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एसोचैम का सुझाव, ये काम किया तो UP में 2.5 लाख को मिल सकता है रोजगार

देश के प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को 31 मार्च 2017 तक प्रदेश में आये 9 लाख करोड़ रुपए की 1050 परियोजनाओं का समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष निगरानी समिति गठित करने का सुझाव दिया है।

tiwarishalini
Published on: 5 Oct 2017 7:57 PM IST
एसोचैम का सुझाव, ये काम किया तो UP में 2.5 लाख को मिल सकता है रोजगार
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एसोचैम का सुझाव, ये काम किया तो UP में 2.5 लाख को मिल सकता है रोजगार

लखनऊ : देश के प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को 31 मार्च 2017 तक प्रदेश में आये 9 लाख करोड़ रुपए की 1050 परियोजनाओं का समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष निगरानी समिति गठित करने का सुझाव दिया है।

एसोचैम द्वारा किए गये ताजा अध्ययन ‘उत्तर प्रदेश- इकोनॉमिक ग्रोथ एंड इंवेस्टमेंट परफॉर्मेंस एनालिसिस’ में इस बात को रेखांकित किया गया है कि अगर 50 प्रतिशत परियोजनाओं को भी समय से लागू कर लिया गया, तो इससे प्रदेश में रोजगार के एक लाख प्रत्यक्ष अवसर और डेढ़ लाख अप्रत्यक्ष अवसर सृजित करने में मदद मिलेगी।

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत और चैंबर की मैनेजिंग कमेटी के वरिष्ठ सदस्य बाबू लाल जैन ने गुरुवार को लखनऊ में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह अध्ययन रिपोर्ट जारी की।

वित्तीय वर्ष 2017 के अनुसार, यूपी में छह लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की 606 परियोजनाएं अपनी प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं। हाल के सालों में परियोजनाओं के प्रक्रियाधीन होने की दर में काफी तीव्र वृद्धि हुई है। साल 2011-12 में जहां यह 52.4 प्रतिशत थी, वहीं 2016-17 में यह 70.2 प्रतिशत तक पहुंच गई। अगर हम अखिल भारतीय औसत से इसकी तुलना करें तो साल 2011-12 को छोड़कर ज्यादातर समय तक यूपी में परियोजनाओं के प्रक्रियाधीन होने की दर बेहद खराब है।

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परियोजनाओं के प्रक्रियाधीन होने के क्षेत्रवार विश्लेषण से पता लगता है कि सबसे ज्यादा सिंचाई क्षेत्र की परियोजनाएं अपने क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों से गुजर रही हैं। साल 2016-17 के दौरान निवेश के सापेक्ष 98.1 प्रतिशत परियोजनाएं प्रक्रियाधीन थीं। उसके बाद खनन (91.5 प्रतिशत), निर्माण एवं रियल एस्टेट (89.8 प्रतिशत), बिजली (68.2 प्रतिशत), सेवा क्षेत्र (63 प्रतिशत) और विनिर्माण क्षेत्र (43.6 प्रतिशत) की बारी आती है।

परियोजनाओं के प्रक्रियाधीन होने की ऊंची दर से जाहिर होता है कि ज्यादातर परियोजनाएं या सक्रिय निवेश अपनी प्र्रक्रिया के विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं। यानी वे पूरे नहीं हुए हैं। ऐसे में उच्च प्रक्रियाधीन दर हमें कोई आशा नहीं दिलाती, क्योंकि निवेश का पूरा लाभ तभी मिलता है, जब सम्बन्धित परियोजना पूरी हो जाती है।

परियोजनाओं का प्रक्रियाधीन होना न सिर्फ भारत के बल्कि उसके ज्यादातर राज्यों के नीति निर्धारकों के लिये चिंता का प्रमुख कारण है। सभी राज्य सरकारें और केन्द्र सरकार परियोजनाओं के प्रक्रियाधीन होने की दर को कम करने के लिये प्रयास कर रही हैं और इसके लिये उन्होंने अनेक कदम भी उठाए हैं।

बहरहाल, यह अध्ययन हमें बताता है कि केवल उन्हीं राज्यों ने अपने यहां निवेश परियोजनाओं की क्रियान्वयन की दर में सुधार प्राप्त किया है, जिन्होंने अपने यहां परियोजनाओं के प्रक्रियाधीन होने की दर में कमी लाने में कामयाबी हासिल की है।

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एसोचैम के महासचिव श्री रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सक्षम नेतृत्व और दिशानिर्देशन में चल रही यूपी की वर्तमान सरकार को पूर्ववर्ती सरकार द्वारा डाली गई नींव पर आगे युद्धस्तर पर काम करना चाहिये, क्योंकि इससे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा और प्रदेश को बड़े पैमाने पर निजी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। इससे देश का सबसे बड़ा प्रदेश समग्र विकास तथा उन्नति के रास्ते पर आगे बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि ‘‘राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार को सभी पक्षकारों के हितों में संतुलन बनाने के लिये पर्यावरणीय स्वीकृतियों, भूमि अधिग्रहण

तथा अन्य सम्बन्धित मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए परियोजनाओं का तेजी से क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होगा।’’

सम्पूर्ण निवेश परिदृश्य:

एसोचैम के इकोनॉमिक रिसर्च ब्यूरो द्वारा तैयार किये गये इस अध्ययन के अनुसार ‘‘उत्तर प्रदेश ने निजी तथा

