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Kursi Assembly Seat : बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को सपा ने फिर उतारा मैदान में, तीसरी पीढ़ी भी आ चुकी है राजनीति में

सपा अध्यक्ष ने समाजवादी पार्टी के 'गढ़' कहे जाने वाले बाराबंकी जिले में पार्टी की धमक को बरकरार रखने की कवायद तेज कर दी है। इसी के तहत उन्होंने समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे तीन प्रत्याशियों को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है।

Sarfaraz Warsi
Report Sarfaraz WarsiPublished By aman
Published on: 28 Jan 2022 10:55 AM IST (Updated on: 28 Jan 2022 10:55 AM IST)
Kursi Assembly Seat : बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को सपा ने फिर उतारा मैदान में, तीसरी पीढ़ी भी आ चुकी है राजनीति में
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Kursi Assembly Seat : सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने समाजवादी पार्टी के 'गढ़' कहे जाने वाले बाराबंकी (Barabanki) जिले में पार्टी की धमक को बरकरार रखने की कवायद तेज कर दी है। इसी के तहत उन्होंने समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे तीन प्रत्याशियों को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है।

सपा ने बाराबंकी जिले के कुर्सी विधानसभा सीट (Kursi Assembly Seat) से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. बेनी प्रसाद वर्मा (Beni Prasad Verma) के पुत्र व पूर्व कारागार मंत्री राकेश वर्मा (Rakesh Verma), रामनगर विधानसभा सीट (Ramnagar assembly seat) से पूर्व मंत्री फरीद महफूज किदवाई (Fareed Mahfouz Kidwai) और दरियाबाद विधानसभा सीट (Dariyabad assembly seat) से पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप (Arvind Singh Gope) को उम्मीदवार घोषित किया है।

'मोदी लहर' को नाकाम करने वाले को भी टिकट

इसके अलावा बाराबंकी की सदर विधानसभा सीट (Sadar assembly seat) से सपा अध्यक्ष ने सुरेश यादव (Suresh Yadav) को एक बार फिर टिकट दिया है। बता दें, कि सुरेश यादव बाराबंकी सदर विधानसभा सीट से लगातार 10 साल से विधायक हैं। उन्होंने मोदी लहर के बावजूद जिले में अकेले अपनी ही सीट बचाई थी।

बेनी प्रसाद की विरासत संभाल रहे राकेश वर्मा

गौरतलब है, कि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. बेनी प्रसाद वर्मा के जीवनकाल में ही उनके पुत्र राकेश वर्मा विधायक के रूप में चुनकर कैबिनेट मंत्री बने थे। हालांकि, पिता की वर्षों की राजनीति ने उन्हें जल्द ही स्थापित कर दिया। माना जा रहा है कि यह बेनी प्रसाद वर्मा के राजनीतिक कद का ही असर है कि सपा प्रमुख ने उनके पुत्र राकेश वर्मा को एक बार फिर कुर्सी विधानसभा सीट से टिकट दिया है। दरअसल, बेनी प्रसाद वर्मा को मुलायम सिंह यादव का बेहद करीबी माना जाता रहा है। वह कुर्मियों के बड़े नेता थे। उन्हें जिले का 'विकास पुरुष' भी कहा जाता है। बाराबंकी के रहने वाले बेनी प्रसाद वर्मा की गिनती प्रदेश के कुर्मी समाज के चंद बड़े नेताओं में होती रही है। ये अलग बात है, कि कुछ के समय वो कांग्रेस में भी रहे। इस दौरान यूपीए- 2 की मनमोहन सिंह सरकार में बेनी प्रसाद वर्मा केन्द्रीय इस्पात मंत्री रहे थे।

कुर्मी के बड़े नेता थे बेनी प्रसाद वर्मा, कई बार बने मंत्री

बेनी प्रसाद वर्मा वाम मोर्चा समर्थित एचडी देवगौड़ा की सरकार में वर्ष 1996 में संचार राज्य मंत्री बने थे। बाद में उन्हें, संसदीय कार्य राज्यमंत्री का भी जिम्मा सौंपा गया। इसके बाद साल 1998, 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में बेनी प्रसाद वर्मा सपा के टिकट पर कैसरगंज संसदीय सीट से जीतकर सांसद बने। वर्ष 2009 के चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर गोंडा सीट से जीते थे। जिसके बाद उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया। बेनी प्रसाद वर्मा समाजवादी पार्टी के जनरल सेक्रेटरी भी थे। उत्तर प्रदेश सरकार की सपा सरकार में वो लंबे समय तक पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे। बाराबंकी की सभी छह विधानसभा सीटों के साथ आस-पास के जिलों में भी बेनी प्रसाद वर्मा की गहरी पैठ रही थी। यही वजह रहा कि बेनी प्रसाद वर्मा को कई बार राज्य और केंद्र सरकार में मंत्री पद से नवाजा गया।

बेनी बाबू की तीसरी पीढ़ी भी राजनीति में

उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा की तीसरी पीढ़ी भी अब राजनीतिक मैदान में आ गई है। दरअसल, उनकी पौत्री को भी समाजवादी पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी देते हुए उन्हें महिला सभा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। दरअसल, सपा से राज्यसभा सांसद रहने के दौरान ही पिछले साल बेनी प्रसाद वर्मा का निधन हो गया था। लेकिन अब पूर्व मंत्री राकेश वर्मा की पुत्री श्रेया वर्मा भी अपने दादा की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अखाड़े में कूदी पड़ी हैं।

पारिवारिक कलह सतह पर

समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य और दिग्गज नेता रहे दिवंगत बेनी प्रसाद वर्मा की बहू चित्रा वर्मा को कांग्रेस ने दरियाबाद विधानसभा सीट से टिकट दिया है। चित्रा बेनी प्रसाद वर्मा के भाई रमेश वर्मा की बहू हैं। चित्रा वर्मा को टिकट मिलने के बाद वर्मा परिवार की कलह भी अब चुनावी मैदान में सामने आ गई है। दरअसल, चित्रा वर्मा का आरोप है कि बीते 72 साल से हमारे ससुर रमेश वर्मा ने बाबूजी (बेनी प्रसाद वर्मा) की सेवा की, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ। बेनी बाबू के बेटे राकेश वर्मा ने ब्लॉक प्रमुख चुनाव को लेकर हमारे साथ नाइंसाफी की और ब्लॉक प्रमुख का टिकट अपने छोटे भाई की बहू रेनू को दे दिया। चित्रा ने कहा कि विरासत में सिर्फ एक ब्लॉक प्रमुख की सीट मिली थी। उसे भी इन लोगों ने छीन लिया। जिसके बाद अब कांग्रेस ने हमें सम्मान दिया है। इस सीट पर अब कांग्रेस का परचम लहराएगा।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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