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मुलायम के समधी अरविंद सिंह बिष्ट यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त
लखनऊ :यूपी के सूचना आयुक्तों की कार्यप्रणाली और आरटीआई कानून की जानकारी पर सामाजिक संस्था ऐश्वर्याज सेवा संस्थान की ओर से कराये गए सर्वे में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के समधी अरविंद सिंह बिष्ट सबसे खराब सूचना आयुूक्त साबित हुए हैं।
सर्वे में ये बात भी साबित हुई कि बिष्ट को आरटीआई एक्ट का ज्ञान नहीं है।सर्वे में यूपी के सभी जिलों के लोगों से इस बारे में सुझाव मांगे गए थे।
संदीप पांडेय
मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित समाजसेवी संदीप पाण्डेय ने सभी सूचना आयुक्तों के कार्य व्यवहार को गलत बताया और कहा कि से समय से जानकारी नहीं देते या फिर देते ही नहीं हैं। सभी सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां काबिलियत के आधार पर न होकर राजनैतिक कारणों से की गई हैं।
नीरज कुमार
लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और विख्यात आरटीआई विशेषज्ञ नीरज कुमार सभी सूचना आयुक्तों के पास आरटीआई एक्ट का कोई भी ज्ञान न होने की बात कहने से अपने आप को रोक नहीं पाए । उन्होंनें कहा कि सीएम अखिलेश यादव ने काम के प्रति लापरवाही के कारण जावेद उस्मानी को मुख्य सचिव के पद से हटाया था।ऐसे लोगों से मुख्य सूचना आयुक्त की जिम्मेदारी निभाने की बात सोचना भी बेकार है।
मनोज कुमार
उत्तराखंड के हरिद्वार से आये मनोज कुमार ने मुख्य सूचना आयुक्त से सवाल किया कि अगर वे इमानदार हैं तो सुनवाई की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग क्यों नहीं करवाते। उन्होंनें कहा कि लम्बी अवधि की तारीखें देकर अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिवादी को बचाने की कोशिश की जाती है।
ऐश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव और सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने शनिवार को संवाददताओं से कहा कि सर्वे के आधार पर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के समधी सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट सूबे के सबसे खराब सूचना आयुक्त हैं जबकि 13.8% मत पाकर मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी दूसरी पायदान पर, 11.6% मत पाकर गजेन्द्र यादव तीसरी पायदान पर,9.4% मत पाकर हाफिज उस्मान चौथी पायदान पर, 9.1% मत पाकर स्वदेश कुमार पांचवीं पायदान पर,8.4% मत पाकर पारस नाथ गुप्ता छठी पायदान पर,8.1% मत पाकर खदीजतुल कुबरा सातवीं पायदान पर, 7.9% मत पाकर राजकेश्वर सिंह आठवीं पायदान पर और बराबर-बराबर 7.2% मत पाकर दो सूचना आयुक्त सैयद हैदर अब्बास रिज़वी और विजय शंकर शर्मा आख़िरी पायदान पर हैं ।
उन्होंनें कहा कि आरटीआई रूल्स के प्रति लोगों के भारी विरोध से स्पष्ट है कि निकट भविष्य में ये रूल्स आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन के लिए कितने बड़े बाधक बनने जा रहे हैं lसर्वे के इन परिणामों को गवर्नर राम नाईक को भेजकर अरविन्द सिंह बिष्ट को आरटीआई एक्ट की धारा 17 के तहत हटाने के लिए हाईकोर्ट को संदर्भित करने की मांग की जा रही है।
सर्वे में लखनउ,इलाहाबाद,गोंडा,बहराइच,गोरखपुर,बस्ती, संतकबीरनगर,बलिया,कुशीनगर,श्रावस्ती,कानपुर,उन्नाव,कानपुर देहात समेत अन्य जिलों के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया ।