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एक समय हज यात्री करते थे आराम, अब है कैदियों के लिए कारागार

priyankajoshi
Published on: 18 Jan 2018 10:20 AM GMT
एक समय हज यात्री करते थे आराम, अब है कैदियों के लिए कारागार
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आगरा: यूं तो भारतीय इतिहास मुगलों द्वारा तैयार कराई गई ऐतिहासिक धरोहरों से भरा हुआ है। अगर बात की जाए विश्व प्रसिद्ध मोहब्बत की निशानी ताजमहल वाले शहर आगरा की तो यहां भी ताज के अलावा ऐतिहासिक इमारतों की कोई कमी नहीं है। इनमें आगरा किला, बुलंद दरवाजा, सिकंदरा समेत कई इमारतें शामिल हैं जो काफी प्रसिद्ध है और आए दिन पर्यटक इनका दीदार करने देश-विदेश से आते है।

मगर इन्ही ऐतिहासिक इमारतों की लिस्ट में एक नाम और शुमार है जो गुमनामी में है। हालांकि लोग इस ऐतिहासिक इमारत के रूप की जगह जिला जेल के नाम से ज्यादा जानते है। लेकिन जानकार आश्चर्य होगा कि आज की जिला जेल एक समय में मुग़ल बादशाह द्वारा हज यात्रियों के आराम करने के लिए बनाई गयी आरामगाह थी।

17वीं शताब्दी में यात्रियों के लिए बनी थी

आपको बता दें कि ताजनगरी आगरा के हरी पर्वत थाना क्षेत्र में जिला जेल स्थित है जिसमें विचाराधीन कैदियों को रखा जाता है। ये जिला जेल 17वीं शताब्दी में हज यात्रियों के लिए आरामगाह हुआ करती थी। इस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण 12वें मुगल बादशाह मोहम्मद शाह गाजी रंगीला के शासनकाल में 1741 में मीर वजीर उद्दीन खान मुख्ताब और मीर जलालुद्दीन द्वारा हज पर आने-जाने वाले यात्रियों के आराम के लिए आरामगाह के रूप में हुआ था। यह मुगलकाल स्थापत्य का एक नमूना है। मुगलकाल में निर्मित उक्त ऐतिहासिक इमारत का प्रवेश द्वार तकरीबन 50 फुट लंबा है, जिस पर फारसी भाषा में लिखी एक शिलापट लगी हुई है।

डीआईजी जेल संजीव त्रिवेदीडीआईजी जेल संजीव त्रिवेदी ने बताया कि यह एक संरक्षित स्मारक है। जेल के मुख्य द्वार पर लगे फारसी भाषा के हिन्दी अनुवाद वाले शिलापट अब हिंदी भाषा में अनुवादित कर जिला जेल इमारत की दीवार पर लगा दिए गए हैं, जिससे अब यहां आने वाले लोग इसकी ऐतिहासिकता से भी परिचित हो सकेंगे। हालांकि, जिला जेल की ऐतिहासिक इमारत संरक्षित श्रेणी में है अथवा नहीं, इसको लेकर एएसआई अधिकारियों में अभी संशय बरकरार है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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