सार्वजनिक क्षेत्रों में घरेलू एवं वैश्विक निवेशकों से नौ लाख करोड़ रुपये के सक्रिय निवेश वाली 1050 परियोजनाएं अर्जित की थीं। वित्तीय वर्ष 2016-ंउचय17 में उत्तर प्रदेश द्वारा आकर्षित किए गए कुल सक्रिय निवेश में गैर-ंउचयवित्तीय सेवाओं की हिस्सेदारी काफी बड़ी यानी 39 प्रतिशत के आसपास है। इसके बाद बिजली (27 प्रतिशत), निर्माण एवं रियल एस्टेट (22.5 प्रतिशत) एवं विनिर्माण (करीब 8 प्रतिशत) क्षेत्र की भी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।’’

साल 2011-12 के निवेश के आंकड़ों की क्षेत्रवार तुलना करें तो हम पाते हैं कि निवेश की तर्ज में उल्लेखनीय बदलाव आये हैं। पूर्व में जहां हिस्सेदारी के मामले में बिजली (40 प्रतिशत से ज्यादा) क्षेत्र अग्रणी क्षेत्र था। वहीं, गैर-वित्तीय सेवाएं (लगभग 29 प्रतिशत), निर्माण एवं रियल एस्टेट (लगभग 21 प्रतिशत), विनिर्माण (लगभग 8 प्रतिशत) एवं सिंचाई भी प्रमुख योगदानकर्ता थे।

वित्तीय वर्ष 2016-ंउचय17 में गैर-ंउचयवित्तीय सेवा क्षेत्र में निवेश की मात्रा तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा थी, जो वित्त वर्ष 2011-ंउचय12 में 1.7 लाख करोड़ रुपए था। इस मामले में परिवहन क्षेत्र 83 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा योगदानकर्ता था।

वित्तीय वर्ष 2016-ंउचय17 में विनिर्माण क्षेत्र ने 68 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का सक्रिय निवेश प्राप्त किया, जो वर्ष 2011-ंउचय12 में 47 हजार करोड़ से कुछ ज्यादा था। विनिर्माण क्षेत्र में रसायन तथा रासायनिक उत्पादों की हिस्सेदारी आधी से ज्यादा (54 प्रतिशत) है। उसके बाद उपभोक्ता वस्तुएं (16 प्रतिशत), खाद्य एवं कृषि आधारित उत्पाद (11 प्रतिशत) तथा अन्य की बारी आती है।

आर्थिक प्रदर्शन:

जहां तक आर्थिक प्रदर्शन का सवाल है तो अर्थव्यवस्था के आकार के लिहाज से यूपी, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, और गुजरात के बाद भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। वित्तीय वर्ष 2011-ंउचय12 में उत्तर प्रदेश का आर्थिक योगदान 8.3 प्रतिशत था जो साल 2014-15 में गिरकर 7.9 प्रतिशत रह गया।

हालांकि उसके बाद वित्तीय साल 2016-17 तक यह स्थिर रहा। इसके अलावा, वर्ष 2012 से 2016 के दौरान जहां राज्य का आर्थिक विकास सम्पूर्ण भारत के मुकाबले कम रहा, वहीं साल 2016-17 में वह अखिल भारतीय स्तर से आगे निकल गया।

एसोचैम ने सरकार को कुछ सु-हजयाव भी दिये हैं, जिनमें प्रभावी बिजली आपूर्ति का विषय भी शामिल है। उत्तर प्रदेश इन दिनों बिजली की किल्लत से जूझ रहा है। प्रदेश का ऊर्जा क्षेत्र मुख्यतः सार्वजनिक क्षेत्र के उत्पादन पर निर्भर करता है, जबकि निजी क्षेत्र का योगदान बेहद कम है। यह देखा गया है कि उत्पादन क्षमता में सुधार की कोशिश के तहत निजी क्षेत्र की सहभागिता में वृद्धि हुई है। साथ ही हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में उल्लेखनीय निवेश भी आया है। इसीलिये, राज्य सरकार को निवेशकों की चिंताओं का प्रभावी समाधान करके मौजूदा निवेश का इस्तेमाल करना चाहिये। इससे राज्य के बिजली क्षेत्र में निवेश के लिये और अधिक संख्या में निवेशक प्रोत्साहित होंगे।

एसोचैम ने सरकार को क्लस्टर आधारित योजना अपनाने का सु-हजयाव देते हुए कहा है कि इससे औद्यानिकी का विकास करना सम्भव है। कार्यक्रमों तथा अन्य विभागों की योजनाओं में सामंजस्य बनाने के लिहाज से क्लस्टर-आधारित रवैये को और मजबूत करने की जरूरत है।

इसके अलावा, एसोचैम ने सरकार से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने, ग्रामीण सड़कों का विकास करने, शिक्षा क्षेत्र के विकास की पहल करने, कुटीर लघु एवं मध्यम उद्योग इकाइयों का विकास करने, किसानों की सहभागिता बढ़ाने, सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय बनाने तथा परियोजनाओं का त्वरित क्रियान्वयन करने इत्यादि के सु-हजयाव भी दिए हैं।

एसोचैम के बारे में:

एसोचैम ने भारतीय उद्योग में मूल्य सृजन का कार्य वर्ष 1920 से शुरू किया था। प्रमोटर चैम्बर्स द्वारा स्थापित किया गया यह चैम्बर भारत के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। एसोचैम रूपी छत्र संगठन में 400 चैम्बर और ट्रेड एसोसिएशन काम कर रही हैं जो पूरे देश में अपने 4.5 लाख सदस्यों की सेवा कर रही हैं। एसोचैम भारतीय उद्योग के लिये ज्ञान के एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभरा है, और यह ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के विकास को पुन:परिभाषित एवं गतिमान कर रहा है।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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