TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

इन आशा वर्कर्स को सलाम, जान की परवाह किए बगैर अपनी ड्यूटी पर अडिग

मुश्किल से मुश्किल हालात में आशा वर्कर्स अपनी पूरी लगन से निभाती हैं। लेह में इन दिनों कड़ाके ठंड पड़ रही है और बर्फ की मोटर चादर से ढका हुआ इन हालातों में भी आशा वर्कर्स अपनी ड्यूटी पर अडिग हैं। आशा वर्कर्स कई किलोमीटर पैदल और नदी पर पड़े एक रोपवे के सहारे अपनी मंजिल तय करती हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 10 Jan 2019 5:38 PM IST
इन आशा वर्कर्स को सलाम, जान की परवाह किए बगैर अपनी ड्यूटी पर अडिग
X

लखनऊ: मुश्किल से मुश्किल हालात में आशा वर्कर्स अपनी पूरी लगन से निभाती हैं। लेह में इन दिनों कड़ाके ठंड पड़ रही है और बर्फ की मोटर चादर से ढका हुआ इन हालातों में भी आशा वर्कर्स अपनी ड्यूटी पर अडिग हैं। आशा वर्कर्स कई किलोमीटर पैदल और नदी पर पड़े एक रोपवे के सहारे अपनी मंजिल तय करती हैं।

अपनी जान की चिंता किए बगैर आशा बहनें गांव-गांव जाकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करती हैं। पहाड़ पर जान की परवाह किए लोगों की सेवा करने वाली आशा बहनों को सलाम है। इन आशा बहनों के हौसले का ही परिणाम है कि पिछले सात सालों में जंस्कार क्षेत्र के पांच गांवों में एक भी बच्चे या जच्चा की मौत नहीं हुई। आशा बहनों के जज्बे को पीएम मोदी ने भी सराहा है।

यह भी पढ़ें.....सपाइयों ने चीफ जस्टिस को खून से लिखा पत्र, केंद्र सरकार पर लगाया सीबीआई के दुरपयोग का आरोप

तेंदुए के खतरे से बेखौफ

लेह जिले के जंस्कार क्षेत्र के स्कू, काया, मरखा, सारा और हंकर गांवों में करीब 6 सौ लोग रहते हैं। सड़क तो दूर, इन गांवों तक पहुंचने के लिए कोई पगडंडी भी नहीं है। यहां की आशा बहनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और एएमएम को अपनी जान से अधिक पहाड़ों में रहने वाले बच्चों और गर्भवती माताओं की चिंता रहती है। तभी तो जान जोखिम में डालकर इन गांवों में जाती हैं और टीकाकरण समेत अन्य स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रखती हैं। इन गांवों को लेह से जोड़ने के लिए सिर्फ एक रोपवे है। इस पुल को जंस्कार नदी के ऊपर साल 1968 में बनाया गया था। तब से आज तक यही पुल इन गांवों के लिए जाने का एकमात्र साधन है।

सबसे बड़ी बात यह है कि दिसंबर महीने से फरवरी तक इस क्षेत्र में हिम तेंदुओं का भी खतरा बना रहता है। इन खतरों से बेखौफ आशा वर्कर्स कंधे पर टीकाकरण का सामान रख कर रोपवे से पहले नदी को पार करती हैं और फिर कई किलोमीटर पैदल चलकर गांवों में जाती हैं।

यह भी पढ़ें.....सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

इन आशा वर्कर की मेहनत ही है कि पिछले सात सालों से कभी किसी बच्चे की बीमारी से और मां की प्रसव के दौरान मौत नहीं हुई। कोई भी बच्चा कुपोषण से पीड़ित नहीं है और प्रदेश का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां शत-प्रतिशत टीकाकरण हुआ है।

पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कहा कि लेह के इन गांवों में टीकाकरण चलाने वाली आशा वर्कर्स और अन्य कर्मचारियों का जज्बा सराहनीय है। ऐसे कठिन क्षेत्रों में अभियान नियमित रूप से चलाना अपने आप में मिसाल है। ऐसे ही वर्कर्स के कारण अभियान सफल होते हैं।

यह भी पढ़ें.....रिलीज हुआ ‘मणिकर्णिका’ का गाना विजयी भव

यहा के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि लेह के इन गांवों तक जाना आसान काम नहीं है, लेकिन हमारी आशा वर्कर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मी तमाम मुश्किलों को दरिकनार कर यहां पर हर अभियान चलाती हैं। इसी का परिणाम है कि यहां पर बच्चे, गर्भवती माताएं व अन्य सभी स्वस्थ्य हैं।



\
Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story