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Ambedkarnagar News: मनरेगा में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया, दो साल से मृतक के नाम पर निकाले जा रहे थे पैसे

विकास खण्ड टांडा के ग्राम पंचायत बलया जगदीशपुर में ग्राम पंचायत सचिव और एपीओ की कारस्तानी सामने आई है। इस ग्राम पंचायत में एक मृतक को

Manish Mishra
Report Manish MishraPublished By Deepak Raj
Published on: 2 Sep 2021 10:58 AM GMT
Symbolic picture taken from social media
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सांकेतिक तस्वीर सोर्स-सोशल मीडिया

Ambedkarnagar News: विकास खण्ड टांडा के ग्राम पंचायत बलया जगदीशपुर में ग्राम पंचायत सचिव और एपीओ की कारस्तानी सामने आई है। इस ग्राम पंचायत में एक मृतक को मनरेगा में दो साल से कार्य करवाया जा रहा था। पोल तो तब खुली जब नवागत बीडीओ सविता सिंह ने इस प्रकरण में एक्शन लेना शुरू किया तो लापरवाहों के हाथ पैर फूलने लगे। बता दें कि यह सब किया धरा खेल टांडा बीडीओ के चार्ज में रहे डीसी मनरेगा का था क्योकि उनके समय में मनरेगा कार्यों की रूटीन जांच सिर्फ कागज तक ही सीमित रही।


मृतक रामचन्दर को किया गया भुगतान


अगर धरातल पर रहती तो ऐसी लापरवाही नही हुई होती। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मनरेगा मजदूर राम चन्द्र जॉब कार्ड संख्या UP-78-004-014-001/62 की मृत्यु 13 अप्रैल 2019 में हुई थी लेकिन उसके बाद भी उनका मस्टररोल बनता रहा और मजदूरी निकलती रही। कुछ माह बाद मजदूरी तो निकलना बंद हो गया लेकिन मस्टररोल फरवरी 2021 तक लगातार बनता रहा।

यहाँ क्या हुआ है खेल

मनरेगा मजदूर की संख्या घटने न पाए, इस कारण से मृतक से भी हर कार्य में मनरेगा मजदूरी करवाया जाता था। जब पोल खुली तो मस्टररोल में मृतक रामचंद्र को अनुपस्थित दिखा दिया गया। सवाल यह है कि ऐसे लापरवाह कर्मचारियों के बल बूते ही शासन के डिजिटल इण्डिया के सपने को परवान चढाया जायेगा।

मस्टररोल बनवाने हेतु मनरेगा का नियम

जब मनरेगा का कोई कार्य करवाना होता है तो प्रत्येक कार्य शुरू होने के पूर्व ग्राम प्रधान के अनुरोधानुसार गांव का ग्राम सचिव मनरेगा मजदूरों की डिमांड करता है और ब्लॅाक में तैनात एपीओ या अन्य के माध्यम से मनरेगा वेबसाइट पर और अन्य दस्तावेजों में मनरेगा मजदूरों की डिमांड दर्ज करवाया जाता है फिर उन्ही मनरेगा मजदूरों के साथ कार्य शुरू करवाना होता है।

ग्राम सचिव ने क्या कहा

ग्राम सचिव दिनेश यादव ने वार्ता में कहा कि यह गलती ब्लॅाक कार्यालय स्तर से हुई है जिसमें एपीओ ने लापरवाही की है। मैंने रामचंद्र की मृत्यु के बाद कभी भी उनका डिमांड नही किया। ग्राम सचिव ने यह भी कहा की गलती तो इंसान से ही होती है। हालांकि की इस प्रकरण में टाण्डा ब्लॉक एपीओ के द्वारा लीपापोती की जा रही है। बीडीओ ने इस प्रकरण की जांच एडीओ आइएसबी और एपीओ को हीं सौपी है।

Deepak Raj

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