×

ढीली पड़ी जांच की रफ्तार: ...तो इसलिए नहीं खुल रहा 'तेल का खेल'

aman
By aman
Published on: 2 Jun 2017 1:31 PM GMT
ढीली पड़ी जांच की रफ्तार: ...तो इसलिए नहीं खुल रहा तेल का खेल
X
घटतौली मामला: पेट्रोल पंप मालिकों को HC से राहत नहीं, सरकार ने कहा- इनका कारनामा विश्वासघात भरा

शारिब जाफरी

लखनऊ: यूपी के पेट्रोल पंपों में चिप के जरिए तेल की चोरी पकड़े जाने के बाद एसटीएफ की कार्रवाई जारी रहती तो योगी सरकार के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती थीं। शायद, इसीलिए एसटीएफ के सनसनीखेज भंडाफोड़ के बाद अचानक कार्रवाई बेहद ढीली कर दी गई और एसटीएफ को ही दरकिनार कर दिया गया।

जांच क्यों ढीली कर दी गई, इस बारे में ‘अपना भारत’ और 'newstrack.com' की टीम को ऐसे तथ्य मिले हैं, जो इस बात की तस्दीक करती है कि तेल के धंधे में ताकतवर लोगों के शामिल होने के कारण कार्रवाई का यह अंजाम तो होना ही था।

60 फीसदी पंप माननीयों के

दरअसल, यूपी के पेट्रोल पंपों में से 60 फीसदी तो नेताओं के ही हैं। ये पंप इनके अपने या परिवारवालों के नाम पर हैं। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के ही 100 से ज्यादा माननीयों के सूबे में सैकड़ों पेट्रोल पंप हैं। इस सूची में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का नाम भी शामिल है। अब हाईकोर्ट ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाने के साथ बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए सरकार से 31 जुलाई तक जवाब-तलब किया है।

आगे की स्लाइड्स में पढ़ें पूरी खबर ...

सरकार का रवैया दब्बू और बचकाना

वकील अशोक निगम की याचिका पर सुनवाई कर रही कोर्ट ने पेट्रोल-डीजल की घटतौली पकड़े जाने के बाद राज्य सरकार के रुख पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि 27 अप्रैल को एसटीएफ की कार्रवाई के बाद सरकार के पास जनता को ठगी से बचाने का अच्छा मौका था, लेकिन सरकार के दब्बू और बचकाने रवैए के चलते सफलता नहीं मिली। कार्रवाई की रफ्तार सुस्त हो जाने से एक तरह से बाकी पेट्रोल पंपों को संभलने का मौका दे दिया गया है।

एसटीएफ अधिकारी बेबस

कोर्ट ने यह भी माना कि तीन मई के शासनादेश के बाद से कोई मुकदमा नहीं लिखा गया, जिससे सरकार की नीयत पर सवाल उठता है। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार द्वितीय ने केंद्र सरकार के साल 1999 के आदेश का हवाला देते हुए कहा, कि 'सप्लाई में दिक्कत होने पर सरकार पेट्रोल पंप अपने हाथ में ले सकती है, लेकिन सरकार ने ऐसा न करके पेट्रोल पंप मालिकों के सामने घुटने टेक दिए हैं। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, कि सरकार ठग पेट्रोल पंप मालिकों और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय खुद को पाक साफ दिखाने का प्रयास कर रही है। अदालत ने कहा कि पेट्रोल चोरी संज्ञेय अपराध है। फिर भी एसएआर नहीं दर्ज कराई गई। सभी मिलकर अपराध कर रहे हैं। ऐसे में एसटीएफ के अधिकारी बेबसी की स्थिति में हैं और कुंठित हो रहे हैं।

मिलीभगत के बिना डिवाइस लगाना नामुमकिन

सुनवाई के दौरान अदालत ने एक तरह से प्रदेश सरकार के रवैए पर नाराजगी जताई तो वहीं अफसरों की मिलीभगत के बिना डिवाइस लगाए जाने की बात को सिरे से खारिज कर दिया। इससे पहले मुख्य सचिव ने अपने हलफनामे में कहा कि एसटीएफ को न तो कार्रवाई से रोका गया है और न ही ऐसा कोई आदेश जारी किया गया है। मुख्य सचिव ने अपने हलफनामे में कहा कि घपला करने वाले पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए वह संतुलन बनाने का प्रयास करेंगे ताकि ईंधन की कमी न होने पाए। अदालत में इस मामले की सुनवाई अब 31 जुलाई को होगी। इस मामले में इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम ने भी अपना-अपना हलफनामा दाखिल किया है।

