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UP Election 2022: अमेठी में मुकाबल होगा दिलचस्प, गांधी परिवार के गढ़ में कांग्रेस-भाजपा आमने सामने, देखें क्या कहता है यह सर्वे
UP Election 2022: अमेठी गांधी परिवार (Gandhi family) का चुनावी क्षेत्र होने के चलते विश्व की राजनीतिक पटल पर चर्चित है। वहीं अमेठी की राजनीति ज्यादातर राजपरिवार के इर्द गिर्द ही रहती है। राज परिवार से जहां अब तक नौ बार अमेठी विधानसभा का प्रतिनिधत्व कर चुका है।
UP Election 2022 Amethi News: आगामी विधान सभा चुनाव (UP Election 2022) को लेकर पूरे प्रदेश में चुनावी रस्सा कशी तेज हो गई है। अमेठी विधान सभा (Amethi Legislative Assembly) क्षेत्र यूपी की राजनीति में अहम सीट मानी जाती है। अमेठी की राजनीति ज्यादातर राजपरिवार के इर्द गिर्द ही रहती है। राज परिवार से जहां अब तक नौ बार अमेठी विधान सभा का प्रतिनिधत्व कर चुका है। वर्तमान समय में राजघराने की बहू गरिमा सिंह (Garima Singh) भाजपा (BJP) से अमेठी का प्रतिनिधित्व कर रही है। इस बार देखना होगा कि महारानी गरिमा सिंह चुनाव जीत पाती हैं या अमेठी की अवाम सत्ता की चाभी किसी अन्य को सौंपेगी।
अमेठी गांधी परिवार (Gandhi family) का चुनावी क्षेत्र होने के चलते विश्व की राजनीतिक पटल पर चर्चित है। इस विधान सभा का गठन 1962 में हुआ। यह सीट कांग्रेस का गढ़ कही जाती थी। यहां लगभग 30 साल तक कांग्रेस के विधायक चुनाव जीते। फिल हाल अमेठी विधान सभा की राजनीति राज परिवार के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है। इस समय भी यहां रजघराने से महरानी गरिमा सिंह भाजपा से विधायक है। उन्होंने 2017 में सपा के विधायक गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) को चुनाव हराया था। जिन्हें हाल में ही न्यायालय ने गैंग रेप के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुना दिया है।
फिलाहल कांग्रेस (Congress) का गढ़ कही जाने वाली अमेठी पूरी तरह से भगवामय हो गई है। विधान सभा का प्रतिनिधित्व राजघराने की बहू गरिमा सिंह कर रही है। ये भाजपा से विधायक है। इन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत वर्ष 2017 के चुनाव से किया था। राजनीतिक सफर का आगाज बहुत ही धमाके दार रहा। इन्होंने ने सपा सरकार के कद्दावर मंत्री की सिकस्त देकर काफी दिनों बाद अमेठी में भगवा का परचम लहराया था।
अमेठी में जातीय समीकरण रहता है प्रभावी
अमेठी में जातीय समीकरण (caste equation in amethi) सर्वथा प्रभावी रहता है।सामान्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। वही दूसरे पायदान पर पिछड़ा वर्ग और तीसरे पर अनुसूचित जाति के मतदाता है। अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या आंशिक है। जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 1962 से से लेकर अब तक नौ बार सामान्य वर्ग के लोग चुनाव जीते है। वही दो बार पिछड़े वर्ग के लोगों ने अमेठी का प्रतिनिधित्व किया है।जिसमे 1977 से 1993 तक हरिचरन यादव वा 2012 से 2017 तक गायत्री प्रसाद प्रजापति विधायक रहे है।
राज परिवार का दबदबा है कायम
वही दूसरे पहलू पर बात करें तो राजनीतिक पार्टी के इतर बात करें तो अमेठी की राजनीति में राजपरिवार हावी रहा है। भाजपा या कांग्रेस दोनो पार्टियों में राज परिवार ही समय समय पर चुनाव जीता है। यहां की जनता ने दलगत भावना से उठकर राज परिवार के हाथों में ही प्रतिनिधित्व सौंपने में विश्वास किया है। 1977 से अब तक राज परिवार सात बार अमेठी विधान सभा से प्रतिनिधित्व कर चुका है। राज परिवार में राजनीति की शुरुआत 1977 में महराज रणंजय सिंह ने किया था।अब देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधान सभा चुनाव में पुनः राज परिवार के हाथ में सत्ता जायेगी या 2012 की तरह कोई अन्य को चुनाव जीता कर जनता सदन भेजेगी।
