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रेप विक्टिम के पिता का दर्द: आसाराम को मानता था भगवान,आज वही बना शैतान
शाहजहांपुर: आसाराम बापू की नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न की कहानी तो आपने सुनी होगी, लेकिन आज हम आपको विक्टिम के पिता की उस कहानी को बयां करेंगे जिसे सुनकर शायद आपका कलेजा कांप जाए। विक्टिम के पिता से newztrack.com ने उस दुख दर्द को जाना जिसे बताते हुए खुद उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उनका कहना है कि आसाराम तो अकेला जेल में बंद है, लेकिन आसाराम के गुर्गों के खौफ और गवाहों की हत्या के बाद उनका पूरा परिवार जेल जैसे हालातों में रह रहा है। इन सबके बावजूद विक्टिम के पिता अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए अपनी आखिरी सांस तक लड़ने का फैसला कर चुके हैं।
पिता ने कहा कि बापू के नाम का करवाता था भंडारा
दरअसल विक्टिम का परिवार शाहजहांपुर मे रहता है विक्टिम के पिता का ट्रांसपोर्ट का कारोबार है जो वह अपने घर से ही संभालते हैं। जिस वक्त विक्टिम का परिवार आसाराम बाबू का साधक हुआ करता था उस वक्त की दास्तान विक्टिम के पिता ने बताई कि वह सुबह 4 बजे उठकर नहाते थे उसके बाद आसाराम के फोटो के सामने बैठकर पूजा करते थे। और साल मे एक बार आसाराम बापू के नाम पर भंडारा करवाते थे।
भंडारा करवाने मे लगभग डेढ़ लाख रुपए का खर्च आ जाता था। विक्टिम के पिता ने बताया कि उस पाखंडी के कहने पर हमने शाहजहांपुर मे सात बीघा जमीन खरीदी आसाराम बापू के कहने के मुताबिक वह जमीन (संत श्री आसाराम ट्रस्ट करोल बाग शाखा शाहजहांपुर) के नाम खरीदी। उस पर लाखों का निर्माण करवा दिया। विक्टिम के पिता ने बताया कि उनके बच्चे शहर के अच्छे स्कूलों मे पड़ते थे, लेकिन आसाराम के कहने पर हमने बच्चों का एडमिशन उस आसाराम के स्कूल मे करवाया। हमे नहीं पता था कि हम पाखंडी के बताए रास्ते पर जा रहे हैं।
आसाराम पर केस करने के बाद शुरू हुआ परेशानियों का दौर
जब मेरी नाबालिग बेटी के साथ आसाराम बापू ने बलात्कर किया तो मैने उन पर केस दर्ज करवाया। इसके बाद से ही हमे धमकियां आना शुरू हो गईं। इसी वजह से मैं बीमार रहने लगा और कारोबार भी बिगड़ने लगा। उस वक्त मेरी बेटी सदमे में थी लेकिन इसके बावजूद वह मुझे दिलासा और हिम्मत देती थी। तीन महीने तक मेरी बेटी, चार महीने 10 दिन तक मेरी पत्नी और 25 दिन तक मेरी गवाही जोधपुर में हुई। जोधपुर मे महंगे होटलों मे रुकना पड़ता था।
अगर किसी सस्ते होटलों मे रुकते तो आसाराम के गुर्गे तभी उनके परिवार को मरवा चुके होते। मेरी जितनी जमा पूंजी थी वह इसमें खत्म हो गई और डिस्टर्ब होने कि वजह से कारोबार भी ठप हो गया। हालात इतने बिगड़ गए कि पत्नी के जेवर तक बेचने पड़े। काम ठप होने की वजह से मेरा स्वास्थ्य खराब हो गया।
केस वापस लेने की मिलती हैं धमकियां
आंखों में आंसू भरकर पिता ने कहा कि मेरे परिवार पर लगातार दबाव बनाया जाता रहा कि मैं केस वापस ले लूं। इन धमकियों कि वजह से मेरे ट्रांसपोर्ट पर काम करने वाले मुनीम और नौकर काम छोड़कर चले गए कोई भी मेरे यहां काम नही करना चाहता था। मेरे साथ काम करने से लोग घबराते थे लेकिन मेरे बेटे ने काम संभाला और सबसे अच्छी बात है कि मेरी बेटी जो कुछ वक्त पहले सदमे मे थी किसी से कोई बात नहीं करती थी पर अब वह अकाउंट का काम सभालती है। रही बात गवाह कृपाल सिंह की तो उसने मरने से पहले बयान दिया था कि उसको आसाराम ने ही मरवाया है।
आसाराम के गुर्गों ने फैलाई अफवाह
आसाराम के गुर्गे बोलते थे कि हम गुरू द्रोही हैं हमने आसाराम बापू का बुरा चाहा यही वजह है कि मेरा कारोबार ठप हो गया। इतना ही नहीं गुर्गों ने अफवाह उड़ाई कि मेरी पत्नी को कोढ़ हो गया है। और हमे फालिश अटैक हो गया। पर एेसा कुछ भी नहीं है। हम बिल्कुल ठीक हैं और मेरी पत्नी को भी कुछ नहीं हुआ है वह भी पूरी तरह से स्वस्थ्य है। लेकिन हमे हर समाज के लोगों और व्यापारियों ने हमारा साथ दिया जो हमारा कारोबार फिर से अपनी पटरी पर आ गया है। जोधपुर पुलिस द्वारा पकड़े गए कार्तिक ने तीन हत्याओं की बात कबूली है।
गवाहों पर हमले होने पर बढ़ा दी जाती है सुरक्षा
पिता के मुताबिक पकड़े गए कार्तिक का नाम खुद आसाराम बापू ने ही रखा था। लेकिन पुलिस ने उनका साथ दिया चाहे वह गुजरात पुलिस, राजस्थान पुलिस हो या फिर यूपी पुलिस हो सभी ने उनका साथ दिया। लेकिन हमे जो सुरक्षा मिली हुई है वह नाकाफी है कभी कभी सुरक्षा मे काफी ढिलाई बरती जाती है जब कोई धमकी मिलती है किसी गवाह पर हमला होता है फिर हत्या तभी सुरक्षा बड़ा दी जाती है इस वक्त सुरक्षा मे एक महिला दरोगा और तीन सिपाही हैं जबकि दो दिन पहले एक सिपाही ही मौजूद था। लेकिन हमे भगवान पर पूरा भरोसा है। मेरा या मेरे परिवार का आसाराम कुछ नही बिगाड़ सकता।
पिता ने सुरक्षा के लिए की बंदूक लाइसेंस की अपील
आसाराम दुष्प्रचार करने के लिए कई मैग्जीन छपवाता है दो तीन चैनल उसके अपने चल रहे हैं जिससे वह जमकर दुष्प्रचार करवा रहा है। आसाराम के एक साधक का कहना है कि हम खुद हमले करवा रहे हैं जबकि अरेस्ट हुए कार्तिक ने कबूला है कि वह आसाराम से जेल मे दो तीन बार मिल चुका है विक्टिम के पिता ने सुरक्षा की वजह से तीन बार लाइसेंस के लिए अप्लाई किया है, लेकिन तीनों बार उन्हे निराशा हाथ लगी है। इस बार उनकी लाइसेंस की फाइल डीएम के आॅफिस पहुंच चुकी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है अगर हमे लाइसेंस मिल जाता है तो आसाराम के गुर्गों का खौफ कुछ हद तक खत्म हो जाएगा।