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Anand Sen Yadav Interview: अयोध्या की सियासत के सबसे बड़े सूरमा के बेटे की क्या है इस बार चुनाव की तैयारी, पढ़िए आनंद सेन से खास बात

Anand Sen Yadav Interview: फैजाबाद के दिग्गज नेताओं में शुमार मित्रसेन यादव के बेटे आनंद सेन पिता (Mitrasen Yadav son anand sen yadav) की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए वह छोटी उम्र से ही उनका साथ देना शुरू कर दिया था।

Rahul Singh Rajpoot
Written By Rahul Singh RajpootReport NathBux SinghPublished By Vidushi Mishra
Published on: 14 Nov 2021 4:33 PM IST (Updated on: 14 Nov 2021 4:44 PM IST)
Anand Sen Yadav
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आनंद सेन यादव

Anand Sen Yadav Interview: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav 2022) की तैयारियों में लगी सियासी पार्टियों के नेता और चुनाव लड़ने वाले दावेदार अपनी दावेदारी मजबूती के साथ पेश कर मतदाताओं को रिझाने में लग गए हैं। ऐसी ही एक सीट अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा (Milkipur Assembly of Ayodhya District) की है। यहां सालों तक मित्रसेन यादव (Anand Sen Yadav Father Mitrasen Yadav) का दबदबा कायम रहा है। या यूं कहें उत्तर प्रदेश में वामपंथ की नींव इसी विधानसभा क्षेत्र से पड़ी थी।

Mitrasen Yadav Political career - उन्होंने 1977, 1980, 1985 और 1993 में विधायक निर्वाचित होकर इस सीट पर भाकपा (CPI) का परचम लहराया। 1989 में मित्रसेन यादव भाकपा (Mitrasen Yadav CPI) से पहली बार लोकसभा भी पहुंचे। मित्रसेन यादव फैजाबाद से तीन बार सांसद, मिल्कीपुर से सात बार विधायक रहे। अब उनकी (Mitrasen Yadav Son) राजनीतिक विरासत को उनके बेटे आनंद सेन यादव (Anand Sen Yadav) आगे बढ़ा रहा हैं।


आनंद सेन यादव 2002 में पहली बार बने विधायक (Anand Sen Yadav 2002 Mein Pehli Baar Vidhayak)

Anand Sen Yadav Political Career - अयोध्या के दिग्गज नेताओं में शुमार मित्रसेन यादव के बेटे आनंद सेन पिता (Anand Sen Yadav Father) की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए वह छोटी उम्र से ही उनका साथ देना शुरू कर दिया था। लेकिन असली पारी 2002 से शुरू की। आनंद सेन यादव 2002 में समाजवादी पार्टी (Anand Sen Yadav 2002 Mein Samajwadi) से पहली बार जीत दर्ज कर विधायक बने। इस सीट पर 2004 में उपचुनाव हुआ, जिसमें समाजवादी पार्टी के रामचंद्र यादव की जीत हुई।


2007 में बहुजन समाज पार्टी (BSP Mein Anand Sen Yadav) में शामिल होकर आनंद सेन दूसरी बार विधायक (Anand Sen Yadav Dusri Baar Vidhayak) चुने गए और मायावती सरकार में राज्य मंत्री (Mayawati Ki Sarkar Mein Anand Sen Yadav Rajya Mantri) भी बने।

इसके बाद 2012 में समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की। वहीं 2017 में भाजपा के प्रत्याशी गोरखनाथ (BJP candidate Gorakhnath) ने इस सीट से जीत दर्ज की। उन्होंने समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद (Samajwadi Party Ke Awadhesh Prasad) को हराया।

newstrack.com की टीम विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav 2022) से पहले नेता अपने क्षेत्र में क्या कुछ वादे लेकर मतदाताओं का भरोसा जीतने का प्रयास कर रहे हैं। उसे जानने का प्रयास कर रहा है। इस बार पूर्व विधायक और मंत्री आनंद सेन यादव की मिशन 2022 (Mission 2022) को लेकर क्या तैयारी है, इसे जानते हैं?

सवाल- चुनाव को लेकर क्या कुछ तैयारी है, किस तरह से प्रचार अभियान चला रहे हैं?

आनंद सेन यादव- देखिए दो चीजें है एक तो संगठन के तरीके से हम लोगों को काम करना है, दूसरा लोगों के सुख-दुख में भी शामिल होना है। जो संगठन हमारा कहता है, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) जी का जो आदेश होता है। उसी राह पर चलकर आगे बढ़ते हैं। हमें क्षेत्र में समाज के बीच में रह करके लोगों को जागरुक करना है।

ऊपर से जो आदेश होते हैं उस तरीके से उसका पालन किया जाता है। चुनाव कैसे लड़ना है, क्या रणनीति अपनानी है, सब तैयार करके जनता के बीच जा रहे हैं। हमारे नेता हैं जो पार्टी का दिशा निर्देश होता है। उस पर अमल करके आगे जनता के बीच पहुंचाने का काम करेंगे।


सवाल— आप एक बड़े सियासी परिवार से हैं, क्या राजनीति में शुरु से आने की दिलचस्पी थी या आपका कोई और सपना था?

