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Bahraich News: 23 साल बाद मिला परिवार को इंसाफ, चार हत्यारों को कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

Bahraich News: 23 साल के बाद आज थाना भिनगा के मझौवा नौबस्ता गांव निवासी के हत्या के मामले में चार आरोपियों को चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश ईसी एक्ट ने सुनाई सजा सुनाई है।

Anurag Pathak
Report Anurag PathakPublished By Deepak Kumar
Published on: 17 Dec 2021 8:51 PM IST
Bahraich News in hindi
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कोर्ट ने सुनाई सजा pic(social media)

Bahraich News: थाना भिनगा (Police Station Bhinga) के मझौवा नौबस्ता गांव (Majhowa Naubasta Village) निवासी के हत्या के मामले में चार आरोपियों को चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश ईसी एक्ट (Additional Sessions Judge EC Act) ने सुनाई सजा सुनाई है। 23 साल के लंबे जद्दोजहेद के बाद फैसला आने पर पीड़ित पक्ष ने राहत की सांस ली है।

20 अप्रैल 1998 को किया था मुकदमा दर्ज

एडीजीसी क्रिमिनल सुनील कुमार जायसवाल (ADGC Criminal Sunil Kumar Jaiswal) ने बताया कि जनपद श्रावस्ती के कोतवाली भिनगा (Police Station Bhinga) निवासी गुरुवचन का गांव के ही राधेश्याम के बीच रास्ते के विवाद को लेकर काफी समय से रंजिश चली आ रही थी। एडीजीसी क्रिमिनल जायसवाल (ADGC Criminal Sunil Kumar Jaiswal) ने बताया कि विवाद के चलते 19 अप्रैल 1998 को राधेश्याम के सहयोगी अभयराज शुक्ल, शिशुपाल शुक्ल, भानुप्रताप शुक्ल व रामनारायन शुक्ल ने वादी मुकदमा गुरुवचन, उनके पुत्र रामउजागर व भतीजे राजनारायन पर हमलावर होते हुए हंसिया, लाठी डंडों से मारना पीटना शुरू कर दिया।

शोर होने पर आस-पास गांव के लोग एकत्रित होने लगे। इसी दौरान सभी हमलावर घटना स्थल से फरार हो गए। एडीजीसी क्रिमिनल जायसवाल (ADGC Criminal Sunil Kumar Jaiswal) ने बताया कि थाने ले जाते समय रास्ते में ही वादी मुकदमा के भतीजे राजनारायन की मौत हो गई। घायल अवस्था में वादी मुकदमा व उनके पुत्र ने थाने पर पंहुचकर घटना की जानकारी दी। मामले में पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव को अपने कब्जे में लेते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ 20 अप्रैल 1998 को नामजद मुकदमा दर्ज किया था।

करीब 23 साल के लंबे समय के बाद हुआ फैसला

एडीजीसी क्रिमिनल जायसवाल (ADGC Criminal Sunil Kumar Jaiswal) ने बताया कि मामले में शुक्रवार को चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश ईसी एक्ट मनोज कुमार मिश्रा द्वितीय (Additional Sessions Judge EC Act Manoj Kumar Mishra) ने दोनों पक्षों के बहस सुनने के बाद सभी अभियुक्तों को विभिन्न धाराओं में आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायाधीश ने आरोपियों पर बीस-बीस हजार के अर्थदंड से दंडित भी किया है। अर्थदंड की रकम जमा न करने पर सभी को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। करीब 23 साल के लंबे जद्दोजहेद के बाद पीड़ित पक्ष ने न्यायाधीश का फैसला सुनकर राहत की सांस ली है।

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Deepak Kumar

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