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डिबेट पर एकमत नहीं उलेमा: टीवी पर आने  में परहेज करें - दारुल उलूम

टीवी डिबेट में उलेमा के शामिल होने के मसले पर उलेमा एकमत नजर नहीं आ रहे हैं। बरेली के सबसे बड़े मरकज दरगाह आला हजरत ने टीवी चैनलों पर आने वाली डिबेट में उलेमा की भागीदारी को नाजायज और शरीयत के खिलाफ बताया है। जबकि विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद भी पहले ही उलेमा से टीवी डिबेट में शामिल न होने की अपील कर चुका है। इसके विपरीत अ

Anoop Ojha
Published on: 23 Jan 2018 2:58 PM GMT
डिबेट पर एकमत नहीं उलेमा: टीवी पर आने  में परहेज करें - दारुल उलूम
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डिबेट पर एकमत नहीं उलेमा: टीवी पर आने  में परहेज करें - दारुल उलूम

सहारनपुर: टीवी डिबेट में उलेमा के शामिल होने के मसले पर उलेमा एकमत नजर नहीं आ रहे हैं। बरेली के सबसे बड़े मरकज दरगाह आला हजरत ने टीवी चैनलों पर आने वाली डिबेट में उलेमा की भागीदारी को नाजायज और शरीयत के खिलाफ बताया है। जबकि विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद भी पहले ही उलेमा से टीवी डिबेट में शामिल न होने की अपील कर चुका है। इसके विपरीत अब कुछ उलेमा ने अपनी बात को दुनिया के सामने रखने के लिए टीवी और रेडियो के इस्तेमाल को जरूरी बताया है।

बरेली स्थित दरगाह आला हजरत के उलेमा से एक व्यक्ति द्वारा टीवी डिबेट में शामिल होने या न होने को लेकर सवाल किया गया था। इस पर आला हजरत दरगाह से जारी फतवे में कहा गया था कि मौलाना टीवी डिबेट में हिस्सेदारी न करें क्योंकि यह शरीयत के खिलाफ और नाजायज है। इस पर दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना कासिम नोमानी ने कहा कि वह पहले ही उलेमा से टीवी डिबेट से परहेज करने की अपील कर चुके हैं। क्योंकि टीवी डिबेट में पूरी बात रखने का मौका नहीं दिया जाता और बात को तोड़मरोड़ कर पेश किया जाता है जिससे मजहब इस्लाम का गलत संदेश जाता है।

वहीं, मोबाइल के माध्यम से फतवे जारी करने वाले फतवा आन मोबाइल सर्विस के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारूकी ने दरगाह आला हजरत के फतवे के बिल्कुल इसके उलट कहा कि टीवी डिबेट या रेडियों में में बैठने की इस्लाम में मनाही नहीं है। कहा कि जब तक हम अपनी बात दूसरों तक नहीं पहुंचाएंगे तो मजहब को लेकर होने वाली गलतफहमियां दूर कैसे होंगी। दारुल उलूम अशरफिया के मोहतमिम मौलाना सालिम अशरफ कासमी ने कहा कि जहां तक डिबेट में मीडिया के प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने की बात है तो मीडिया लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक है। मीडिया के जरिये ही हक की बात पहुंचाई जा सकती है। क्योंकि इसके बिना लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का कोई और सशक्त माध्यम नहीं है। लिए मीडिया इस इस वक्त की बुनियादी जरूरत है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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