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Bahraich Crime News: दलित प्रधान की हत्या के मामले ने पकड़ा तूल, धरने पर बैठी पूर्व सांसद
दलित प्रधान की हत्या के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी न होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
Bahraich Crime News: जरवल इलाके में हुई दलित प्रधान की हत्या के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी न होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। पूर्व सांसद सावित्रीबाई फुले दलित परिवार के समर्थन में धरने पर बैठ गई हैं। ढेड़ माह से ऊपर हुई दलित प्रधान के मामले में नामजद आरोपी अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है इसलिए मृतक परिवार के लोग 6 दिन से धरने पर बैठ रहे हैं। इस धरने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कल ट्वीट किया था तब से यह राजनीतिक रूप लेता जा रहा है, मायावती की ट्वीट के बाद कई बसपा नेता पुलिस अधीक्षक से मिले थे और सपा नेता धरने पर समर्थन जताने आए थे।
कांशीराम बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सावित्रीबाई फुले भाजपा सरकार पर जम कर बरसीं। उन्होंने वर्तमान सरकार को भाजपा विरोधी करार दिया। अपनी बात के समर्थन में उन्होंने कई दलित उत्पीड़न के मामले उठाए। उन्होंने कहा कि जब से केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार बनी है। तब से दलितों का शोषण किया जा रहा है। जरवल में दलित ग्राम प्रधान की हत्या के 45 दिन बीत जाने के बाद भी हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि हत्यारों को पुलिस संरक्षण दे रही है। जिसके सिर से पिता का साया उठ गया है और वह मानसिक रूप से परेशान चल रहा है।
पुलिस उसकी नारको टेस्ट करा कर परेशान करना चाह रही है। पूर्व सांसद को मनाने अधिकारी धरना स्थल पहुंचे, लेकिन उन्होंने उनके सामने पुलिस अधीक्षक को घटना स्थल आने की बाद रखी। पूर्व सांसद ने कहा कि जब तक एसपी घटनास्थल और धरना स्थल पर आकर पीड़ितों को आश्वासन नहीं देंगे तब तक धरना प्रदर्शन चलता रहेगा। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव के करीब आते ही सभी रजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गई हैं। वहीं कानून व्यवस्था के सवाल पर योगी सरकार लगातार घिरती जा रही है।
प्रधान की हत्या में 3 वक्त का समय बीत जाने के बाद भी नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी न हो पाना व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने के लिए काफी है। हाल ही में गोरखपुर में जनता दर्शन के दौरान सबसे ज्यादा शिकायतें पुलिस महकमे से आने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जताई थी। बावजूद इसके थानेदारों की मनमानी जारी है। थानों में विवचना करने के कई मामले लंबित पड़े हैं, पर इसके लिए थानेदारों को फुर्सत ही नहीं है।