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जेल में कटेंगी रातें: साढ़े तीन साल की कैद, ग्राम पंचायत अधिकारी हत्याकांड में फैसला

ग्राम पंचायत अधिकारी/प्रधानपति के बहुचर्चित हत्याकाण्ड में फैसला सुनाते हुए नामजद पांच आरोपितों में तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनायी।

Newstrack
Published on: 31 Aug 2020 5:16 PM GMT
जेल में कटेंगी रातें: साढ़े तीन साल की कैद, ग्राम पंचायत अधिकारी हत्याकांड में फैसला
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ग्राम पंचायत अधिकारी हत्या मामले में तीन आरोपियों को सजा, एक बरी

औरैया: सोमवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश महेश चंद्र वर्मा ने शहर कोतवाली के ग्राम जरूहलिया में चुनावी रंजिश को लेकर ग्राम पंचायत अधिकारी/प्रधानपति के बहुचर्चित हत्याकाण्ड में फैसला सुनाते हुए नामजद पांच आरोपितों में तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया तथा एक आरोपी की पूर्व में मृत्यु हो चुकी है।

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उक्त मामला चार वर्ष बाद उस समय एक बार फिर सुर्खियों आ गया था जब दिबियापुर से कचहरी परिसर आ रहे दो जिला जज की गाड़ियों पर हुये हमले से इसके जुड़े होेने की खबर आयी थी। मामले को लेकर सीओ सिटी के नेतृत्व में भारी पुलिस बल न्यायालय परिसर में देर शाम तक मौजूद रहा।

ये था मामला

आपको बताते चलें कि 15 फरवरी 2016 की रात लगभग साढ़े आठ बजे ग्राम जरूहलिया में चुनावी रंजिष को लेकर ग्राम पंचायत अधिकारी/प्रधानपति राजबीर सिंह पुत्र जगदेव सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जिस पर मृतक के चचेरे भाई हमीर सिंह पुत्र सुखदेव सिंह निवासी जरूहलिया ने रिपोर्ट लिखायी थी कि राजबीर की पत्नी संगीता सिंह ने प्रधानी के चुनाव में गांव के ही राजकुमार द्विवेदी उर्फ राजू को हराया था।

जिसके कारण राजकुमार उसके चचेरे भाई राजबीर से रंजिश मांनने लगा और इसी के चलते जब राजबीर अपनी पत्नी संगीता के साथ 15 फरवरी 2016 की रात साढ़े आठ बजे वाहन से किसी काम से औरैया आ रहा था। तभी योजनाबद्ध तरीके से रास्ते मे घात लगाकर ससेन्द्र कुमार द्विवेदी, राजकुमार द्विवेदी उर्फ राजू व शिव कुमार द्विवेदी द्विवेदी पुत्रगण उमा शंकर द्विवेदी जरूहलिया व तीन अज्ञात लोगों ने उसके ऊपर लाइसेंसी, असलाहों से गोली चला दी।

गोलीबारी से राजबीर सिंह की मौत हो गई

गोलीबारी से राजबीर सिंह की मौत हो गई। पुलिस ने उक्त आरोपितों के अलावा देवकीनंदन एवं राधेश्याम कश्यप समेंत पांच आरोपियों को नामजद किया। जिसके बाद बहुचर्चित हत्याकाण्ड का यह मुकदमा सत्र न्यायालय में चला और कानूनी दांव पेंच से यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा लेकिन आरोपियों को न तो जमानत मिली और न ही कोई राहत। वहीं एक महीने पहले यह मामला उस समय फिर सुर्खियों में आ गया जब दिबियापुर स्थित आवास से न्यायालय आ रहे दो अपर जिला जज की गाड़ियों पर हमला किया गया।

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साढ़े चार वर्ष तक चले इस मुकदमें में आखिरकार सोमवार को अपर जिला जज महेश चन्द्र वर्मा ने तीन आरोपितों ससेन्द्र कुमार द्विवेदी व शिवकुमार द्विवेदी पुत्रगण उमाशंकर निवासी ग्राम जरूहूलिया तथा नंदन उर्फ देवकीनंदन को हत्या के जुर्म में आजीवन करावास एवं 55 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं चैथे आरोपी राधेश्याम कश्यप को कोरोना पाॅजिटिव होने के कारण वीडियों कान्फ्रेसिंग के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था। जिसे न्यायालय ने दोष मुक्त करते हुए बरी कर दिया। जबकि पांचवे आरोपी राजकुमार द्विवेदी उर्फ राजू की विचारण के दौरान ही कैंसर बीमारी से मृत्यु हो गई थी।

अभियोजन की ओर से मामले की पैरवी कर रहे एडीजीसी चन्द्रभूषण तिवारी, रामलखन सिंह, डी डी मिश्रा एवं दीपेन्द्र सिंह ने उक्त फैसले को साढ़े चार वर्ष बाद मिला न्याय बताया तो वहीं जिला बार एसोसिएशन ने फैसले को ईमानदारी से दिया गया फैसला बताते हुए संतोष जाहिर किया।

रिपोर्टर प्रवेश चतुर्वेदी औरैया

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