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मीरा के नामांकन में बिखरा-बिखरा दिखा विपक्ष, एकता के नाम पर दिखी बस खीझ
Vinod Kapoor
लखनऊ: ..मोदी जी भी तो नहीं आए.. ये था माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी का खीज भरा जवाब, जो उन्होंने विपक्ष की राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी मीरा कुमार के नामांकन भरने के बाद संवाददाताओं को दिया। ये जवाब विपक्ष की उपर से दिख रही एकता की पूरी अंदरूनी कहानी कह गया।
संवाददाताओं के सवाल तो लाजिमी थे, क्योंकि शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखे जा रहे नामांकन में कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी, विपक्षी एकता के सूत्रधार माने जा रहे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, केंद्र में हर फैसले का विरोध करने वाली पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती और 'औरंगजेब' की तरह पिता को हटाकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बन गए अखिलेश यादव मौजूद नहीं थे। बस इसी सवाल पर सीताराम येचुरी बौखला गए और खीज भरा जवाब दिया '..मोदी जी भी तो नहीं आए'।
नहीं दिखी विपक्षी एकता
मीरा कुमार को कांग्रेस समेत सोलह दलों के समर्थन का दावा किया जा रहा है। जिन बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी पर सवाल उठाए गए थे उनके प्रतिनिधि के तौर पर पार्टी का कोई न कोई नेता मौजूद था। लालू प्रसाद यादव ने 28 जून को नामांकन के अंतिम दिन दिल्ली जाने की बजाए रांची जाना जरूरी समझा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चारा घोटाले के चार मुकदमे लालू के खिलाफ रांची की सीबीआई अदालत में चलेंगे। रांची हाईकोर्ट के लालू यादव को जमानत देने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी।
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लालू के पैर फंसे हैं
लालू की बेटी और राज्यसभा सदस्य मीसा भारती और उनके पति भी 1,000 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति के मामले में फंसे हुए हैं। आयकर विभाग दोनों से लंबी पूछताछ कर चुका है। दोनों ने आयकर विभाग को अब तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला है कि करोड़ों की संपत्ति दोनों को कौड़ियों के भाव कैसे मिल गई।
यहां भी दिख रही सपा की रार
लोकसभा में पांच और यूपी विधानसभा में 45 सदस्यों वाली सपा राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पहले ही दो फाड़ हो चुकी है। सपा के अब संरक्षक करार दिए गए मुलायम सिंह यादव ने पहले ही एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था। पार्टी के कितने विधायक उनके साथ जाएंगे, ये भी बड़ा सवाल है।
आस्था दिखाने का मौका
यूपी में 19 सीटों पर सिमट गई बसपा के कुछ विधायक बीजेपी में आने को आतुर हैं। हालांकि, बीजेपी ने इस बारे में अभी कुछ जाहिर नहीं किया है। बसपा छोड़ने को लालायित विधायकों के पास नई पार्टी के प्रति आस्था दिखाने का एक मौका हो सकता है।
'अंतरात्मा की आवाज' पर हो सकता है कमाल
सीएम योगी आदित्यनाथ भी कह चुके हैं कि 'यूपी में अपनी संख्या से ज्यादा मत रामनाथ कोविंद को मिलेंगे।' उनका ये दावा विपक्षी दलों में आ रही दरार को देखते हुए सही दिख भी रहा है। चूंकि राष्ट्रपति चुनाव में व्हिप जारी नहीं होता, लिहाजा सांसद और विधायक 'अंतरात्मा की आवाज' पर वोट देने को आजाद होते हैं।
बाडी लैंग्वेज काफी कुछ कह गई
मीरा कुमार के नामांकन के वक्त मौजूद नेताओं की शारीरिक भाषा (बाडी लैंग्वेज) ये बता रही थी कि जिस शक्ति प्रदर्शन की उम्मीद उन्होंने की थी, वो रामनाथ कोविंद के मुकाबले काफी फीका था। ना कोई जोश और न पूरे विपक्ष के एक होने की खुशी।