आनंद सेन यादव- मेरी कोई पहले से प्लानिंग नहीं थी, हां खेलकूद के मामले मैं बहुत तेज था, उसमें मेरी रुचि ज्यादा थी। लेकिन हमें उस समय जो चीजें मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पाईं। उस वक्त सुविधाएं नहीं मिल पाने से इसमें आगे नहीं बढ़ पाया। 100, 200, 400 मीटर रेस में मैं अव्वल था। बैडमिंटन भी मैं अच्छा खेलता था।

लेकिन हमारे पास ना तो कोई प्रशिक्षक था और ना ही कोई फील्ड थी। उस वक्त ना परिवारिक स्थिति ऐसी थी कि जाकर किसी मैदान में उतर जाऊं। खेलकूद में आगे बढ़े होते हैं तो एक नाम मिलता और उसी से अच्छी सर्विस भी मिलती तो आज लाइन कुछ दूसरी होती।

सवाल- आपके पिताजी फैजाबाद के कद्दावर नेता थे, बचपन से लेकर राजनीति के मैदान तक कैसा साथ मिला उनका?

आनंद सेन यादव- देखिए मेरे और मेरे स्वर्गीय पिता मित्रसेन यादव जी (Anand Sen Yadav Father) की राजनीति को कमजोर करने के लिए हमारे विरोधियों ने बचपन के दिनों में ही मुझे झूठे मुकदमे में फंसा दिया। 1985 में मेरी उम्र 18 साल की थी जब मैं (Anand Sen Yadav) नाबालिग था तभी मेरे ऊपर हत्या का मुकदमा कायम करा दिया गया। इसकी मुझे जानकारी भी नहीं थी। लेकिन इसमें हम लोगों को मुख्य अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया गया। जिस वक्त जेल भेजा गया मैं 12वीं की परीक्षा दिया था।

इसके पीछे का मकसद यह था कि जब बेटा फंस जाएगा तो भावनात्मक रूप से मित्रसेन यादव कमजोर हो जाएंगे और इसका फायदा विरोधियों को मिलेगा। इसीलिए उन्होंने हमें हत्या के झूठे मुकदमे में फंसाकर बाबूजी की राजनीति को कमजोर करने की कोशिश की। लेकिन विरोधियों की यह मंशा कामयाब नहीं हो सकी।


बाबूजी उस लड़ाई को भी अच्छे से लड़े, ना तो उनकी राजनीति कमजोर हुई, ना ही उनकी गरीबों के प्रति लड़ाई का जो संकल्प था, जो उनका हक और हिस्सा दिलाने का संकल्प था उसे वह लड़ते रहे। हम लोग भी जेल की सलाखों के पीछे रहकर उनका साथ देते रहे।

सवाल- आपके कितने बच्चे हैं और उनकी किस क्षेत्र में रुचि है, क्या कर रहे हैं अभी?

आनंद सेन यादव- एक बेटा मेरा ब्लॉक प्रमुख है, हर्रिंटनगंज (Harringtonganj) से, मेरी पत्नी ज़िला पंचायत सदस्य (Anand Sen Yadav Ki Patni) हैं, जिलाध्यक्ष की पूरी प्लानिंग थी।लेकिन सरकार और प्रशासन ने किस तरह से हमारी पत्नी (Anand Sen Yadav Wife) को हराने का काम किया गया। योगी जी बहुत नाम चेंज कर रहे हैं, लेकिन हमारा बेटा (Anand Sen Yadav Son) जिस ब्लॉक हर्रिंटनगंज का प्रमुख है।

हर्रिंटनगंज एक अंग्रेज का नाम है, उसी ने इसे बसाया था। तभी से यहां के सभी सरकारी भवन योजनाएं हर्रिंटनगंज ब्लॉक का नाम चला आ रहा है। हर्रिंटनगंज की बाजार का नाम साहबगंज है , उसी के नाम पर कर देना चाहिए। लेकिन इस पर कभी उनकी नजर नहीं गई।

सवाल- विधायक और सांसद निधि पर आपकी क्या राय है?

