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सांसद अतुल राय के लिए दूर है संसद, कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

raghvendra
Published on: 21 Jun 2019 9:19 AM GMT
सांसद अतुल राय के लिए दूर है संसद, कोर्ट से भी नहीं मिली राहत
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आशुतोष सिंह

वाराणसी: लोकसभा चुनाव के बाद मानसून सत्र में नवनिर्वाचित सांसदों ने शपथ ली मगर वह सांसद नहीं पहुंचा जिसे सभी की नजरें ढूंढ़ रही थीं। चुनाव जीतने के बाद वह लगातार गायब चल रहे हैं। ना जीत का जश्न मनाया और ना ही संसद की दहलीज पर पहुंचे। वो सांसद हैं अतुल राय जिन्हें घोसी सीट पर जीत हासिल हुई है। इसे लेकर अब कयासों का दौर शुरू हो चुका है। मोदी लहर के बावजूद पूर्वांचल में जो सीटें बीजेपी के हाथ से निकल गयीं, उनमें घोसी संसदीय सीट भी थी। इस सीट पर बीएसपी उम्मीदवार अतुल राय ने बीजेपी के हरिनारायण राजभर को करारी शिकस्त दी।

अतुल राय की ये जीत वाकई जोरदार थी, क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान वो मतदाताओं के बीच नहीं दिखे। उनके समर्थकों ने मोर्चा संभाला और उन्हें जीत की दहलीज पर पहुंचाया मगर संसद में शपथ लेने के बजाय वह पुलिस से भागे-भागे फिर रहे हैं। अदालत के आदेश के बाद उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। दरअसल अतुल राय के ऊपर एक महिला ने रेप और धमकी देने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने उन्हें सरेंडर करने का आदेश दिया है, लेकिन अतुल राय अभी तक कानून का सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

दुष्कर्म का आरोप

बीएसपी सांसद अतुल राय पर चुनाव के दौरान बलिया की रहने वाली एक लडक़ी ने आरोप लगाया था। लडक़ी के मुताबिक अतुल राय ने उसे नौकरी का झांसा देकर वाराणसी के मंडुवाडीह स्थित अपने फ्लैट पर बुलाया। लडक़ी के अनुसार जब वह फ्लैट पर गई तो वहां कोई नहीं था। कुछ देर के बाद अतुल राय ने उसके साथ दुष्कर्म किया। साथ ही जान से मारने की धमकी दी। इस बीच मामले ने तब तूल पकड़ लिया जब लडक़ी आरोपों के साथ पुलिस थाने पहुंच गई।

पीडि़ता की तहरीर पर पुलिस ने बीएसपी नेता के खिलाफ रेप सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस से शिकायत करने के साथ ही पीडि़ता ने सोशल मीडिया में भी अतुल राय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उसने फेसबुक और व्हाट्सअप पर वीडियो बनाकर अतुल राय पर संगीन आरोप लगाए। साथ ही अतुल राय के उन मैसेज को भी वायरल कर दिया जो उन्होंने लडक़ी को लिखे थे। बलिया की रहने वाली लडक़ी वाराणसी में रहती थी और यूपी कॉलेज की छात्रा रह चुकी है। पिछले कुछ महीनों से वह अतुल राय के संपर्क में थी।

चुनाव प्रचार में रहे गायब

चुनाव के दौरान अतुल राय पर इस तरह के आरोप किसी सदमे से कम नहीं था। अतुल राय एक साथ दो मोर्चों पर काम कर रहे थे। एक तरफ चुनावी मैदान में बीजेपी से मुकाबला तो दूसरी ओर पुलिस की गिरफ्तारीका डर। दरअसल आरोप लगते ही जिस तरह से बनारस पुलिस सक्रिय हुई, अतुल राय समझ गए कि किसी भी वक्त उनकी गिरफ्तारी हो सकती है।

लिहाजा उन्होंने चुनावी मैदान में प्रचार से दूरी बना ली और सुरक्षित ठिकाने की तलाश में जुट गए। इस बीच अतुल राय के समर्थकों ने मोर्चा संभाल लिया। चुनाव प्रचार में अतुल राय के ना होने के बावजूद बीएसपी समर्थक मैदान में डटे थे। समर्थकों ने दिन रात मेहनत की। कहीं से भी अतुल राय की कमी नहीं खलने दी। अतुल राय भी सोशल मीडिया के जरिए भावनात्मक अपील करते रहे। 20 मई को उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें अतुल राय ने कहा था, जांच में वो युवती मेरा घर तक नहीं दिखा पाई वो यह तक नहीं दिखा पाई कि किस अपार्टमेंट में मेरा फ्लैट है। उनके इस वीडियो और पोस्ट का असर भी देखने को मिला।

दूसरी ओर मुश्किल की इस घड़ी में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने उनका साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने अतुल राय पर न सिर्फ पूरा भरोसा दिखाया बल्कि उनके पक्ष में चुनाव प्रचार भी किया। मायावती के साथ अखिलेश यादव मऊ में प्रचार के लिए पहुंचे थे। मायावती ने तब चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि बीजेपी उनके उम्मीदवार को फंसाने के लिए साजिश रच रही है।

अदालत ने दिया कुर्की का आदेश

अदालत के आदेशों की अवहेलना करने के बाद अब अतुल राय के बचने की कोई उम्मीद नहीं है। कोर्ट ने बसपा सांसद अतुल राय के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं। इसके तहत पिछले दिनों अतुल राय के वाराणसी में मंडुवाडीह स्थित फ्लैट और गाजीपुर के भांवरकोल आवास पर कुर्की का नोटिस चस्पा किया गया। ऐसे में अगर उन्होंने सरेंडर नहीं किया तो कोर्ट के आदेश के अनुसार संपत्ति को कुर्क कर लिया जाएगा।

