चौहान डीएम झांसी, अखिलेश तिवारी डीएम बाराबंकी, यशवंत राय डीएम मैनपुरी, इन्द्र विक्रम सिंह डीएम शामली, नवनीत सिंह चहल डीएम अमरोहा, अमित कुमार सिंह डीएम हाथरस, शिव सहाय अवस्थी डीएम रामपुर, राकेश कुमार मिश्रा डीएम बलरामपुर, डीआईजी बरेली आशुतोष कुमार, डीआईजी मिर्ज़ापुर रतन कुमार श्रीवास्तव, डीआईजी कानपुर मोदक राजेश डी राव, डीआईजी वाराणसी विजय भूषण, एसएसपी मुरादाबाद मनोज तिवारी, एसपी सिद्धार्थनगर सत्येंद्र कुमार,एसपी हरदोई विपिन कुमार मिश्रा, एसपी संभल रवि शंकर छवि, एसपी सीतापुर मृगेन्द्र सिंह, एसएसपी वाराणसी नितिन तिवारी, एसपी मथुरा मोहित गुप्ता और एसपी शाहजहांपुर के बी सिंह इस दौड़ में आगे निकल चुके हैं।
कई अफसर ऐसे जिनके साथ रही हमेशा गाय
यूपी में कई अफसर ऐसे हैं जिन्होंने हमेशा गाय अपने साथ रखी। जिलाधिकारी इलाहाबाद संजय कुमार का गाय प्रेम अफसरों के बीच खासा चर्चित है। सुल्तानपुर, सीतापुर, गोरखपुर, मुरादाबाद, बरेली और सोनभद्र की कलेक्टर कोठी में देसी गाय हमेशा रही। जिसकी देख भाल संजय कुमार खुद किया करते हैं। डीएम लखनऊ कौशलराज शर्मा, डीएम कानपुर सुरेन्द्र कुमार, डीएम मुज़फ्फरनगर गौरीशंकर प्रियदर्शी, जिलाधिकारी वाराणसी योगेश्वर राम मिश्रा भी गाय को परिवार के सदस्य की तरह देखभाल करते रहे हैं। कुछ इसी तरह आईपीएस अफसरों में एसएसपी नोयडा लव कुमार, एसएसपी अलीगढ राजेश पाण्डेय, एसएसपी मेरठ जे रविदंर गौड़, एसपी ट्रैफ़िक राजीव मल्होत्रा, एसएसपी कानपुर आकाश कुलहरि, एसपी अमेठी अनीस अंसारी, एसएसपी बिजनौर अजय साहनी ने अपनी अपनी कोठियों में गाय पाल रखी है।
मुस्लिम अफसरों ने भी पाल रखी थी गाय
जिलाधिकारी पीलीभीत के पद से हटाए गए मासूम अली सरवर 2009 बैच के आईआईएस अफसर हैं। मुरादाबाद में ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग कासगंज में बतौर डीएम मिली। इसके बाद कानपुर देहात और पीलीभीत के डीएम रहे मासूम अली सरवर जहां भी रहे दो देसी गाय अपने साथ रखी। बाराबंकी में लंबे वक़्त तक पुलिस कप्तान रहे अब्दुल हमीद ने चार देसी गाय अपने कैम्पस में पाल रखी थी। जिसकी सुबह शाम वक़्त निकालकर खुद देखभाल किया करते थे। सबसे मज़ेदार बात यह रही की जब अब्दुल हमीद का बाराबंकी से एसएसपी झांसी के पद पर तबादला हुआ तो वो गाय इसी कैम्पस में छोड़ गए थे। उन की जगह कप्तान बने राजू बाबू सिंह आए जिनका कुछ दिनों बाद ही तबादला कुशीनगर हुआ तो एसपी की कोठी में पली चारों गाय अपने साथ ले गए। इसके बाद एसपी बाराबंकी की कोठी में गाय योगी सरकार के शपथ लेने के बाद आ सकी है। अब्दुल हमीद को इलेक्शन कमीशन ने एसपी रायबरेली बनाया जहां उन्होंने दो देसी गाय पाल रखी थी।
गाय हुई बीमार तो मचा हड़कम
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक पुलिस कप्तान की गाय देर रात बीमार हो गई। जिसके बाद पूरे ज़िले में हड़कंप मच गया। ज़िले भर के थानेदारों को जगा-जगाकर डॉक्टर तलाशने भेजा गया। बमुश्किल सुबह क़रीब 4 बजे डॉक्टर की तलाश पूरी हुई। तब जाकर थानेदारों की जान में जान आई।