ओवर ब्रिज और बाईपास का भाजपा को मिलेगा लाभ
विकास कार्यों की बात करें तो अमेठी में दो बड़ी समस्याएं थी। जिनसे लोगों को काफी समस्याओं का समाना करना पड़ता था।जिनमे एक प्रमुख समस्या थी काकवा रोड पर रेलवे क्रासिंग का ओवर ब्रिज।विधायक गरिमा सिंह के अथक प्रयास से सरकार ने इस समस्या को संज्ञान लिया। ओवर ब्रिज पर युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है।जो जल्द ही बन जायेगा।इस ओवर ब्रिज के पूर्ण हो जाने से लगभग चालीस हजार से अधिक लोगो को लाभ मिलेगा। छात्र छात्राएं सहित आम लोगों को अब क्रासिंग पर जाम में नही रेंगना पड़ेगा। इसके अतरिक्त अमेठी विधान सभा में बाई पास भी एक बड़ी समस्या थी। बाई पास चुनावी मुद्दा बनाया गया था। विधायक के प्रयास से बाई पास का कार्य लगभग पूर्ण होने को है।बाई पास बन जाने से कस्बे में जाम की समस्या से लोगों को निजात मिल जायेगी। ये दो ऐतिहासिक कार्य सरकार की खास उपलब्धियां है।इसके अतरिक्त स्वास्थ शिक्षा और सड़कों के लिए भी इस पांच वर्ष के काफी काम हुए है।
यातायात और बेरोजगारी (traffic and unemployment) से परेशान है अवाम
इतना होने के बावजूद भी अभी अमेठी के लोगों को कई मूलभूत समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है। जिसमे यातायात की के लिए सरकार की तरफ से कोई खास ध्यान नहीं दिया गया।लोगों के लोकल आवागमन के लिए सरकारी बसों की व्यवस्था ना के बराबर है। डग्गामार वाहन ही जनपद में जाने के लिए साधन है।जिसका खामियाजा आम जनता को अपनी जेब ढीली कर भुगतना पड़ रहा है।वही बात करें रोजगार की तो सरकार की तरफ से रोजगार के साधन नही उपलब्ध ना होने से लोग रोजी रोटी के लिए अन्य प्रांतों में जाने को मजबूर है।
गायत्री को सजा होने से प्रत्याशी का संकट
आगामी चुनाव को लेकर भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा के अतरिक्त आम आदमी पार्टी भी सक्रिय हो गई है। भाजपा में मौजूदा विधायक के अतरिक्त लगभग आधा दर्जन भाजपा नेता टिकट के दावेदारी में है। जिनमे वर्तमान विधायक के अतरिक्त आशीष शुक्ला, काशी तिवारी, रश्मि सिंह, सहित अन्य नाम शामिल है। वहीं बात करें बसपा की तो पार्टी हाशिए पर दिखाई पड़ रही है। कोई बड़ा चेहरा पार्टी में नहीं बचा है।
फिलहाल टिकट के दौड़ में पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजीव शुक्ला, नम्रता जायसवाल,अखिलेश शुक्ला सहित अन्य दावेदार टिकट की दौड़ में शामिल है। वही हाल कांग्रेस की भी है। अमेठी में कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस लाने की लड़ाई लड़ रही है। इसमें प्रमुख दावेदार डा देवमणि तिवारी,नरेंद्र मिश्र,रवि शुक्ला,सहित कई अन्य चेहरे शामिल है। वही समाज वादी पार्टी में टिकट के दावेदार तो बहुत है, परंतु गायत्री प्रसाद प्रजापति को आजीवन कारावास होने से कोई सपा के पास कोई बड़ा चेहरा अभी तक सामने नहीं आया है। प्रमुख दावेदारों में शिव प्रताप यादव,सुनील सिंह यादव,गुंजन सिंह सहित कई लोग अपने अपने टिकट के दावे कर रहे है।
अमेठी विधान सभा का जातीय आंकड़ा (अनुमानित)
बाह्मण- 92 हजार
क्षत्रिय-40 हजार के
अनुसूचित जाति- 1 लाख 20 हजार
ओबीसी-1 लाख 7 हजार
यादव- 42 हजार
बर्मा-25 हजार
मौर्य-30 हजार
कश्यप-20 हजार)
मुस्लिम-22 हजार के आस पास
अन्य- लगभग 50 हजार
अमेठी की कुल जनसंख्या 1-1-2021 तक की जनगणना के अनुसार
टोटल -519583
पुरुष - 259767
महिला -259819
अमेठी की कुल मतदाता की संख्या
कुल मतदाता की संख्या - 347370 -
कुल मतदान - 66.86 हुआ था
पुरुष मतदाता -183429
पुरुष मतदान 70.61 हुआ था
महिला मतदाता -163895
महिला मतदान - 63.8 हुआ था।
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