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अटल जयंती: राज्यपाल राम नाईक बोले-विलक्षण प्रतिभा के मालिक थे 'वाजपेयी'
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयन्ती के अवसर पर लोक भवन में आज ‘महानायक अटल’ विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा, मंत्रिमण्डल के अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।
लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयन्ती के अवसर पर लोक भवन में आज ‘महानायक अटल’ विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा, मंत्रिमण्डल के अन्य सदस्यगण उपस्थित थे। परिचर्चा से पूर्व सभी ने लोक भवन के प्रांगण में लगे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर पुष्प अर्पित करके अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
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राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सुखद संयोग है कि ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभु ईशा मसीह, महामना मदन मोहन मालवीय तथा अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्मतिथि एक ही है। अटल जी में सबको साथ लेकर चलने की विशेषता थी तथा उन्होंने देश को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया। राज्यपाल ने कहा कि अटल जी ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने लखनऊ से सांसद रहते हुए भी अपना निजी आवास नहीं बनाया।
अटल जी विलक्षण प्रतिभा के मालिक थे। मुझें उनके साथ संगठन और सरकार में काम करने का अवसर मिला। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो वे मुंबई के अध्यक्ष थे। सन् 1980 में मुंबई में आयोजित प्रथम पार्टी अधिवेशन में न्यायमूर्ति छागला ने अपने सम्बोधन में कहा था कि ‘मैं मिनी इण्डिया देख रहा हूँ और मेरे दाहिने हाथ पर देश के भावी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बैठे हैं।‘ आगे जाकर न्यायमूर्ति छागला की भविष्यवाणी सही साबित हुई और अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने।
राज्यपाल ने कहा कि अटल जी कार्यकर्ताओं से बड़ी आत्मीयता और स्नेह से मिलते थे। राज्यपाल ने बताया कि 1994 में जब उन्हें कैंसर हुआ तब वे लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक थे, उन्होंने त्यागपत्र देने की बात कही तो अटल जी ने कहा कि ‘त्यागपत्र मैं अपने पास रखता हूँ पर आप जल्दी ही वापस आने वाले हैं।
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केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अटल जी भारत के विलक्षण व्यक्ति थे। सार्वजनिक जीवन में रहते हुए व्यवहार, आचरण और कार्यशैली अटल जी से सीखने की जरूरत है। अटल जी की नाराजगी भी स्नेहिल होती थी। कूटनीति के मैदान के साथ-साथ युद्ध के मैदान में भी उन्होनें विजय प्राप्त की। अटल जी के सानिध्य में जाने पर दलों के बंधन भी टूट जाते थे। उन्होंने कहा कि अटल जी जैसा नेता बिरले ही मिलता हैं। गृहमंत्री ने स्वर्गीय अटल जी से जुड़े कई संस्मरणों को भी साझा किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी का उत्तर प्रदेश से अटूट संबंध था। सार्वजनिक जीवन की शुरूआत उन्होंने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद से की तथा पांच बार लखनऊ से सांसद रहे। सुशासन के आधार नींव थे अटल जी। अटल जी की स्मृति में कई योजनाओं का शुभारम्भ किया गया है तथा लोक भवन में उनकी 25 फुट ऊँची प्रतिमा भी स्थापित की जायेगी।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि अटल जी प्रिय और अप्रिय से सर्वथा मुक्त व्यक्तित्व के मालिक थे। अपने हास्य और विनोद के माध्यम से माहौल बनाना उनकी कुशलता थी। उन्होंने कहा कि अटल जी के डांट में भी प्रेम होता था।
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