हड़ताल की धमकी से रुक गई छापेमारी

यूपी एसटीएफ ने 27 अप्रैल को लखनऊ के अनेक पंपों पर छापे मारकर पेट्रोल पंप की मशीनों में चिप लगाकर तेल चोरी किए जाने का बड़ा खुलासा किया था। इसके बाद कुछ दिन तो एसटीएफ की कार्रवाई काफी तेजी से चली जिसमें लगभग सभी पंपों की मशीनों में चिप पकड़ी गयी। इस कार्रवाई से बौखलाए पेट्रोल पंप मालिकों ने हड़ताल कर दी तो सरकार दबाव में आ गई। नतीजा यह हुआ कि एसटीएफ को दरकिनार कर दिया गया और छापेमारी बंद कर दी गई। जांच-पड़ताल के नाम पर बांट-माप व आपूर्ति विभाग और तेल कंपनियों के अधिकारियों की टीमें बना दी गयीं। ये वही विभाग थे जिनकी संलिप्तता के बिना चिप का खेल संभव ही नहीं था।

बीजेपी विधायकों के सबसे ज्यादा पेट्रोल पंप

'अपना भारत' की पड़ताल बताती है कि बीजेपी के माननीयों जिनमें उत्तरी लखनऊ के विधायक नीरज बोरा, बख्शी का तालाब के प्रशांत त्रिवेदी, केराकत जौनपुर के प्रदीप चौधरी, बदलापुर वाराणसी के रमेश मिश्रा, संडीला हरदोई के राजकुमार, जाफराबाद जौनपुर के डॉ. हरेन्दर सिंह, तरबगंज गोंडा के प्रेम नारायण पांडेय, महनोंन गोंडा के विनय द्विवेदी, महाराजगंज कानपुर की प्रतिभा शुक्ला, कानपुर के सतीश महाना समेत 100 से भी ज्यादा माननीयों के पेट्रोल पंप हैं। इस सूची में सबसे बड़ा नाम उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का है जिनके तीन पेट्रोल पंप हैं।

दूसरे दल वाले भी पीछे नहीं

पेट्रोल पंप मालिकों में दूसरे दल के लोग भी कम नहीं हैं। मछली शहर जौनपुर से सपा विधायक जगदीश सोनकर, राजयसभा सांसद नरेश अग्रवाल, ज्ञानपुर भदोही से निर्दल विधायक विजय मिश्रा, कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय कपूर, पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह, सपा के कानपुर से पूर्व विधायक मुनीन्द्र शुक्ला, बसपा के पूर्व मंत्री अनन्त कुमार मिश्रा उर्फ अंटू मिश्रा और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के नाम इस फेहरिस्त में शामिल हैं।

महाराष्ट्र से पकड़े गए इंजीनियर

यूपी एसटीएफ को पंपों की पड़ताल से भले ही दूर रखा गया है, लेकिन वह उन इंजीनियरों तक पहुंचने में सफल रही है जिन्होंने चिप बनाई थी। एसटीएफ ने महाराष्ट्र से इंजीनियर विवेक हरीश चंद्र और अविनाश मनोहर नाइक को गिरफ्तार कर लिया है। इन दोनों को ट्रेन से लखनऊ लाया गया क्योंकि एसटीएफ को चिप और रिमोट के साथ फ्लाइट में सफर करने की इजाजत नहीं मिली थी।

एसआईटी जांच की रफ्तार सुस्त

प्रशासन ने पेट्रोल पंपों के खेल की जांच के लिये एक एसआईटी (विशेष जांच टीम) बनायी थी। इसका नेतृत्व पुलिस अधीक्षक (अपराध) कर रहे हैं। टीम में कोतवालियों/थानों पर तैनात वरिष्ठ उपनिरीक्षकों को शामिल किया गया था, लेकिन एसआईटी की जांच की रफ्तार बेहद सुस्त है। हाईकोर्ट की फटकार बाद अब एसआईटी ने नए सिरे से विवेचना को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। एसआईटी अब विवेचना के दौरान स्टॉक रजिस्टर में हेराफेरी किए जाने की धारा बढ़ाएगी। एसपी अपराध लखनऊ कहते हैं कि अंजनी कुमार सिंह, शरद चंद्र वैश्य, श्रीपाल वैश्य, बीएन शुक्ला, गोपाल शुक्ला, अविनाश चंद्र वैश्य, एम ए फारूकी और एनसी गुप्ता समेत 18

आरोपियों की तलाश जारी है

एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक कहते हैं कि उनकी टीम ने तीन महीने की मेहनत के बाद इस बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। उनकी टीम लगातार इस पर काम कर रही है। एसटीएफ इस पूरे गोरखधंधे की तह तक जाने में जुटी हुई है।

aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story