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लंबे इंतजार के बाद आई शुभ घड़ी, अयोध्या में 492 साल बाद इतिहास की करवट

लंबे इंतजार के बाद वह शुभ घड़ी आ गई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे।

Newstrack
Published on: 5 Aug 2020 2:52 AM GMT
लंबे इंतजार के बाद आई शुभ घड़ी, अयोध्या में 492 साल बाद इतिहास की करवट
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अयोध्या: लंबे इंतजार के बाद वह शुभ घड़ी आ गई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। अयोध्या में 492 साल बाद इतिहास नई करवट लेने जा रहा है। इस ऐतिहासिक घड़ी के मौके पर अयोध्या में अभूतपूर्व उल्लास और उमंग का माहौल है और चारों ओर दीपावली जैसा नजारा दिख रहा है। अयोध्या के लोगों ने भी मंदिर निर्माण की इस घड़ी को ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है।

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मीर बाकी ने 1528 में बनवाई मस्जिद

मुगल साम्राज्य का संस्थापक बाबर 1526 में इब्राहिम लोदी से जंग लड़ने के लिए भारत आया था। बाबर के सूबेदार मीर बाकी ने 1528 में अयोध्या में एक मस्जिद बनवाई। मीर बाकी ने बाबर को सम्मान देने के लिए इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा। 30 साल बाद ही 1558 में इस मस्जिद को लेकर विवाद शुरू हो गया था। विवादित परिसर में हवन-पूजन करने की पहली शिकायत उसी समय दर्ज की गई थी।

महंत रघुवर दास ने दायर की पहली याचिका

इसके बाद मामला अदालती लड़ाई के चौखट पर पहुंच गया। 1885 में महंत रघुवर दास ने फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए याचिका दायर की मगर कोर्ट ने उनकी याचिका रद्द कर दी। 1886 में इस फैसले के खिलाफ फिर अपील दायर की गई, लेकिन वह याचिका भी रद्द कर दी गई।

1949 में गरमाया मामला

उसके बाद 1949 से यह मामला फिर गरमा गया। 1949 में 23 दिसंबर को विवादित स्थल पर सेंट्रल जोन के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित करने के संबंध में एफआईआर दर्ज की गई। विवाद बढ़ जाने के कारण परिसर को लॉक कर दिया गया और 5 जनवरी को नगर महापालिका अध्यक्ष प्रियदत्त राम इसके रिसीवर बनाए गए। 1950 में यह मामला एक बार फिर कोर्ट में पहुंच गया और फिर उसके बाद 2019 तक इसे लेकर लंबी कानूनी लड़ाई चलती रही।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगी रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में 2:1 से महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांटने का आदेश दिया मगर 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को लेकर दाखिल विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।

पिछले साल नवंबर में ऐतिहासिक फैसला

जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच बनाई। 6 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हिंदू और मुस्लिम पक्षों की सुनवाई शुरू की। 16 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। आखिरकार पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना।

अयोध्या ने देखे कई पड़ाव

492 सालों के दौरान अयोध्या में कई पड़ाव देखे। 1528 में मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई। 1853 में पहली बार अयोध्या में सांप्रदायिक हिंसा भड़की और हिंदू समुदाय ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। 1934 में पहली बार विवादित ढांचे का कुछ हिस्सा हिंदुओं ने गिरा दिया मगर उस समय देश में राज कर रहे अंग्रेजों ने इसे फिर से बना दिया। 1992 में 6 दिसंबर को कारसेवकों ने विवादित ढांचे को पूरी तरह ढहा दिया। 2003 में आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में विवादित जगह पर किसी पुराने ढांचे के होने की बात कही थी।

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आ गई मंदिर निर्माण की की शुभ घड़ी

Ram Mandir

इस तरह 492 साल बाद इतिहास एक बार फिर अयोध्या में करवट लेने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे। वे राम जन्मभूमि पहुंचने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे। 2014 में देश की सत्ता संभालने के बाद वह भी अभी तक राम जन्मभूमि नहीं पहुंचे थे। राम मंदिर निर्माण की इस बेला में अयोध्या दुल्हन की तरह सज गई है और अयोध्या वासी मंदिर निर्माण की इस बेला को ऐतिहासिक बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

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