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फेल हुई फसल बीमा: इससे किसानों का मोह भंग, नही मिलता कोई मुआवजा

बीमा कंपनी से फसल के नुकसान पर मुआवजा न मिलने से तमाम किसानों ने फसल बीमा कराना बंद कर दिया है। उनका कहना है कि प्रीमियम के तौर पर हजारों रुपये की कटौती हो जाने के बाद भी फसल नुकसान पर बीमा कंपनी नुकसान पर बीमा कंपनियां हीला-हवाली करती हैं।

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Published on: 24 Sep 2020 10:58 AM GMT
फेल हुई फसल बीमा: इससे किसानों का मोह भंग, नही मिलता कोई मुआवजा
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फसल बीमा से किसानों का मोह भंग, होती हजारों की कटौती पर नही मिलता मुआवजा (social media)

औरैया: बीमा कंपनी से फसल के नुकसान पर मुआवजा न मिलने से तमाम किसानों ने फसल बीमा कराना बंद कर दिया है। उनका कहना है कि प्रीमियम के तौर पर हजारों रुपये की कटौती हो जाने के बाद भी फसल नुकसान पर बीमा कंपनी नुकसान पर बीमा कंपनियां हीला-हवाली करती हैं। इसीलिए उन्होंने अब फसल का बीमा कराना ही बंद कर दिया है।

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बहुतेरे किसान केसीसी खाताधारक हैं लेकिन उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। उनके बैंक से कितने रुपयों की कटौती हुई है। जिन्हें इसकी जानकारी भी है, तब भी नुकसान होने पर वे बीमा कंपनी और बैंक के चक्कर काटते रहते हैं।

फसल बीमा से जुड़े तथ्य

औरैया। फसल बीमा को लेकर किसानों को अब तक पूरी जानकारी नहीं है। इसीलिए वह मुआवजा हासिल करने से चूकते रहे हैं। जिला कृषि अधिकारी आवेश कुमार ने बताया कि जिले में दो लाख 41 हजार किसान हैं। एक अप्रैल से 31 जुलाई के मध्य 15325 किसानों ने खरीफ की फसल के लिए धान, बाजरा, मक्का और अरहर का बीमा करवाया है। जिले में कुल 45958 केसीसी धारक हैं। जबकि 155 गैर ऋणी हैं। इस साल किसानों को इस बात की छूट दी गई थी। वे फसल बीमा की अंतिम तारीख से सप्ताह भर पूर्व बैंक को प्रार्थना पत्र देकर प्रीमियम न काटे जाने की मंशा जाहिर कर सकते थे। लिहाजा कई किसानों ने कई किसानों ने बीमा नहीं कराया।

किसानों से खरीफ फसल में दो प्रतिशत प्रीमियम राशि ली गई। जो संबंधित फसल के एक हेक्टेयर की निर्धारित लागत का दो प्रतिशत है। जिले में फसल बीमा कंपनी के लिए यूनिवर्सल सोम्पो कंपनी को जिम्मेदारी दी गई है। इस कंपनी का प्रतिनिधि इलाहाबाद बैंक में बैठता है। किसी किसान को ओलावृष्टि, अतिवृष्टि और भू स्खलन से 50 फीसदी से अधिक फसल नुकसान होता है तो उसे 25 फीसदी नुकसान तत्काल मुहैया कराएगी।

शेष रकम क्रॉप कटिंग के बाद पैदावार में हुई कमी के आधार पर दी जाएगी। यदि किसी किसान को सरकारी पट्टा दिया गया है तो उसे नाम से फसल बीमा होगा और यदि कोई व्यक्ति किसी किसान की खेती को पट्टे पर लेकर उपज लेता है तो जिसके नाम खेती है, उसी के नाम से फसल बीमा किया जाएगा। यही नहीं सरकार ने यह भी साफ किया कि यदि कोई बैंक प्रीमियम की कटौती करके बीमा पोर्टल पर अपलोड नहीं करवाते तो किसान को होने वाले नुकसान की भरपाई संबंधित बैंक करेंगे।

auariya-farmer auariya-farmer (social media)

महेश दत्त चतुर्वेदी

ब्लॉक भाग्यनगर के ग्राम अजलापुर के किसान महेशदत्त ने बताया कि फसल बीमा के नाम पर प्रतिवर्ष हजारों रुपये काट लिए जाते हैं। केसीसी कराया जाता था। तब फसल बीमा की जानकारी नहीं दी गई। इस वर्ष बीमा नहीं कराया है। फसल बीमा के नाम पर फालतू के रुपये जाते हैं।

सदर ब्लॉक के गांव चिरुहूली के किसान छोटे सिंह ने बताया कि फसल बीमा के नाम पर हर वर्ष हजारों रुपये बैंक काटती रही। लेकिन जब फसलों में नुकसान होता तो कोई नहीं सुनता। किसान किसी न किसी रूप में परेशान हो रहा है।

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auariya-farmer auariya-farmer (social media)

राम प्रकाश

ब्लॉक अजीतमल के गांव गोपालपुर के किसान राम प्रकाश ने बताया कि उनका सैंट्रल बैंक में केसीसी बना है। पिछले वर्ष २०१८ में जलभराव से गेहूं की फसल बर्वाद हो गई थी, लेकिन बीमा कंपनी से कोई मुआवजा नहीं मिला। उन्होंने कहा कि फसल के नुकसान के समय कंपनी के टोल फ्री नंबर पर फोन करके समस्या दर्ज करा दी थी। इस वर्ष उन्होंने फसल बीमा न कराने का प्रार्थना पत्र दिया है।

रिपोर्टर- प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया

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