Amethi News: PM आवास योजना और मनरेगा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, शिकायतकर्ता ने जांच पर उठाए सवाल

Amethi News: अमेठी प्रधानमंत्री आवास एवं मनरेगा योजना भ्रष्टाचार के चंगुल में कराह रही है।

Surya Bhan Dwivedi
Published on: 27 July 2021 7:10 AM GMT (Updated on: 27 July 2021 7:16 AM GMT)
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भ्रष्टाचार की प्रतीकात्मक तस्वीर(फोटो:सोशल मीडिया)

Amethi News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) अमेठी (Amethi) जिले में प्रधानमंत्री की अति महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास (Pradhan Mantri Awas Yojana) एवं मनरेगा (Manrega) योजना भ्रष्टाचार के चंगुल में कराह रही है। आवास योजना को बीस से तीस हजार में बेचने एवं मनरेगा में बिना कार्य के भुगतान का आरोप लगाया गया है। शिकायत की जांच महज कागजों तक ही सीमित रह गई है। परियोजना निदेशक ने एक बार फिर वीडियो अधिकारी जामो को जांच के आदेश दिए है।

उत्तर प्रदेश के अमेठी के ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार के चलते पात्रों को शासन की योजनों का लाभ नहीं मिला पा रहा है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि अपात्रों को रिश्वत के दम पर आवास दिया जा रहा है। मनरेगा के तहत बिना कार्य के भुगतान हो रहा है। भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए शिकायतकर्ता ने प्रशासन की मंशा पर भी सवाल खड़ा किया है। चार वर्ष से लगातार शिकायत के बाद भी मामले की जांच ना होना प्रशासन की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।

जानें क्या हैं पूरा मामला

यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले का है। जहां जामो विकासखंड क्षेत्र के शंभई गांव के निवासी शिवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि हमारे गांव में अपात्र व्यक्तियों को दो से तीन बार आवास दिया गया है। जबकि उनके पास पहले से ही पक्के मकान है। यही नहीं उसके बदले में उनसे बीस से तीस हजार रुपए भी लिए गए हैं।

पात्रों को आवास योजना में शामिल नहीं किया गया

इसके विपरीत पात्रों को आवास योजना में शामिल नहीं किया गया है। पात्र व्यक्ति आवास के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। वर्ष 2020 -21 में मनरेगा के तहत जगदीशपुर गौरीगंज संपर्क मार्ग पर कादूनाला नाम से दो तालाबों को बिना खुदाई किए गए ही रुपए निकाल लिए गए है।

तालाब में बिना काम कराए निकाली ली गई रकम

तालाब का ना कोई सुंदरीकरण कराया गया और ना ही वृक्षा रोपड़ किया गया। वही अवधेश सिंह के दरवाजे पर ईट का खंडजा लगा हुआ है जिस पर इंटर लाकिंग दिखाकर पैसा डकार लिया गया है। लगभग एक हजार की संख्या में शौचालय के नाम पर शासन से पैसा खारिज कर लिया गया है।

जबकि एक भी शौचालय नहीं बने हैं। मिली जानकारी के मुताबित पीड़ित ग्रामीण इसकी शिकायत पिछले चार वर्षों से लगातार कर रहे हैं। जिलाधकारी, मुख्य विकास अधिकारी, खंड विकास अधिकारी से शिकायत की गई लेकिन अभी तक कोई अधिकारी मामले को संज्ञान में नहीं लिया है।

शिकायतकर्ता ने जांच पर उठाए सवाल

बीती 25 फरवरी को भी शिवेंद्र प्रताप सहित अन्य ग्रामीणों की शिकायत पर परियोजना निदेशक ने खंड विकास अधिकारी जामो को जांच के आदेश दिए थे। बावजूद इसके अभी तक जांच नहीं हो पाई शिकायतकर्ता ने शासन की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब एक बार इसके पूर्व जांच के आदेश हुए थे। फिर भी जांच नहीं हो पाई तो पुनः खंड विकास अधिकारी से ही क्यों जांच कराई जा रही है। शिकायतकर्ता ने स्थलीय सत्यापन कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

एक सप्ताह पूर्व पंचायत सचिव के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

एक सप्ताह पूर्व जामों ब्लॉक में ही मुख्य विकास अधिकारी अंकुर लाठर ने शिकायत मिलने पर गांव में चौपाल लगाकर शिकायतों का स्थलीय निरीक्षण किया था। आवास में धांधली होने पर पंचायत सचिव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। संभई गांव तो एक बानगी के तौर पर है। जांच कराई जाए तो लगभग सभी गांव में भ्रष्टाचार के मामले सामने आएंगे।

परियोजना निदेशक आशुतोष दुबे ने शिकायतों गंभीरता से लिया

फिलहाल परियोजना निदेशक आशुतोष दुबे शिकायतों को लेकर गंभीर है। आवास में धांधली की जांच कर पात्रों को आवास दिलाए जाने और मनरेगा में हुई धांधली की जांच किए जाने का आदेश खंड विकास अधिकारी जामो को फिर दिया गया है।

Divyanshu Rao

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