दरअसल पीडि़ता ने सीएम योगी आदित्यनाथ और डीजीपी को शिकायती पत्र ट्वीट कर न्याय की गुहार लगाई। पीडि़ता का आरोप है कि घोसी से बसपा सांसद अतुल राय के करीबी मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहे हैं और बात ना मानने पर फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दे रहे हैं। एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि गाजीपुर के भांवरकोल थाने के बीरपुर में और मंडुआडीह थाना क्षेत्र के कंचनपुर स्थित अपार्टमेंट में अतुल राय का घर है। दोनों जगह अदालत से जारी नोटिस चस्पा कर दिया गया है। इस बीच बसपा सांसद अतुल राय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम की अदालत में सरेंडर करने के लिए आवेदन दिया है।

पूर्व सांसद ने हाईकोर्ट में दायर की रिट याचिका

अतुल राय की मुश्किल बढ़ाने के लिए पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर भी मैदान में आ गए हैं। उन्होंने चुनाव के दौरान अतुल राय की ओर से हलफनामे को मुद्दा बनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अतुल राय के निर्वाचन को रद्द करने की मांग की है। उन्होंने कोर्ट में रिट याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि अतुल राय के ऊपर कुल 33 संगीन मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन नामांकन के दौरान अतुल राय ने ये संख्या सिर्फ 13 बताई है। माना जा रहा है कि अतुल राय कानूनी पचड़े में फंस चुके हैं। दूसरी ओर उनके अंडरग्राउंड होने से समर्थकों में निराशा है। संसद में शपथग्रहण के दौरान समर्थकों को उम्मीद थी कि अतुल राय शायद सामने आएं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। विशेषज्ञों के मुताबिक अतुल राय ने एक मौका खो दिया है। अगर वह सरेंडर कर देते तो शायद उनकी मुश्किल कुछ कम हो सकती थी। सांसद के तौर पर शपथ लेने के बाद वो आगे आरोपों का बचाव करते तो उनके लिए आसानी होती। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं देखने को मिला है। जानकार बता रहे हैं कि अगर एक बार अतुल राय पुलिस के हत्थे चढ़ गए तो योगी सरकार शायद ही उन्हें जेल से बाहर आने दे।

मुख्तार के राइटहैंड माने जाते हैं अतुल राय

अतुल राय की गिनती बाहुबली मुख्तार अंसारी के राइटहैंड के रूप में होती है। कहा जाता है कि मुख्तार की गैरमौजूदगी में उनका पूरा आर्थिक साम्राज्य अतुल राय ही संभालते हैं। गाजीपुर, मऊ और आजमगढ़ में सरकारी ठेकों पर अतुल राय का वर्चस्व कायम रहा है। उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा में भी टेलीकॉम के क्षेत्र में अतुल राय का बड़ा ठेका है। फिलहाल मुख्तार गिरोह की कमान एक तरह से अतुल राय के ही हाथों में थी। 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले अतुल राय कौमी एकता दल में थे, लेकिन मुख्तार अंसारी और उनके परिवार के बीएसपी में शामिल होते ही उन्होंने भी बीएसपी का दामन थाम लिया। इस बीच मुख्तार अंसारी परिवार ने अतुल राय पर भरोसा दिखाते हुए उन्हें गाजीपुर की जमानियां विधानसभा सीट से बीएसपी का टिकट दिलवाया। चुनाव के दौरान अतुल राय ने जमकर मेहनत की मगर वे बीजेपी उम्मीदवार सुनीता सिंह से कड़े मुकाबले में हार गए। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी राजनीतिक क्षमता से पार्टी को प्रभावित किया। इस बीच जब घोसी लोकसभा सीट से मायावती ने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को टिकट देने से इनकार कर दिया तो अतुल राय का नाम अचानक चर्चा में आ गया। बताया जाता है कि मुख्तार अंसारी के परिवार की ओर से ही अतुल राय का नाम आगे किया गया, जिसके बाद बीएसपी ने उन्हें टिकट दिया।

सांसद को अदालत से मिला झटका

चुनाव प्रचार के दौरान अतुल राय ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद अतुल राय सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे, लेकिन यहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी। एक के बाद एक झटके खाने के बाद अतुल राय के समर्थक मायूस थे, लेकिन किस्मत ने उनका साथ दिया। जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो हर कोई चौंक गया। अतुल राय ने बीजेपी के हरिनारायण राजभर को एक लाख 22 हजार वोटों से हरा दिया। इस जीत के बाद अतुल राय ने फेसबुक पर पोस्ट डालते हुए जनता का शुक्रिया अदा किया। अतुल राय के ऊपर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। पिछले दिनों उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है और देशभर के हवाई अड्डों पर इस संबंध में अलर्ट जारी किया गया है। इस बीच गिरफ्तारी से बचने के लिए अतुल राय हर हथकंडे अपना रहे हैं। गिरफ्तारी पर रोक के लिए अतुल राय ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली थी। इसके बाद अतुल राय ने कोर्ट में समर्पण की अर्जी दी थी। दो बार उसकी तिथि पड़ी, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए। इसके बाद कोर्ट ने अर्जी को निस्तारित कर दिया।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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