आनंद सेन यादव- जब से विधायक और सांसद निधि आई है करप्शन बढ़ गया है। निश्चित तौर पर हर कार्यकर्ता और समर्थक की अपेक्षा बढ़ जाती है। जब लोगों की अपेक्षाएं बढ़ती हैं तो एक नेता कितना झेलता है। उसे समाज और जनता के बीच रहकर काम करने वाला व्यक्ति ही इस दर्द को समझ सकता है।


क्षेत्र की हर जनता को अपने नेता से उम्मीद होती है कि जब वह उनके दुख में पहुंचेंगे तो उनकी कुछ मदद करेंगे। जब आप बिना मदद के लौट आते हैं वही लोग आपको गालियां देने लगते हैं कि आए थे क्या मदद करके गए। जब आप वहां जाएंगे नहीं तो लोगों का यह आरोप होता है कि हमारे यहां आते नहीं हैं। तो नेता की स्थिति गले की हड्डी जैसी होती है ना उसे आप निगल सकते हैं ना उगल सकते हैं। दोनों परिस्थितियों में बहुत बुरी स्थिति रहती है।

सवाल- अधिकारियों की कार्यशैली पर आपकी क्या राय है?

आनंद सेन यादव- हमारे यहां अधिकारी इतने करप्ट हैं, बड़े से लेकर निचले स्तर तक चले जाइए भ्रष्टाचार ही मिलेगा। ऐसे तमाम अधिकारी अयोध्या में पहले और अब भी हैं। लेकिन उनकी कोई जांच करने वाला नहीं है।

अयोध्या (Ayodhya) के तमाम अधिकारी यहां की जमीनों को अपने परिवार, रिश्तेदारों दोस्तों के नाम खरीदकर अरबों की संपत्ति बना लिए हैं। तो मेरा कहना है अधिकारी करप्शन कर रहे हैं। उनकी कोई जांच नहीं हो रही है। उनसे कोई संपत्ति का व्यौरा नहीं मांगा जाता है। नेताओं का विवरण चुनाव आयोग से लेकर हर कोई मांगता है। हर कोई सवाल उठाता है।

सवाल- आज की राजनीति पर आपकी क्या राय है?

आनंद सेन यादव- देखिए आज की राजनीति में बहुत गिरावट आई है, शुद्ध रूप से जो राजनीति होनी चाहिए वो नहीं हो रही है। जो हमारा राजनैतिक स्तर है, जो लोगों की राजनैतिक सोच होती जा रही है। कहीं ना कहीं उसका पतन हुआ है। राजनीति में लोगों का कोई चरित्र नहीं रह गया है। राजनीति में निचले स्तर पर जाके अपने विरोधियों को फंसाने का काम किया जाता है।


किस स्तर पर जाके घटिया काम करके लोगों को जेल भिजवाने का काम किया जा रहा है। नेता अब यह नहीं सोच रहे हैं वो अच्छी राजनीति कर रहा है तो हम उससे दो कदम बढ़कर उससे अच्छी राजनीति करें यह सोच नहीं है। तो राजनीति में बहुत बदलाव हो गया है।

आज सबका संगठन है। लेकिन नेताओं का कोई संगठन नहीं है। अब नेताओं में यह सोच हो गई है कि एक दूसरे को कैसे रोकने और काटने का काम करें। तो कुल मिलाकर आज की राजनीति का स्तर एकदम गिर चुका है।

सवाल-राजनीति करते परिवार को कितना टाइम देते हैं, दोनों को कैसे मैनेज करते हैं?

आनंद सेन यादव- हमारे बच्चे बहुत समझदार हैं, मेरा बड़ा बेटा ब्लॉक प्रमुख है, दूसरा बेटा हमारा एलएलएम करके लखनऊ हाईकोर्ट (Lucknow Highcourt) में प्रैक्टिस करते हुए सिविल सर्विस की तैयारी भी कर रहा है। बेटी (Anand Sen Yadav Daughter) मुंबई से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। पत्नी दो बार से जिला पंचायत सदस्य हैं।

इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष की पूरी तैयारी थी, इससे पहले तीन बार ब्लॉक प्रमुख थीं। तो पूरा परिवार अच्छा है । सभी लोग मिल बैठ करके बात करते हैं और जो करना होता है उसकी पूरी प्लानिंग हो जाती है। रविवार का दिन गांव में बीतता है। त्योहार की लंबी छुट्टियों में बेटी और छोटा बेटा भी घर आ जाता है।

सवाल- आपको खाने में क्या पसंद है?

आनंद सेन यादव- अब शुद्ध शाकाहारी हैं, पहले नॉनवेज भी खाते थे। लेकिन सेहत और भाग दौड़ को देखकर शुद्ध रूप से शाकाहारी खाना पसंद करते हैं। सबसे ज्यादा मटर-आलू की सब्जी, दाल रोटी पसंद (Anand Sen Yadav Favourite Food) है। पनीर मुझे नहीं पसंद है। हां कभी-कभी क्षेत्र ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं कि नॉनवेज खाना मजबूरी होती है तो वह भी खाते हैं। लेकिन शाकाहारी पहली पसंद है।

Vidushi Mishra

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